चक्र - स - प्रभु येसु के पवित्र हृदय का त्योहार



पहला पाठ : एज़ेकिएल 34:11-16

11) “क्योंकि प्रभु-ईश्वर यह कहता है- मैं स्वयं अपनी भेड़ों को सुध लूँगा और उनकी देखभाल करूँगा।

12) भेड़ों के भटक जाने पर जिस तरह गडे़रिया उनका पता लगाने जाता है, उसी तरह में अपनी भेडें खोजने जाऊँगा। कुहरे और अँधेरे में जहाँ कहीं वे तितर-बितर हो गयी हैं, मैं उन्हें वहाँ से छुडा लाऊँगा।

13) मैं उन्हें राष्ट्रों में से निकाल कर और विदेशों से एकत्र कर उनके अपने देश में लौटा लाऊँगा। मैं उन्हें इस्राएल के पहाड़ों पर, घाटियों में और देश भर के बसे हुए स्थानों पर चाराऊँगा।

14) मैं उन्हें अच्छे चरागाहों में ले चलूँगा। वे इस्राएल के पर्वतों पर चरेंगी। वहाँ वे अच्छे चरागाहों में विश्राम करेंगी और इस्राएल के पर्वतों की हरी-भरी भूमि में चरेगी।

15) प्रभु कहता है - मैं स्वयं अपने भेड़ें चराऊँगा और उन्हें विश्राम करने की जगह दिखाऊँगा।

16) जो भेड़ें खो गयी हैं, मैं उन्हें खोज निकालूँगा; जो भटक गयी हैं, मैं उन्हें लौटा लाऊँगा; घायल हो गयी हैं, उनके घावों पर पट्टी बाँधूगा; जो बीमार हैं, उन्हें चंगा करूँगा; जो मोटी और भली-चंगी हैं, उनकी देखरेख करूँगा। मैं उनका सच्चा चरवाहा होऊँगा।

दूसरा पाठ : रोमियों 5:5-11

5) आशा व्यर्थ नहीं होती, क्योंकि ईश्वर ने हमें पवित्र आत्मा प्रदान किया है और उसके द्वारा ही ईश्वर का प्रेम हमारे हृदयों में उमड़ पड़ा है।

6) हम निस्सहाय ही थे, जब मसीह निर्धारित समय पर विधर्मियों के लिए मर गये।

7) धार्मिक मनुष्य के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाये,

8) किन्तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मर गये थे। इस से ईश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।

9) जब हम मसीह के रक्त के कारण धार्मिक माने गये, तो हम निश्चिय ही मसीह द्वारा ईश्वर के दण्ड से बच जायेंगे।

10) हम शत्रु ही थे, जब ईश्वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्यु द्वारा हो गया था और उसके साथ मेल हो जाने के बाद उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्चय ही हमारा उद्धार होगा।

11) इतना ही नहीं, अब तो हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा ईश्वर से हमारा मेल हो गया है; इसलिए हम उन्हीं के द्वारा ईश्वर पर भरोसा रख कर आनन्दित हैं।

सुसमाचार : लूकस 15:4-7

4) "यदि तुम्हारे एक सौ भेड़ें हों और उन में एक भी भटक जाये, तो तुम लोगों में कौन ऐसा होगा, जो निन्यानबे भेड़ों को निर्जन प्रदेश में छोड़ कर न जाये और उस भटकी हुई को तब तक न खोजता रहे, जब तक वह उसे नहीं पाये?

5) पाने पर वह आनन्दित हो कर उसे अपने कन्धों पर रख लेता है

6) और घर आ कर अपने मित्रों और पड़ोसियों को बुलाता है और उन से कहता है, ’मेरे साथ आनन्द मनाओ, क्योंकि मैंने अपनी भटकी हुई भेड़़ को पा लिया है’।

7) मैं तुम से कहता हूँ, इसी प्रकार निन्यानबे धर्मियों की अपेक्षा, जिन्हें पश्चात्ताप की आवश्यकता नहीं है, एक पश्चात्तापी पापी के लिए स्वर्ग में अधिक आनन्द मनाया जायेगा।


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