24 अगस्त

सन्त लोरेन्स – त्योहार

📒 पहला पाठ : प्रकाशना ग्रन्थ 21:9b-14

9) स्वर्गदूत ने मेरे पास आ कर कहा, ’’आइए, मैं आप को दुल्हन, मेमने की पत्नी के दर्शन कराऊँगा।’’

10) मैं आत्मा से आविष्ट हो गया और स्वर्गदूत ने मुझे एक विशाल तथा ऊँचे पर्वत पर ले जा कर पवित्र नगर येरुसालेम दिखाया। वह ईश्वर के यहाँ से आकाश में उतर रहा था।

11) वह ईश्वर की महिमा से विभूषित था और बहुमूल्य रत्न तथा उज्ज्वल सूर्यकान्त की तरह चमकता था।

12) उसके चारों ओर एक बड़ी और उँची दीवार थी, जिस में बारह फाटक थे और हर एक फाटक के सामने एक स्वर्गदूत खड़ा था। फाटकों पर इस्राएल के बारह वंशों के नाम अंकित थे।

13) पूर्व की आरे तीन, उत्तर की और तीन, पश्चिम की आरे तीन और दक्षिण की ओर तीन फाटक थे।

14) नगर की दीवार नींव के बारह पत्थरों पर खड़ी थी और उन पर मेमने के बारह प्रेरितों के नाम अंकित थे।

📙 सुसमाचार : सन्त योहन 1:45-51

45) फिलिप नथानाएल से मिला और बोला, ‘‘मूसा ने संहिता में और नबियों ने जिनके विषय में लिखा है, वही हमें मिल गये हैं। वह नाज़रेत-निवासी, यूसुफ के पुत्र ईसा हैं।’’

46) नथानाएल ने उत्तर दिया, ‘‘क्या नाज़रेत से भी कोई अच्छी चीज़ आ सकती है?’’ फिलिप ने कहा, ‘‘आओ और स्वयं देख लो’’।

47) ईसा ने नथानाएल को अपने पास आते देखा और उसके विषय में कहा, ‘‘देखो, यह एक सच्चा इस्राएली है। इस में कोई कपट नहीं।’’

48) नथानाएल ने उन से कहा, ‘‘आप मुझे कैसे जानते हैं?’’ ईसा ने उत्तर दिया, ‘‘फिलिप द्वारा तुम्हारे बुलाये जाने से पहले ही मैंने तुम को अंजीर के पेड़ के नीचे देखा’’।

49) नथानाएल ने उन से कहा, ‘‘गुरुवर! आप ईश्वर के पुत्र हैं, आप इस्राएल के राजा हैं’’।

50) ईसा ने उत्तर दिया, ‘‘मैंने तुम से कहा, मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा, इसीलिए तुम विश्वास करते हो। तुम इस से भी महान् चमत्कार देखोगे।’’

51) ईसा ने उस से यह भी कहा, ‘‘मैं तुम से यह कहता हूँ- तुम स्वर्ग को खुला हुआ और ईश्वर के दूतों को मानव पुत्र के ऊपर उतरते-चढ़ते हुए देखोगे’’।

📚 मनन-चिंतन

आज माता कलीसिया प्रेरित सन्त बर्थलोमेओ का पर्व मनाती है। संत योहन के सुसमाचार में उनका नाम नथनीएल बताया गया है। जब फ़िलिप उसे बुलाता है और बताता है कि उन्हें मसीह मिल गए हैं तो नथनीएल फ़िलिप से कहता है, “क्या नाज़रेथ से भी कोई अच्छी चीज़ आ सकती है?” वे दोनों इस बात से भली-भाँति परिचित थे कि मसीह के बारे में मूसा और नबियों ने क्या कहा है, और मसीह कहाँ प्रकट होंगे। नथनीएल एकदम स्पष्टवादी है, वह कुछ भी अपने मन में नहीं रखता, वह अपनी भावनाएँ स्पष्ट रूप से प्रकट कर देता है।

प्रभु येसु उसे सच्चा इस्राएली कहकर बुलाते हैं, और उसे निष्कपट हृदय का व्यक्ति बुलाते हैं। प्रभु येसु सर्वज्ञ हैं, वह हमारे हृदय की गहराई में भेद भी जानते हैं। जिनका हृदय पवित्र है, वह उनसे मित्रता करते हैं, और वे लोग ही ईश्वर के दर्शन कर पाएँगे। “धन्य हैं वे जिनका हृदय निर्मल है, वे ईश्वर के दर्शन करेंगे।(मत्ती 5:8)। चूँकि नथानिएल का हृदय निर्मल था इसलिए वह तुरंत प्रभु को पहचान जाता है, और बोल उठता है, “आप ईश्वर के पुत्र हैं; आप इसराएल के राजा हैं।” लोग हमें भला व्यक्ति समझेंगे हमारी भलाई की प्रशंसा करेंगे, लेकिन जो सर्वज्ञ है वही हमारे अंतरतम को जानता है। इससे बड़ा और क्या सम्मान है कि प्रभु येसु द्वारा हमें “निष्कपट हृदय वाला व्यक्ति” कह कर पुकारा जाए। आइए हम संत बार्थलमेओ से प्रार्थना करें कि वह हमें निष्कपट हृदय वाले व्यक्ति बनने में मदद करें ताकि हम ईश्वर के दर्शन कर सकें। आमेन।

- फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

Today Mother Church celebrates the feast of St. Bartholomew, the apostle. He is referred as Nathanael in the gospel according to St. John. When Philip calls him and tells him about the discovery of Messiah, Nathanael tells Philip “Can anything good come from Nazareth?” Both of them were well versed about the coming of Messiah and what was told about Messiah by Moses and other prophet. Nathanael is straight forward, he does not keep anything in his heart, he clearly tells what he feels.

Jesus identifies him as a true child of Israel, a man without guile. Jesus is all knowing Messiah, he knows even the most inner thoughts of our hearts. He befriends only those whose heart is pure, and only they can see God. “Blessed are the pure in heart, for they shall see God” (Mt.5:8). That’s why Nathanael immediately recognises Jesus and proclaims, “….You are the son of God; You are the king of Israel.” People may call us good person, they may see goodness in us but only authority who can truly tell about our goodness is the one who knows our inmost. It is great privilege to be called by Jesus “a man without guile”. Let us pray to St. Bartholomew to help us to become people of pure heart, so that we can see God.

-Fr. Johnson B.Maria (Gwalior)


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