चक्र - स - आगमन का दूसरा रविवार



पहला पाठ : बारूक का ग्रन्थ 5:1-9

1) येरुसालेम! अपने शोक और सन्ताप के वस्त्र उतार और सदा के लिए ईश्वर की महिमा का सौंदर्य धारण कर।

2) तू ईश्वरीय न्यास का लबादा पहन कर अपने सिर पर प्रभु का दिया हुआ गौरव का मुकुट रख ले;

3) क्योंकि ईश्वर पृथ्वी भर के लोगों पर तेरी महिमा प्रकट करेगा

4) और सदा के लिए तेरा यह नाम रखेगा- न्याय की शान्ति और धार्मिकता की महिमा।

5) येरुसालेम! उठ खड़ा हो जा, पर्वत पर चढ़ कर पूर्व की ओर दृष्टि लगा। देख, प्रभु की आज्ञा से तरे पुत्र पश्चिम और पूर्व से एकत्र हो गये हैं। वे आनन्द मना रहे हैं, क्योंकि ईश्वर ने उनकी सुध ली है।

6) शत्रुओं ने उन्हें बाध्य किया था कि वे तुझ को छोड़़ कर पैदल ही चले जायें, परन्तु ईश्वर उन्हें राजसी पालकी में ेबैठा कर तेरे पास वापस ले आ रहा है।

7) ईश्वर का आदेश है कि हर एक ऊँचा पहाड़ और सभी चिरस्थायी पहाडियाँ समतल की जायें और हर एक घाटी पाट कर भर दी जाये, जिससे इस्राएली महिमामय प्रभु की रक्षा में सुरक्षित आगे बढ़ सके।

8) ईश्वर के आदेश पर सभी वन और सुगन्धित वृक्ष इस्राएल पर छाया करेंगे;

9) क्योंकि दयामय तथा न्यायी ईश्वर इस्राएल को आनद प्रदान करेगा और अपनी महिमा के प्रकाश से उसका पथप्रदर्शन करेगा।

दूसरा पाठ: फ़िलिप्पियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 1:4-6.8-11

4) मैं हमेशा अपनी हर प्रार्थना में आनन्द के साथ आप सबों के लिए विनती करता हूँ;

5) क्योंकि आप प्रारम्भ से अब तक सुसमाचार के कार्य में सहयोग देते आ रहे हैं।

6) जिसने आप लोगों में यह शुभ कार्य आरम्भ किया, वह उसे ईसा मसीह के आगमन के दिन तक पूर्णता तक पहुँचा देगा। इसका मुझे पक्का विश्वास है।

8) ईश्वर जानता है कि मैं ईसा मसीह के प्रेम से प्रेरित हो कर आप लोगों को कितना चाहता हूँ।

9) ईश्वर से मेरी प्रार्थना यह है कि आपका प्रेम, ज्ञान तथा हर प्रकार की अन्तर्दृष्टि में, बराबर बढ़ता जाये,

10) जिससे जो श्रेय है, आप उसे पहचानें और प्यार करें। इस तरह आप लोग मसीह के आगमन के दिन पवित्र तथा निर्दोष होंगे।

11) और ईश्वर की महिमा तथा प्रशंसा के लिए ईसा मसीह के द्वारा परिपूर्ण धार्मिकता तक पहुँच जायेंगे।

सुसमाचार : सन्त लूकस का सुसमाचार 3:1-6

1) जब कैसर तिबेरियुस के शासनकाल के पन्द्रहवें वर्ष में पोंतियुस पिलातुस यहूदिया का राज्यपाल था; हेरोद गलीलिया का राजा, उसका भाई फि़लिप इतूरैया और त्रखोनितिस का राजा और लुसानियस अबिलेने का राजा था;

2) जब अन्नस तथा कैफ़स प्रधानयाजक थे, उन्हीं दिनों ज़करियस के पुत्र योहन को निर्जन प्रदेश में प्रभु की वाणी सुनाई पड़ी।

3) वह यर्दन के आसपास के समस्त प्रदेश में घूम-घूम कर पापक्षमा के लिए पश्चात्ताप के बपतिस्मा का उपदेश देता था,

4) जैसा कि नबी इसायस की पुस्तक में लिखा है: निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज़- प्रभु का मार्ग तैयार करो; उसके पथ सीधे कर दो।

5) हर एक घाटी भर दी जायेगी, हर एक पहाड़ और पहाड़ी समतल की जायेगी, टेढ़े रास्ते सीधे और ऊबड़-खाबड़ रास्ते बराबर कर दिये जायेंगे

6) और सब शरीरधारी ईश्वर के मुक्ति-विधान के दर्शन करेंगे।

मनन-चिंतन

नबी बारूक और नबी यिरमियाह का नबूबत कार्यकाल छठवें शताब्दी ई.पू. था। नबी बारूक, नबी यिरमियाह के सचिव थे। सन् 612 ई. पू. खलदैयियों के राजा नबूकदनेजर ने यूदा देश को अपने अधीन कर दिया। नबियों ने यहूदी लोगों को समझाया कि वे अपने पापों पर पश्चाताप करें और तभी उन्हें मुक्ति होगी। यहूदी नेताओं ने नबियों की बात न मानी और नबूकदनेजर के विरूद्ध विद्रोह किया और नबूकदनेजर ने 587 ई. पू. में येरूसलेम को तथा येरूसलेम मन्दिर को नष्ट कर दिया और यहूदि लोगों को निर्वासित कर बाबूल ले जाया गया। नबी बारूक और नबी यिरमियाह को भी निर्वासन में ले जाया गया।

नबी बारूक उन व्यथित, उदास, निर्वासित लोगों को बता रहे है, आज का पहला पाठ के द्वारा कि उनकी मुक्ति का दिन आ गया है और विलाप न करें। “येरूसलेम, अपने शोक और सन्ताप के वस्त्र उतार, और सदा के लिए ईश्वर की महिमा धारण कर। ... येरूसलेम, उठ खडे हो जा, पर्वत पर चढ कर पूर्व की ओर दृष्टि लगा। देख, प्रभु की आज्ञा से तेरे पुत्र पश्चिम और पूर्व से एकत्र हो गये है। वे आनन्द मना रहे है क्योंकि ईश्वर ने उन की सुध ली है (बारूक 5:1,5)। यह यहूदियों के लिए बहुत बडी खूशखबरी थी। नबी बारूक की यह भविष्यवाणी की पूर्ति सन् 538 ई. पू. में होती है जब पेसिया के राजा सैरा ने बाबूल पर कब्जा कर यहूदी लोगों को आजादी दी। उन लोगों ने यरूसलेम नगर की पुन:स्थापना और मन्दिर का पुनःनिर्माण किए। उस प्रकार यहूदी लोग यहोवा के नाम पर पुनः एकत्रित हो गए।

योहन बपतिस्ता आज के सुसमाचार में उद्घोषणा करते हैं कि न केवल यहूदी लोग बल्कि सब राष्ट्र के लोग मासीह की ओर आ जायेंगे। पाप की गुलामी में जीवन बिताने वाले लोगों को मसीह की ओर आना और मसीह को स्वीकार कर मसीह में जीना ही सच्ची आजादी है, सच्ची मुक्ति है। अतः पश्चाताप के जरिए ह्रदय को शुद्व करने के लिए योहन बपतिस्ता आह्वान करते है।

येरूसलेम शहर कलीसिया का प्रतीक है। कलीसिया में सब राष्ट्र के लोग एकत्रित हो जायेंगे और सब इश्वर के मुक्तिविधान का दर्शन करेंगे। मुक्ति केवल प्रभु येसु मसीह के द्वारा ही संभव है। “किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा मुक्ति नहीं मिल सकती; क्योंकि समस्त संसार में ईसा नाम के सिवा मनुष्यों को दूसरा नाम नहीं दिया गया है, जिसके द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है” (प्रेरित 4:12)।

विनम्र लोग ही ईश्वर द्वारा प्रदत्त मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। योहन बपतिस्ता येसु समक्ष विनम्र होकर दीनता से येसु से मुक्ति हाजि़ल करने की इच्छा जाहिर करते हुए कहते हैं – “मुझे तो आपसे बपतिस्मा पाने की जरूरत है...” (मत्ति 3:14)। ऐसे विनम्र योहन बपतिस्ता को ईश्वर ने यर्दन नदी के आसपास के लोगों को तथा अन्य जगहों सें आये लोगों को पश्चाताप का सन्देश सुनाने और मसीह के लिए रास्ता तैयार करने के हेतु भेजा है।

पौलुस तथा फिलीप्पि की छोटी सी कलीयिसा विनम्रता एवं सुसमाचर प्रचार का अनूठा उदाहरण है। पौलुस आज के दूसरे पाठ में फिलिप्पि के ख्रीस्तीय लोगों को बताते है कि -

☞ येसु ख्रीस्त तथा उनके मुक्ति कार्य की ज्ञान उनमें गहरा होता जायें;

☞उनके बीच का आपसी प्रेम दिनों दिन बढता जायें;

☞ वे कलंक रहित जीवन बिताने के लिए हरगिज प्रयास करते रहें ताकि येसु मसीह अपना मुक्ति कार्य उन लोगों में पूरा करें।

यह आगमन काल का समय हम लोगों में येसु की ज्ञान गहरा कर दें; हम लोगों में आपसी प्यार बढता जायें तथा निष्कलंक जीवन बिताते हुए येसु की मुक्ति हम लोंगों में सम्पन्न हो जायें एवं येसु के मुक्ति कार्य को हर दिलों तक पहुँचा सकें।

फादर डोमिनिक थॉमस – जबलपूर धर्मप्रान्त


Copyright © www.jayesu.com
Praise the Lord!