दिसंबर 19, आगमन काल



पहला पाठ: न्यायकर्ताओं का ग्रन्थ 13:2-7.24-25a

2) सोरआ में दान वंश का मानोअह नामक मनुष्य रहता था। उसकी पत्नी बाँझ थी। उसके कभी सन्तान नहीं हुई थी।

3) प्रभु का दूत उसे दिखाई दिया और उस से यह बोला, ’’आप बाँझ हैं। आपके कभी सन्तान नहीं हुई। किन्तु अब आप गर्भवती होंगी और पुत्र प्रसव करेंगी।

4) आप सावधान रहें आप न तो अंगूरी या मदिरा पियें और न कोई अपवित्र वस्तु खायें;

5) क्योंकि आप गर्भवती होंगी और पुत्र प्रसव करेंगी। बालक के सिर पर उस्तरा नहीं चलाया जायेगा, क्योंकि वह अपनी माता के गर्भ से ईश्वर को समर्पित होगा। फ़िलिस्तियों के हाथों से इस्राएल का उद्धार उसी से प्रारम्भ होगा।’’

6) वह स्त्री अपने पति को यह बात बताते गयी। उसने कहा, ’’ईश्वर की ओर से एक पुरुष मेरे पास आया। उसका रूप स्वर्गदूत की तरह अत्यन्त प्रभावशाली था। मुझे उस से यह पूछने का साहस नहीं हुआ कि आप कहाँ से आ रहे हैं और उसने मुझे अपना नाम नहीं बताया।

7) उसने मुझ से यह कहा, ’आप गर्भवती होंगी और पुत्र प्रसव करेंगी। आप अब से न तो अंगूरी या मदिरा पियें और न कोई अपवित्र वस्तु खायें। बालक अपनी माता के गर्भ से अपनी मृत्यु के दिन तक ईश्वर को समर्पित होगा।‘‘

24) उस स्त्री ने पुत्र प्रसव किया और उसका नाम समसोन रखा। बालक बढ़ता गया और उसे प्रभु का आशीर्वाद मिलता रहा;

25) और प्रभु का आत्मा उसे प्रेरित करने लगा।

सुसमाचार : सन्त लूकस 1:5-25

5) यहूदिया के राजा हेरोद के समय अबियस के दल का जकरियस नामक एक याजक था। उसकी पत्नी हारून वंश की थी और उसका नाम एलीज़बेथ था।

6) वे दोनों ईश्वर की दृष्टि में धार्मिक थे-वे प्रभु की सब आज्ञाओं और नियमों का निर्दोष अनुसरण करते थे।

7) उनके कोई सन्तान नहीं थी, क्योंकि एलीज़बेथ बाँझ थी और दोनों बूढ़े हो चले थे।

8) जकरियस नियुक्ति के क्रम से अपने दल के साथ याजक का कार्य कर रहा था।

9) किसी दिन याजकों की प्रथा के अनुसार उसके नाम

10) चिट्टी निकली कि वह प्रभु के मन्दिर में प्रवेश कर धूप जलाये।

11) धूप जलाने के समय सारी जनता बाहर प्रार्थना कर रही थी। उस समय प्रभु का दूत उसे धूप की वेदी की दायीं और दिखाई दिया।

12) जकरियस स्वर्गदूत को देख कर घबरा गया और भयभीत हो उठा;

13) परन्तु स्वर्गदूत ने उस से कहा, ’’जकरियस! डरिए नहीं। आपकी प्रार्थना सुनी गयी है-आपकी पत्नी एलीज़बेथ के एक पुत्र उत्पन्न होगा, आप उसका नाम योहन रखेंगे।

14) आप आनन्दित और उल्लसित हो उठेंगे और उसके जन्म पर बहुत-से लोग आनन्द मनायेंगे।

15) वह प्रभु की दृष्टि में महान् होगा, अंगूरी और मदिरा नहीं पियेगा, वह अपनी माता के गर्भ में ही पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जायेगा

16) और इस्राएल के बहुत-से लोगों का मन उनके प्रभु-ईश्वर की ओर अभिमुख करेगा।

17) वह पिता और पुत्र का मेल कराने, स्वेच्छाचारियों को धर्मियों की सद्बुद्धि प्रदान करने और प्रभु के लिए एक सुयोग्य प्रजा तैयार करने के लिए एलियस के मनोभाव और सामर्थ्य से सम्पन्न प्रभु का अग्रदूत बनेगा।’’

18) जक़रियस ने स्वर्गदूत से कहा, ’’इस पर मैं कैसे विश्वास करूँ? क्योंकि मैं तो बूढ़ा हूँ और मेरी पत्नी बूढ़ी हो चली है।’’

19) स्वर्गदूत ने उसे उत्तर दिया, ’’मैं गब्रिएल हूँ-ईश्वर के सामने उपस्थित रहता हूँ। मैं आप से बातें करने और आप को यह शुभ समाचार सुनाने भेजा गया हूँ।

20) देखिए, जिस दिन तक ये बातें पूरी नहीं होंगी, उस दिन तक आप मौन रहेंगे और बोल नहीं सकेंगे; क्योंकि आपने मेरी बातों पर, जो अपने समय पर पूरी होंगी, विश्वास नहीं किया।’’

21) जनता जकरियस की बाट जोह रही थी और आश्चर्य कर रही थी कि वह मन्दिर में इतनी देर क्यों लगा रहा है।

22) बाहर निकलने पर जब वह उन से बोल नहीं सका, तो वे समझ गये कि उसे मन्दिर में कोई दिव्य दर्शन हुआ है। वह उन से इशारा करता जाता था, और गूंगा ही रह गया।

23) अपनी सेवा के दिन पूरे हो जाने पर वह अपने घर चला गया।

24) कुछ समय बाद उसकी पत्नी एलीज़बेथ गर्भवती हो गयी। उसने पाँच महीने तक अपने को यह कहते हुए छिपाये रखा,

25) ’’यह प्रभु का वरदान है। उसने समाज में मेरा कलंक दूर करने की कृपा की है।’’


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