25 मार्च

प्रभु के शरीरधारण का सन्देश - समारोह

पहला पाठ : इसायाह 7:10-14;8:10

7:10) प्रभु ने फिर आहाज़ से यह कहा,

11) “चाहे अधोलोक की गहराई से हो, चाहे आकाश की ऊँचाई से, अपने प्रभु-ईश्वर से अपने लिए एक चिन्ह माँगो“।

12) आहाज़ ने उत्तर दिया, “जी नहीं! मैं प्रभु की परीक्षा नहीं लूँगा।“

13) इस पर उसने कहा, “दाऊद के वंश! मेरी बात सुनो। क्या मनुष्यों को तंग करना तुम्हारे लिए पर्याप्त नहीं है, जो तुम ईश्वर के धैर्य की भी परीक्षा लेना चाहते हो?

14) प्रभु स्वयं तुम्हें एक चिन्ह देगा और वह यह है - एक कुँवारी गर्भवती है। वह एक पुत्र को प्रसव करेगी और वह उसका नाम इम्मानूएल रखेगी।

8:10) योजना बनाओ - वह असफ़ल होगी; विचार - विमर्श करो - वह व्यर्थ होगा; क्योंकि ईश्वर हमारे साथ है।

दूसरा पाठ : 1 इब्रानियों 10:4-10

4) सांडों तथा बकरों का रक्त पाप नहीं हर सकता,

5) इसलिए मसीह ने संसार में आ कर यह कहा: तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा, बल्कि तूने मेरे लिए एक शरीर तैयार किया है।

6) तू न तो होम से प्रसन्न हुआ और न प्रायश्चित्त के बलिदान से;

7) इसलिए मैंने कहा - ईश्वर! मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ, जैसा कि धर्मग्रन्थ में मेरे विषय में लिखा हुआ है।

8) मसीह ने पहले कहा, "तूने यज्ञ, चढ़ावा, होम या या प्रायचित्त का बलिदान नहीं चाहा। तू उन से प्रसन्न नहीं हुआ", यद्यपि ये सब संहिता के अनुसार ही चढ़ाये जाते हैं।

9) तब उन्होंने कहा, "देख, मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ"। इस प्रकार वह पहली व्यवस्था को रद्द करते और दूसरी का प्रवर्तन करते हैं।

10) ईसा मसीह के शरीर के एक ही बार बलि चढ़ाये जाने के कारण हम ईश्वर की इच्छा के अनुसार पवित्र किये गये हैं।

सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 1:26-38

26) छठे महीने स्वर्गदूत गब्रिएल, ईश्वर की ओर से, गलीलिया के नाजरेत नामक नगर में एक कुँवारी के पास भेजा गया,

27) जिसकी मँगनी दाऊद के घराने के यूसुफ नामक पुरुष से हुई थी, और उस कुँवारी का नाम था मरियम।

28) स्वर्गदूत मे उसके यहाँ अन्दर आ कर उससे कहा, “प्रणाम, प्रभु की कृपापात्री! प्रभु आपके साथ है।"

29) वह इन शब्दों से घबरा गयी और मन में सोचती रही कि इस प्रणाम का अभिप्राय क्या है।

30) तब स्वर्गदूत ने उस से कहा, "मरियम! डरिए नहीं। आप को ईश्वर की कृपा प्राप्त है।

31) देखिए, आप गर्भवती होंगी, पुत्र प्रसव करेंगी और उनका नाम ईसा रखेंगी।

32) वे महान् होंगे और सर्वोच्च प्रभु के पुत्र कहलायेंगे। प्रभु-ईश्वर उन्हें उनके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा,

33) वे याकूब के घराने पर सदा-सर्वदा राज्य करेंगे और उनके राज्य का अन्त नहीं होगा।"

34) पर मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, "यह कैसे हो सकता है? मेरा तो पुरुष से संसर्ग नहीं है।"

35) स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, "पवित्र आत्मा आप पर उतरेगा और सर्वोच्च प्रभु की शक्ति की छाया आप पर पड़ेगी। इसलिए जो आप से उत्पन्न होंगे, वे पवित्र होंगे और ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे।

36) देखिए, बुढ़ापे में आपकी कुटुम्बिनी एलीज़बेथ के भी पुत्र होने वाला है। अब उसका, जो बाँझ कहलाती थी, छठा महीना हो रहा है;

37) क्योंकि ईश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।"

38) मरियम ने कहा, "देखिए, मैं प्रभु की दासी हूँ। आपका कथन मुझ में पूरा हो जाये।" और स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।

📚 मनन-चिंतन

आज हम प्रभु येसु के जन्म का संदेश का पर्व मना रहे है। पिता ईश्वर को हम धन्यवाद दे क्योंकि ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उसमें विश्वास करता है, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे। आजा के दूसरे पाठ में इब्रानियों 10ः4 सॉडों तथा बकरों का रक्त पाप नहीं हर सकता। इसलिए येसु आये। वचन कहता है इब्रानियों 10ः10 ईसा मसीह के शरीर के एक ही बार बलि चढ़ाये जाने के कारण हम ईश्वर की इच्छा के अनुसार पवित्र किये गये है ।

स्वर्गदूत गब्रिएल, ईश्वर की ओर से, माता मरियम के पास आये और कहा कि आप गर्भवती होंगी, पुत्र प्रसव करेंगी और उनका नाम ईसा रखेंगी। पिता ईश्वर ने माता मरियम को विशेष रूप में चुना और माता मरियम उनकी बुलाहट के अनुसार एक पवित्र जीवन बितायी। इसलिए वह प्रभु की कृपापात्री बन गयी। हमारी भी बुलाहट यही है कि येसु को हमारे जीवन में जन्म देना। हम सब बाप्तिस्मा संस्कार द्वारा प्रभु येसु मसीह को धारण किया है। संत पौलूस गलातियों 2ः20 में कहते है मैं अब जीवित नहीं रहा, बल्कि मसीह मुझ में जीवित हैं। अब मैं अपने शरीर में जो जीवन जीता हूॅू, उसका एकमात्र प्रेरणा स्रोत है-ईश्वर के पुत्र में विश्वास, जिसने मुझे प्यार किया और मेरे लिए अपने को उर्पित किया।

प्रभु हमारे जीवन में भी जन्म लेना चाहते है। चाहे आपकी परिस्थीति जो भी क्यों न हो, येसु हमारे अन्दर जन्म लेना चाहते है। हमें माता मरियम के जैसे विश्वास होना जरूरी है। माता मरियम कुवांरी होने के बावजूद भी इस पर विश्वास करती है और कहती है कि मैं प्रभु की दासी हॅू तेरा कथन मुझ में पूरा हो जाये। इसलिए एलीज़बेथ माता मरियम से कहती है लूकस 1ः45 धन्य है आप, जिन्होंने यह विश्वास किया कि प्रभु ने आप से जो कहा, वह पूरा हो जायेगा। प्यारे विश्वासियों वचन कहता है माकुस 9ः23 विश्वास करने वालों के लिए सबकुछ संभव है।


-फादर शैलमोन आन्टनी


📚 REFLECTION


Today the Church is celebrating the feast of Annunciation. We thank God the Father for He so loved the world that he gave his only Son, so that everyone who believes in him may not perish but may have eternal life. In today’s second reading Heb 10:4 for it is impossible for the blood of bulls and goats to take away sins. Therefore Jesus the sinless lamb was sent. The word of God says Heb 10:10 and it is by God’s will that we have been sanctified through the offering of the body of Jesus Christ once for all.

Angel Gabriel came from God, to convey message to Mary and the angel said to Mary: you will conceive in your womb and bear a son, and you will name him Jesus. God the Father chose Mary very specially and Mary lived a pure life according to the vocation she received. Therefore she became highly favoured one in the sight of God the Father. Our vocation is also like that of Mary, that is to give birth to Jesus in our life, to become another Christ. We have put on Jesus through the baptism we have received. St. Paul says in Gal 2:20 it is no longer I who live, but it is Christ who lives in me. And the life I now live in the flesh I live by faith in the Son of God who loved me and gave himself for me.

Jesus wants to take birth in our lives too. No matter what is our situation, even if we are sinful, Jesus wants to come inside of us. We need to have faith like Mary in order to give birth to Jesus in our life. Mary though she was a virgin she believed that what the angel said would happen therefore she said behold the handmaid of the Lord, be it done unto me according to your word. It is because of this Elizabeth said to Mary: blessed is she who believed that there would be a fulfillment of what was spoken to her by the Lord. So let us also believe that Jesus can take birth in us if we with faith allow him. Remember the word of God Mk 9:23 everything is possible for the one who believes.

-Fr. Shellmon Antony


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Praise the Lord!