9) मैं देख ही रहा था कि सिंहासन रख दिये गये और एक वयोवृद्ध व्यक्ति बैठ गया। उसके वस्त्र हिम की तरह उज्जवल थे और उसके सिर के केश निर्मल ऊन की तरह।
10) उसका सिंहासन ज्वालाओं का समूह था और सिहंासन के पहिये धधकती अग्नि। उसके सामने से आग की धारा बह रही थी। सहस्रों उसकी सेवा कर रहे थे। लाखों उसके सामने खड़े थे। न्याय की कार्यवाही प्रारंभ हो रही थी। और पुस्तकें खोल दी गयीं।
13) तब मैंने रात्रि के दृश्य में देखा कि आकाश के बादलों पर मानवपुत्र-जैसा कोई आया। वह वयोवृद्ध के यहाँ पहुँचा और उसके सामने लाया गया।
14) उसे प्रभुत्व, सम्मान तथा राजत्व दिया गया। सभी देश, राष्ट्र और भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी उसकी सेवा करेंगे। उसका प्रभुत्व अनन्त है। वह सदा ही बना रहेगा। उसके राज्य का कभी विनाश नहीं होगा।
7) तब स्वर्ग में युद्ध छिड़ गया। मिखाएल और उसके दूतों को पंखदार सर्प से लड़ना पड़ा। पंखदार सर्प और उसके दूतों ने उनका सामना किया,
8) किन्तु वे नहीं टिक सके। और स्वर्ग में उनके लिए कोई स्थान नहीं रहा।
9) तब वह विशालकाय पंखदार सर्प वह पुराना सांप, जो इबलीस या शैतान कहलाता और सारे संसार को भटकाता है- अपने दूतों के साथ पृथ्वी पर पटक दिया गया।
10) मैंने स्वर्ग में किसी को ऊँचे स्वर से यह कहते सुना, ’अब हमारे ईश्वर की विजय, सामर्थ्य तथा राजत्व और उसके मसीह का अधिकार प्रकट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों का वह अभियोक्ता नीचे गिरा दिया गया है, जो दिन-रात ईश्वर के सामने उस पर अभियोग लगाया करता था।
11) "वे मेमने के रक्त और अपने साक्ष्य के द्वारा उस पर विजयी हुए, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का मोह छोड़ कर मृत्यु का स्वागत किया;
12) "इसलिए स्वर्ग और उसके निवासी आनन्द मनायें। किन्तु धिक्कार तुम्हें, ऐ पृथ्वी और समुद्र! क्योंकि शैतान, यह जान कर कि मेरा थोड़ा समय ही शेष है, तीव्र क्रोध के आवेश में तुम पर उतर आया है।"
47) ईसा ने नथानाएल को अपने पास आते देखा और उसके विषय में कहा, "देखो, यह एक सच्चा इस्राएली है। इस में कोई कपट नहीं।"
48) नथानाएल ने उन से कहा, "आप मुझे कैसे जानते हैं?" ईसा ने उत्तर दिया, "फिलिप द्वारा तुम्हारे बुलाये जाने से पहले ही मैंने तुम को अंजीर के पेड़ के नीचे देखा"।
49) नथानाएल ने उन से कहा, "गुरुवर! आप ईश्वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं"।
50) ईसा ने उत्तर दिया, "मैंने तुम से कहा, मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा, इसीलिए तुम विश्वास करते हो। तुम इस से भी महान् चमत्कार देखोगे।"
51) ईसा ने उस से यह भी कहा, "मैं तुम से यह कहता हूँ- तुम स्वर्ग को खुला हुआ और ईश्वर के दूतों को मानव पुत्र के ऊपर उतरते-चढ़ते हुए देखोगे"।
आज, माता कलीसिया, महादूत मिखाएल, गाब्रिएल और राफ़ाएल का महापर्व मानती है। प्रभु येसु अपने प्रेरितों और बाकी सभी लोगों के लिए, स्वर्गदूतों की उपस्थिति और उनके साथ उनके संबंध के बारे में बताते है।स्वर्गदूत ईश्वर की स्वर्गीय महिमा में हैं, जहां वे निरंतर मानवपुत्र, का बखान करते रहते हैं, वे उसे घेरे हुए हैं और उसकी सेवा में हैं।
स्वर्गदूतों का चढ़ना उतरना पुराने विधान के याकूब की उस घटना की याद दिलाता है, जब वो अपने पूर्वजों के देश की यात्रा कर रहा था और रस्ते में विश्राम करते वक्त उसे स्वप्न में उन्हें स्वर्गदूतों के दर्शन होते हैं जो एक रहस्यमयी में सीढ़ी से "उतरते और चढ़ते" थे , जो धरती से स्वर्ग तक पहुँची थी। हमें दिव्य संचार अथवा संवाद और स्वर्गदूतों की सक्रिय भूमिका के बीच संबंध पर ध्यान देना चाहिए कि किस प्रकार से ईश्वर स्वर्गदूतों इ माध्यम से अपने लोगों के संपर्क सधता है।
यूँ तो पवित्र बाइबल में स्वर्गदूतों के बारे में कई वर्णन है परन्तु मिखाएल, गाब्रिएल और राफ़ाएल अपनी अलग-अलग भूमिकाओं में दिखाई देते हैं; वे सबसे बड़े मिशनों में भेजे जाते हैं अतः वे महादूत अथवा स्वर्गदूतों के राजकुमार कहलाते हैं।
गेब्रियल को धन्य कुंवारी मारिया के पास मसीह की माँ बनने का संचार लेके भेजा गया था। (cf. लूकस 1: 28-30)। माइकल विद्रोही स्वर्गदूतों से लड़ता है जिन्हें स्वर्ग से बाहर निकाल दिया जाता है (cf. प्रकाशना 12)। आज संत मिखाएल सब प्रकार की शैतानी ताकतों के विरुद्ध हमारे आध्यात्मिक युद्ध में हमारे साथ रहकर हमारी ओर से लड़ता है और हमें विजय दिलाता है। राफ़ाएल युवक तोबियस के साथ जाता है, उसकी रक्षा करता है और उसे सलाह देता है, और आखिरकार, अपने पिता तोबित को चंगा करता है।
आज का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि स्वर्गदूत ईश्वर की सेवा निरंतर करते हैं पर वे हमारे खातिर ईश्वर की सेवा में लगे हैं। वे समय- समय पर ईश्वर की तरफ से हमारी मदद करते रहते हैं। इस पापमय दुनिया में बुरी आत्माओं, शैतान और उसकी सब प्रकार की बारे का सामना करने के लिए हम अकेले नहीं है. ये स्वर्गदूत हमारे साथ रहते हैं और हमारी आध्यतमिक लड़ाई में हमें सहारा व बल देते हैं।
आइये हम इन स्वर्गदूतों के सहयोग से इस संसार व सांसारिक प्रलोभनों, रोगों व बुराई की अन्य ताकतों को हराकर विजयमान मेमने के सम्मुख असंख्य दूतों व् संतों के साथ ईश्वर की महिमा गाने के काबिल बन जाएँ।
✍ - फादर प्रीतम वसुनिया (इन्दौर धर्मप्रांत)
Today, the mother Church celebrates the Solemnity of the Archangels Michael, Gabriel, and Raphael.The angels are in the heavenly glory of God, where they are constantly praising the Son of Man; they surround Him and serve Him. The ascending of the angels reminds us of the incident of Jacob of the Old Testament when he was traveling to the land of his ancestors and while resting on the road, he had a vision of angels who ascended and descended the ladder which reached from the earth to heaven.
We should pay attention to the connection between divine communication or dialogue and the active role of angels, how God communicates with people through angels.
Although there are many descriptions of angels in the Holy Bible, but Michael, Gabriel, and Raphael appear in important roles; they are sent in the biggest missions, so they are called the archangel or the prince of Angels. Gabriel was sent to the Blessed Virgin Mary carrying a message to become the mother of Christ. (cf. Lucas 1: 28–30). Michael fights rebellious angels who are cast out of heaven (cf. Revelation 12). Today St. Michael continues to fight on our behalf and gives us victory in our spiritual warfare against all kinds of evil forces. Raphael goes with the young man Tobias, protects and advises him, and finally, heals his father, Tobit.
Today's feast reminds us that angels continue to serve God, but they are engaged in serving God for our sake. They help us from time to time on behalf of God. In this sinful world we are not alone to face evil spirits. These angels are with us and support and provide supernatural powers to us in our spiritual battle.
✍ -Fr. Preetam Vasuniya (Indore Diocese)