चालीसा काल का तीसरा सप्ताह, गुरुवार



पहला पाठ : यिरमियाह का ग्रन्थ 7:23-28

23) मैंने उन्हें केवल यह आदेश दियाः यदि तुम मेरी बात पर ध्यान दोगे, तो मैं तुम्हारा ईश्वर होऊँगा और तुम मेरी प्रजा होगे। यदि तुम मेरे बताये हुए मार्गों पर चलोगे, तो तुम्हारा कल्याण होगा।

24) किन्तु उन्होंने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। वे अकड़ कर बुराई करते रहे और मेरे पास आने की अपेक्षा मुझ से दूर चले गये।

25) जिस दिन उनके पूर्वज मिस्र देश से निकले, उस दिन से आज तक मैं अपने सब सेवकों, अर्थात् नबियों को उनके पास भेजता रहा।

26) किन्तु उन्होंने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और मेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। वे अकड़ कर बुराई करते रहे और अपने पूर्वजों से अधिक दुष्ट निकले।

27) “तुम उन्हें यह सब बता दोगे, किन्तु वे तुम्हारी नहीं सुनेंगे। तुम उन्हें पुकारोगे, किन्तु वे उत्तर नहीं देंगे।

28) तुम उन से यह कहोः यह वह प्रजा है जो अपने प्रभु-ईश्वर की बात नहीं सुनती और शिक्षा ग्रहण करने से इन्कार करती है। सच्चाई नहीं रही; वह उनके मुख से चली गयी है।

सुसमाचार : सन्त लूकस 11:14-23

14) ईसा ने किसी दिन एक अपदूत निकाला, जिसने एक मनुष्य को गूँगा बना दिया था। अपदूत के निकलते ही गूँगा बोलने लगा और लोग अचम्भे में पड़ गये।

15) परन्तु उन में से कुछ ने कहा, ’’यह अपदूतों के नायक बेलज़ेबुल की सहायता से अपदूतों को निकालता है’’।

16) कुछ लोग ईसा की परीक्षा लेने के लिए उन से स्वर्ग की ओर का कोई चिन्ह माँगते रहे।

17) उनके विचार जान कर ईसा ने उन से कहा, ’’जिस राज्य में फूट पड़ जाती है, वह उजड़ जाता है और घर के घर ढह जाते हैं।

18) यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करने लगे, तो उसका राज्य कैसे टिका रहेगा? तुम कहते हो कि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ।

19) यदि मैं बेलजे़बुल की सहायता से अपदूतों को निकालता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसी सहायता से उन्हें निकालते हैं? इसलिए वे तुम लोगों का न्याय करेंगे।

20) परन्तु यदि मैं ईश्वर के सामर्थ्य से अपदूतों को निकालता हूँ, तो निस्सन्देह ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है।

21) ’’जब बलवान् मनुष्य हथियार बाँधकर अपने घर की रखवाली करता है, तो उसकी धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहती है।

22) किन्तु यदि कोई उस से भी बलवान् उस पर टूट पड़े और उसे हरा दे, तो जिन हथियारों पर उसे भरोसा था, वह उन्हें उस से छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।

23) ’’जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है।

📚 मनन-चिंतन

आज के पहले पाठ में ईश्वर की शिकायत है कि इस्राएल जनता ईश्वर के द्वारा किये गये बडे बडे चमत्कार देखने के बावजूद भी उनपर भरोसा नहीं रखते है और उनकी अज्ञाओ के अनुसार जीवन नहीं बिताते है और वे अकड़ कर बुराई करते रहे और अपने पूर्वजों से अधिक दुष्ट निकले। आज के सुसमाचार में भी यही हम पाते है। प्रभु येसु के द्वारा किये गये चमत्कार देखने की बावजूद भी लोग येसु पर येसु के वचनो पर विश्वास नहीं करते है और येसु से स्वर्ग की ओर का कोई चिन्ह मॉगते रहे।

अविश्वासी नगरों को धिक्कार- तब ईसा उन नगरों को पधक्कारने लगे, जिन्होंने दनके अधिकांश चमत्कार देख कर भी पश्चात्ताप नहीं किया था, धिक्कार तुझे, खोराज़िन धिक्कार तुझे बेथसाइदा, जो चमत्कार तुम में किये गये हैं, यदि वे तूरूस और सिदोन में किये गये होते, तो उन्होंने न जाने कब से टाट ओढ़ कर और भस्म रमा कर पश्चात्ताप किया होता। इसलिए मैं तुम से कहता हॅू, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा तीरूस और सिदोन की दशा कहीं अधिक सहनीय होगी। और तू, कफ़रनाहूम क्या तू स्वर्ग तक ऊॅचा उठाया जायेगा? नहीं। तू अधोलोक तक नीचे गिरा दिया जायेगा; क्योंकि जो चमत्कार तुझ में किये गये हैं, यदि वे सोदोम में किये गये होते, तो वह आज तक बना रहता। इसलिए मैं तुझ से कहता हॅू, न्याय के दिन तेरी दशा की अपेक्षा सोदोम की दशा कहीं आधिक सहनीय होगी। (मत्ती 11:20-24)

प्यारे विश्वासियों, आज भी वही प्रभु हमारे बीच में चिन्ह और चमत्कार प्रकट करते हुए कार्यरत है। कितने सारे चिन्ह और चमत्कार आज प्रभु हमारे बीच में प्रकट कर रहें है। प्रभु ये सब इसलिए कर रहे है कि हमारा कल्याण हो। आगर हम हमारे जीवन को सुधारने केलिए प्रयास नहीं करें अगर हम अकड़ रहे तो नुक्सान हमें झेलना पडेगा। आज के पहले पाठ में प्रभु कहते है कि यदि तुम मेरी बात पर घ्यान दोगे, तो मैं तुम्हारा ईश्वर होऊॅगा और तुम मेरी प्रजा होगे। आईए हम प्रभु से जुडे रहे और उनके वचन के अनुसार जीवन बिताकर प्रभु की दृष्टि में एक सुन्दर जीवन बिताये।


-फादर शैलमोन आन्टनी


📚 REFLECTION


In the first reading God is having a complaint against the people of Israel, because even after seeing the miracles they are not trusting in the Lord and they are not walking in His ways. They are very stubborn like the ancestors. In today’s gospel also we have the same message. Jesus performed many miracles even after that people are not believing in Jesus; they are asking a sign from heaven.

There is another passage when Jesus pronounces woe to the unrepentant cities. Mt 11:20-24 Then he began to reproach the cities in which most of his deeds of power had been done, because they did not repent. Woe to you, Chorazin, woe to you Bethesaida! for if the deeds of power done in you had been done in Tyre and Sidon, they would have repented long ago in sackcloth and ashes. But I tell you, on the day of judgment it will be more tolerable for Tyre and Sidon than for you. And you Capernaum, will you be exalted to heaven? No, you will be brought down to Hades. For if the deeds of power done in you had been done in Sodom, it would have remained until this day. But I tell you that on the day of judgment it will be more tolerable for the land of Sodom than for you.

My dear friends, the Lord is performing his miracles and wonders in our days also. We have experienced and we have heard about the signs and wonders that the Lord is doing today in our lives. The Lord is doing all these because he wants to save each one of us. If we don’t make efforts to make our lives better, if we become stubborn then we will be the losers. In the first reading God says if you listen to my words then I will be your God and you will be my people. Come let us be close to God, and live our lives according to the word of God and live a beautiful life in the sight of God.

-Fr. Shellmon Antony


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Praise the Lord!