14) याजकों के नेताओं में और जनता में भी बहुत अधिक अधर्म फैल गया, क्योंकि उन्होंने गै़र-यहूदी राष्ट्रों के घृणित कार्यों का अनुकरण किया और प्रभु द्वारा प्रतिष्ठित येरुसालेम को मन्दिर अपवित्र कर दिया।
15) प्रभु, उनके पूर्वजों का ईश्वर उनके पास अपने दूतों को निरन्तर भेजता रहा; क्योंकि उसे अपने मन्दिर तथा अपनी प्रजा पर तरस आता था।
16) किन्तु उन्होंने ईश्वर के दूतों का उपहास किया, उसके उपदेशों का तिरस्कार किया और उसके नबियों की हँसी उड़ायी। अन्त में ईश्वर का क्रोध अपनी प्रजा पर फूट पड़ा और उस से बचने का कोई उपाय नहीं रहा।
19) बाबुल के लोगों ने ईश्वर का मन्दिर जलाया, येरुसालेम की चारदीवारी गिरा दी, उसके सब महलों का आग लगा कर सर्वनाश किया और उसकी सब बहुमूल्य वस्तुएँ नष्ट कर दीं।
20) जो लोग तलवार से बच गये, उन्हें बन्दी बना कर बाबुल ले जाया गया। वहाँ वे तब तक राजा और उसके वंशजों के दास बने रहे, जब तक फ़ारसी लोगों का राज्य स्थापित नहीं हुआ।
21) इस तरह यिरमियाह के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो गया- ‘विश्राम-दिवस अपवित्र करने के प्रायश्चित के रूप में यूदा की भूमि उजड़ कर सत्तर वर्षाें तक परती पड़ी रहेगी’।
22) यिरमियाह द्वारा घोषित अपनी वाणी पूरी करने के लिए प्रभु ने फ़ारस के राजा सीरुस को उसके शासनकाल के प्रथम वर्ष में प्रेरित किया कि वह अपने सम्पूर्ण राज्य में यह लिखित राजाज्ञा प्रसारित करेः
23) ‘‘फ़ारस के राजा सीरुस कहते हैः प्रभु, स्वर्ग के ईश्वर ने मुझे पृथ्वी के सब राज्य प्रदान किये और उसने मुझे यहूदिया के येरुसालेम में एक मन्दिर बनवाने का आदेश दिया है। ईश्वर उनके साथ रहे, जो तुम लोगों में उसकी प्रजा के सदस्य हैं। वे लोग येरुसालेम की ओर प्रस्थान करें।"
4) परन्तु ईश्वर की दया अपार है। हम अपने पापों के कारण मर गये थे, किन्तु उसने हमें इतना प्यार किया
5) कि उसने हमें मसीह के साथ जीवन प्रदान किया। उसकी कृपा ने आप लोगों का उद्धार किया।
6) उसने ईसा मसीह के द्वारा हम लोगों को पुनर्जीवित किया और स्वर्ग में बैठाया।
7) उसने ईसा मसीह में जो दयालुता दिखायी, उसके द्वारा उसने आगामी युगों के लिए अपने अनुग्रह की असीम समृद्धि को प्रदर्शित किया।
8) उसकी कृपा ने विश्वास द्वारा आप लोगों का उद्धार किया है। यह आपके किसी पुण्य का फल नहीं है। यह तो ईश्वर का वरदान है।
9) यह आपके किसी कर्म का पुरस्कार नहीं -कहीं ऐसा न हो कि कोई उस पर गर्व करे।
10) ईश्वर ने हमारी रचना की। उसने ईसा मसीह द्वारा हमारी सृष्टि की, जिससे हम पुण्य के कार्य करते रहें और उसी मार्ग पर चलते रहें, जिसे ईश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है।
14) जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पुत्र को भी ऊपर उठाया जाना है,
15) जिससे जो उस में विश्वास करता है, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे।’’
16) ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे।
17) ईश्वर ने अपने पुत्र को संसार मं इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराये। उसने उसे इसलिए भेजा कि संसार उसके द्वारा मुक्ति प्राप्त करे।
18) जो पुत्र में विश्वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्योंकि वह ईश्वर के एकलौते पुत्र के नाम में विश्वास नहीं करता।
19) दण्डाज्ञा का कारण यह है कि ज्योति संसार में आयी है और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अन्धकार को अधिक पसन्द किया, क्योंकि उनके कर्म बुरे थे।
20) जो बुराई करता है, वह ज्योंति से बैर करता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसके कर्म प्रकट न हो जायें।
21) किन्तु जो सत्य पर चलता है, वह ज्योति के पास आता है, जिससे यह प्रकट हो कि उसके कर्म ईश्वर की प्रेरणा से हुए हैं।
इस्राएल ईश्वर की चुनी हुई प्रजा है। लेकिन याजकों के नेताओं में और जनता में भी बहुत अधिक अधर्म फैल गया क्योंकि उन्होंने गैर-यहूदी राष्ट्रों के र्घणित कार्यें का अनुकरण किया और प्रभु द्वारा प्रतिष्टित येरूसालेम का मन्दिर अपवित्र कर दिया। इसलिए ईश्वर ने आपनी प्रजा को सन्मार्ग पर लाने केलिए अपने दूतों को भेजा, लेकिन अन्होंने उनकी बात नहीं मानी, उनका का उपहाय किया, उनके उपदेशों का तिरस्कार किया और उसके नबियों की हॅसी उड़ायी। (2 इतिहास 36:14-16) इसलिए ईश्वर ने बाबुल के लोगों द्वारा इस्राएल पर आक्रमण करने दिया। लेकिन जब इस्राएलियों ने अपने पापों केलिए प्रायश्चित किया तब ईश्वर ने फ़ारस के राजा सीरूस के द्वारा बाबुल की दासता से मुक्त किया।
ठीक इसी तरह पिता ईश्वर ने जब समस्त मानवजाती पाप में पडे हुए थे तब अपने एकलौते पुत्र येसु के द्वारा दुनिया का उद्धार किया। वचन में कहता है कि -परन्तू ईश्वर की दया अपार है। हम अपने पापों के कारण मर गये थे, किन्तु उसने हमें इतना प्यार किया कि उसने हमें मसीह के साथ जीवन प्रदान किया उसकी कृपा ने आप लोंगों का उद्धार किया। (एफेसियों 2:4) हम इस चालिसा काल में क्रुसित प्रभु येसु कि ओर देखें। क्योंकि जिस तरह मूसा ने मरूभूमि में सॉप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पु़त्र को भी ऊपर उठाया जाना है, जिससे जो उस में विश्वास करता है, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे। (योहन 3:14)
हमारे सारे पापों को एवं बुरी आदतों को येसु के क्रूस के तले हम लाये और पाप क्षमा केलिए हम प्रार्थना करें तकी हमें पाप क्षमा मिले। जिस प्रकार ईश्वर ने इस्रएली जनता को बाबुल की दासता से मुक्त किया उसी प्रकार ईश्वर हमें भी उद्धार करेंगे। प्रभु येसु का ये वचन याद रखना उत्तम होगा-मैं धर्मीयों को नहीं, पापियों को पश्चात्ताप के लिए बुलाने आया हॅू। (लूकस 5:32) वह फिर हम पर दया करेगा, हमारे अपराध पैरों तले रौंद देगा और हमारे सभी पाप गहरे समुद्र में फेंकेगा। (मिकाह 7:19)
✍ -फादर शैलमोन आन्टनी
Israel is a chose people. But so much of sins increased among the leaders and the people because they adopted the worships of the pagans. And thus they defiled the temple of Jerusalem. Therefore God sent his messengers to bring them back to Him, but the people did not listen to them, they laughed at them, they rejected their teaching and they laughed at the messengers (2Chronicle 36:14-16). Because of this God let Israel to be defeated by the Babylonians. When the Israelites realized their sins and repented then God set they free through the Persian king Cyrus.
In the same way God the Father sent his only Son when whole of humankind was in sin. And God set the humankind free from sin. Eph 2:4 But God who is rich in mercy, out of the great love with which he loves us even when we were dead through our trespasses, made us alive together with Christ- by grace you have been saved. In this season of lent let’s look at Jesus; because (Jn 3: 14) as Moses raised the bronze serpent in the desert and all those who looked at it were healed, so also Jesus is lifted up on the cross so that all those who look at him will be healed of their sins.
Let bring all our sinfulness and bad habits at the feet of the cross and pray for the forgiveness of sins. Just as God set free the Israelites from the slavery of Babylon so also God will set us free from the slavery of sin. Remember what Jesus has said: (Lk 5:32) I have come to call sinners to repentance. Micah says in 7:19 He will have compassion upon us; he will tread our iniquities under foot. You will cast all our sins into the depths of the sea.
✍ -Fr. Shellmon Antony