चक्र - ब - वर्ष का उन्नीसवाँ सामान्य इतवार



पहला पाठ : राजाओं का पहला ग्रन्थ 19:4-8

4) और वह मरुभूमि में एक दिन का रास्ता तय कर एक झाड़ी के नीचे बैठ गया और यह कह कर मौत के लिए प्रार्थना करने लगा, ‘‘प्रभु! बहुत हुआ। मुझे उठा ले, क्योंकि मैं अपने पुरखों से अच्छा नहीं हूँ।’’

5) वह झाड़ी के नीचे लेट कर सो गया। किन्तु एक स्वर्गदूत ने उसे जगा कर कहा, ‘‘उठिए और खाइए’’।

6) उसने देखा कि उसके सिरहाने पकायी हुई रोटी और पानी की सुराही रखी हुई है। उसने खाया-पिया और वह फिर लेट गया।

7) किन्तु प्रभु के दूत ने फिर आ उसका स्पर्श किया और कहा, ‘‘उठिए और खाइए, नहीं तो रास्ता आपके लिए अधिक लम्बा हो जायेगा’’।

8) उसने उठ कर खाया-पिया और वह उस भोजन के बल पर चालीस दिन और चालीस रात चल कर ईश्वर के पर्वत होरेब तक पहुँचा।

दूसरा पाठ: एफ़ेसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 4:30-5:2

30) पवित्र आत्मा ने मुक्ति के दिन के लिए आप लोगों पर अपनी मोहर लगा दी है। आप उसे दुःख नहीं दें।

31) आप लोग सब प्रकार की कटुता, उत्तेजना, क्रोध, लड़ाई-झगड़ा, परनिन्दा और हर तरह की बुराई अपने बीच से दूर करें।

32) एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह ईश्वर ने मसीह के कारण आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।

1) आप लोग ईश्वर की प्रिय सन्तान हैं, इसलिए उसका अनुसरण करें

2) और प्रेम के मार्ग पर चलें, जिस तरह मसीह ने आप लोगों को प्यार किया और सुगन्धित भेंट तथा बलि के रूप में ईश्वर के प्रति अपने को हमारे लिए अर्पित कर दिया।

3) जैसा कि सन्तों के लिए उचित है, आप लोगों के बीच किसी प्रकार के व्यभिचार और अशुद्धता अथवा लोभ की चर्चा तक न हो,

4) और न भद्यी, मूर्खतापूर्ण या अश्लील बातचीत; क्योंकि यह अशोभनीय है- बल्कि आप ईश्वर को धन्यवाद दिया करें।

5) आप लोग यह निश्चित रूप से जान लें कि कोई व्यभिचारी, लम्पट या लोभी - जो मूर्तिपूजक के बराबर है- मसीह और ईश्वर के राज्य का अधिकारी नहीं होगा।

सुसमाचार : सन्त योहन का सुसमाचार 6:41-51

41) ईसा ने कहा था, ‘‘स्वर्ग से उतरी हुई रोटी मैं हूँ’’। इस पर यहूदी यह कहते हुए भुनभुनाते थे,

42) ‘‘क्या वह यूसुफ का बेटा ईसा नहीं है? हम इसके माँ-बाप को जानते हैं। तो यह कैसे कह सकता है- मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?’’

43) ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, ‘‘आपस में मत भुनभुनाओ।

44) कोई मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक कि पिता, जिसने मुझे भेजा, उसे आकर्षित नहीं करता। मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूंगा।

45) नबियों ने लिखा है, वे सब-के-सब ईश्वर के शिक्षा पायेंगे। जो ईश्वर की शिक्षा सुनता और ग्रहण करता है, वह मेरे पास आता है।

46) ‘‘यह न समझो कि किसी ने पिता को देखा है; जो ईश्वर की ओर से आया है, उसी ने पिता को देखा है

47) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ- जो विश्वास करता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है।

48) जीवन की रोटी मैं हूँ।

49) तुम्हारे पूर्वजों ने मरुभूमि में मन्ना खाया, फिर भी वे मर गये।

50) मैं जिस रोटी के विषय में कहता हूँ, वह स्वर्ग से उतरती है और जो उसे खाता है, वह नहीं मरता।

51) स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खायेगा, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी में दूँगा, वह संसार के लिए अर्पित मेरा मांस है।’’


मनन-चिंतन

राजाओं के दूसरे ग्रंथ में हम नबी एलियस के जीवन की उस घटना के बारे में पढते हैं जब वे शत्रुओं से भाग रहे थे। थकान, भूख और विषम परिस्थितियों के कारण वे अत्याधिक क्षीण होकर सो जाते हैं। इस दौरान स्वर्गदूत उन्हें जगाते तथा रोटी और जल प्रदान करते हैं। इस प्रकार ईश्वर स्वयं नबी को रोटी प्रदान करते हैं। (1राजाओं 19:4-8) धर्मग्रंथ में अनेक अवसरों पर ईश्वर मनुष्यों को रोटी प्रदान करते हैं। मरूभूमि में ईश्वर लोगों को मन्ना अर्थात रोटी प्रदान करते हैं। ’’प्रभु ने मूसा से कहा, मैं तुम लोगों के लिए आकाश से रोटी बरसाऊँगा।...मूसा ने लोगों से कहा, ’’यह वही रोटी है, जिसे प्रभु तुम लोगों को खाने के लिए देता है।’’ (निर्गमन 16:4,15) जब नबी दानिएल को सिंहों के खडड में डाल दिया गया था तो ईश्वर नबी हबक्कूक को दानिएल के लिए भोजन ले जाने को कहते हैं, ’’प्रभु के दूत ने हबक्कूक से कहा, ’अपने पास का यह भोजन बाबुल के सिंहों के खड्ड में दानिएल के पास ले जाओ’’। (दानिएल 14:34) इसी प्रकार प्रभु सरेप्ता की विधवा को भी अकाल के दौरान रोटी प्रदान करते हैं। ’’इस्राएल का प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः जिस दिन तक प्रभु पृथ्वी पर पानी न बरसाये, उस दिन तक न तो बर्तन में आटा समाप्त होगा और न तेल की कुप्पी खाली होगी।’’ (1राजाओं 17:14) सुसमाचार में येसु रोटी के चमत्कार के द्वारा लोगों के लिए रोटी का प्रबंध करते हैं, (मत्ती 14:13-21; मारकुस 6:30-44; लूकस 9:10-17; योहन 6:1-15)

योहन 6:41-51 में येसु समझाते हैं कि जो रोटी मरुभूमि में उन्हें प्रदान की गयी थी वह रोटी सचमुच में ईश्वर ने प्रदान की थी किन्तु वह भोजन मात्र था जिसका उद्देश्य शारीरिक भूख मिटाना था। वह रोटी उन्हें अनंत मृत्यु से बचाने में असमर्थ थी। ’’तुम्हारे पूर्वजों ने मरुभूमि में मन्ना खाया; फिर भी वे मर गये।’’ किन्तु येसु आगे कहते हैं ’’स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवंत रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खाये, तो वह सदा जीवित रहेगा।’’

येसु ने शिष्यों के साथ अपने भोज में यूखारिस्त की स्थापना करते हुये पुनः अपने शरीर को रोटी के रूप में घोषित किया, ’’यह मेरा शरीर है, जो तुम्हारे लिए दिया जा रहा है। यह मेरी स्मृति में किया करो’’ (लूकस 22:19) (देखिए मत्ती 26:26; मारकुस 14:22; 1कुरि.11:24) येसु तो उस भोज के दौरान रोटी देते हैं किन्तु कलवारी पर वह अपने शरीर, जिसे उन्होंने रोटी कहा था, को क्रूस पर चढा कर सचमुच में अपने शरीर को वह रोटी बना देते हैं जो हम विश्वासियों को मुक्ति प्रदान करेगी।

जो येसु को रोटी के रूप में ग्रहण करता है वह अपने जीवन में क्रूस की शिक्षा को भी अपनाता है। इसके द्वारा वह सदैव प्रभु में जीवित रहता है तथा प्रभु उसमें। इस विश्वास के द्वारा हम जीवन की सारी अनिश्चिताओं एवं विपत्तियों पर विजयी प्राप्त कर सकते हैं। येसु जो ’स्वर्ग से उतरी जीवंत रोटी’ के रहस्य हैं, उनको समझने के लिए विश्वास की आवश्यकता पडती है जो केवल पिता ही दे सकता है। ’’कोई मेरे पास तक नही आ सकता जब तक कि पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे आकर्षित न करे।’’(योहन 6:44) ’’इसलिए मैंने तुम लोगों से यह कहा कि कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक उसे पिता से यह वरदान न मिला हो।’’ (6:65) इसलिए हमें येसु में ईश्वरीयता को पहचानने तथा उसे स्वीकार करने के लिए विश्वास के वरदान के लिए पिता से प्रार्थना करना चाहिए तथा सांसारिक सोच से ऊपर उठकर येसु को अपनाना चाहिए। यहूदी येसु को मात्र मनुष्य समझते और तिरस्कृत करते हुए कहते हैं, ’’क्या यह यूसुफ का बेटा येसु नहीं है? हम इसके मॉ-बाप को जानते हैं। तो यह कैसे कह सकता है-मैं स्वर्ग से उतरा हूँ?’’ ऐसी सांसारिक सोच के विरूद्ध संत पौलुस चेतावनी देते हैं, ’’यदि मसीह पर हमारा भरोसा इस जीवन तक ही सीमित है, तो हम सब मनुष्यों में सब से अधिक दयनीय है। (1 कुरि. 15:19) कई बार हमारी सोच इस नश्वर संसार तक सीमित रहती है। इस कारण हम येसु में अंनत जीवन के महान रहस्य को समझने में विफल होकर भटकते रहते हैं। आईये हम विश्वास के वरदान के लिए प्रार्थना करे तथा येसु जो जीवंत रोटी है को ग्रहण कर अंनत जीवन प्राप्त करे।

फादर रोनाल्ड वाँन


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