चक्र ’अ’ - वर्ष का बाईसवाँ समान्य इतवार



📒 पहला पाठ : यिरमियाह 20:7-9

7) प्रभु! तूने मुझे राज़ी किया और मैं मान गया। तूने मुझे मात कर दिया और मैं हार गया। मैं दिन भर हँसी का पात्र बना रहता हूँ। सब-के-सब मेरा उपहास करते हैं।

8) जब-जब मैं बोलता हूँ, तो मुझे चिल्लाना और हिंसा तथा विध्वंस की घोषणा करनी पड़ती हैं। ईश्वर का वचन मेरे लिए निरंतर अपमान तथा उपहास का कारण बन गया हैं।

9) जब मैं सोचता हूँ, मैं उसे भुलाऊँगा, मैं फिर कभी उसके नाम पर भविय वाणी नहीं करूँगा“ तो उसका वचन मेरे अन्दर एक धधकती आग जैसा बन जाता है, जो मेरी हड्डी-हड्डी में समा जाती है। मैं उसे दबाते-दबाते थक जाता हूँ और अब मुझ से नहीं रहा जाता।

📕 दूसरा पाठ : रोमियों 12:1-2

1) अतः भाइयो! मैं ईश्वर की दया के नाम पर अनुरोध करता हूँ कि आप मन तथा हृदय से उसकी उपासना करें और एक जीवन्त, पवित्र तथा सुग्राह्य बलि के रूप में अपने को ईश्वर के प्रति अर्पित करें।

2) आप इस संसार के अनुकूल न बनें, बल्कि बस कुछ नयी दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जायेंगे कि ईश्वर क्या चाहता है और उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है।

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 16:21-27

21) उस समय से ईसा अपने शिष्यों को यह समझाने लगे कि मुझे येरुसालेम जाना होगा; नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों की ओर से बहुत दुःख उठाना, मार डाला जाना और तीसरे दिन जी उठना होगा।

22) पेत्रुस ईसा को अलग ले गया और उन्हें यह कहते हुए फटकारने लगा, ’’ईश्वर ऐसा न करे। प्रभु! यह आप पर कभी नहीं बीतेगी।’’

23) इस पर ईसा ने मुड़ कर, पेत्रुस से कहा ’’हट जाओ, शैतान! तुम मेरे रास्ते में बाधा बन रहो हो। तुम ईश्वर की बातें नहीं, बल्कि मनुष्यों की बातें सोचते हो।’’

24) इसके बाद ईसा ने अपने शिष्यों से कहा, ’’जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले;

25) क्योंकि जो अपना जीवन सुरक्षित रखना चाहता है, वह उसे खो देगा और जो मेरे कारण अपना जीवन खो देता है, वह उसे सुरक्षित रखेगा।

26) मनुष्य को इस से क्या लाभ यदि वह सारा संसार प्राप्त कर ले, लेकिन अपना जीवन गँवा दे? अपने जीवन के बदले मनुष्य दे ही क्या सकता है?

27) क्योंकि मानव पुत्र अपने स्वर्गदूतों के साथ अपने पिता की महिमा-सहित आयेगा और वह प्रत्येक मनुष्य को उसके कर्म का फल देगा।

📚 मनन-चिंतन

आज सामान्य काल का बाईसवाँ रविवार है और इस महीने का आख़िरी रविवार। यह रविवार इस महीने प्रभु से प्राप्त आशीषों और कृपादानों के लिए धन्यवाद देने का दिन है। पिछले 8 जून को एक प्रसिद्ध फ़िल्मी सितारे की प्रबंधक दिशा सालियन ने 14वें माले से कूदकर आत्महत्या कर ली। वह प्रसिद्ध अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर थी, जिसके एक सप्ताह बाद 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत भी अपने कमरे में मृत पाए गए। पिछले कुछ महीनों और कुछ सालों में हमने ऐसे कई मामले देखे हैं जहाँ जीवन को खुश रखने के सारे सुख संसाधन होने के बावजूद बड़े-बड़े प्रसिद्ध लोग आत्महत्या कर लेते हैं। उनके पास गाड़ी-बंगला, प्रशंसक-दोस्त, धन-दौलत शोहरत और सब कुछ होते हुए भी आख़िर ऐसा क्या है जो उन्हें अपने लिए ऐसा दर्दनाक अन्त चुनने के लिए मजबूर कर देता है?

वर्तमान में यह बहुत ही ज्वलंत प्रश्न है। सब कुछ होने के बावजूद लोग अपने जीवन में सार्थकता क्यों नहीं पाते? शायद ऐसा इसलिए क्योंकि इस जीवन का एक मक़सद है, और जब तक जीवन का वह मक़सद पूरा नहीं हो जाता तब तक हमारा जीवन सार्थक नहीं होगा। जब तक हम ईश्वर की वाणी पर ध्यान नहीं देंगे, जब तक हम ईश्वर को अपने जीवन का केंद्रबिंदु नहीं बनाएँगे, तब तक हमारे अन्दर एक ख़ालीपन सा रहेगा, कुछ कमी रहेगी, कुछ खोया सा लगेगा, जीवन में कोई अर्थ नहीं, कोई मतलब नहीं निकलेगा। ईश्वर ही है जिसने हमारे जीवन का मक़सद निर्धारित किया है।

जब किसी कारख़ाने में कोई चीज़ बनायी जाती है, या कोई आविष्कारक किसी नई चीज़ का अविष्कार करता है तो उस चीज़ को बनाने वाला ही जानता है कि वह चीज़ किसलिए बनाई गयी है और उसका सबसे सही क्या उपयोग है। उदाहरण के लिए किसी ने अचार बनाने की मशीन बनायी हो, तो उस मशीन को बनाने वाला जानता है कि उस मशीन का उपयोग कैसे किया जाता है, और क्या-क्या सावधानियाँ हैं जिन्हें मन में रखना है ताकि ना मशीन को कुछ नुक़सान हो और ना उससे लिए जाए वाले काम का नुक़सान हो। उस मशीन का सही उपयोग और मक़सद दूसरों को समझाने के लिए एक नियम पुस्तक (मैन्यूअल) भी प्रिंट किया जाता है।

हमें ईश्वर ने बनाया है और हमारे जीवन का मक़सद ईश्वर ही जानते हैं, और जब तक हम विनम्र हृदय से अपने सृष्टिकर्ता की ओर नहीं मुड़ेंगे तब तक हम अपने जीवन का अर्थ नहीं समझ पाएँगे। ओर मुड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि “हम अपना क्रूस उठाकर प्रभु येसु के पीछे हो लें।” हमें ईश्वर के लिए अपना जीवन खोना है तभी हम अपना जीवन पा सकेंगे। पवित्र बाइबिल वह नियम पुस्तिका (मैन्यूअल) है जो हमारे जीवन का मक़सद हमें समझाएगी, ईश्वर पवित्र बाइबिल के द्वारा हमें हमारे जीवन का सही उद्देश्य पहचानने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।आइए हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि हम ईश्वर के लिए अपना जीवन खो दें ताकि हम ईश्वर को पा लें। आमेन।

- फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर धर्मप्रान्त)


📚 REFLECTION

Today is the twenty-second Sunday in Ordinary time and the last Sunday of this month. It is the day of thanking the Lord for blessings and graces received throughout this month. On June 8th a famous celebrity’s talented manager Disha Salian committed suicide by jumping from the 14th floor. She was ex-manager of Actor Sushant Singh Rajput who also was found dead, hanging in his room on June 14th after a week. We have seen many such cases in last few months and few years where famous personalities who seem to have everything that is required to be happy in this world, they committed suicide. They had vehicles, big bungalow, friends and fans, money and everything and yet what is it that made them to go for such a tragic end?

Today it has become a vital question. In spite of having everything why people don’t find meaning in their life. It is perhaps because this life has a purpose and till that purpose is fulfilled, we cannot find meaning in life. There will always be, emptiness, something missing, something loosing unless we listen go God, unless we make God as the centre of our life, we will find no sense, no meaning. God is the one who has set a purpose for our life.

When something is made in a factory or invented by an innovator or scientist, the maker of that thing knows for what it is made and how it can be used best. For example if a particular machine is made for making pickle, the one who made that machine knows how that machine will be used, and what are the precautions that have to be followed so that no harm is done to the machine or the work that it does. A manual also is printed so that others can know the use of that machine.

We are created by God and God our Creator alone knows the purpose of our life and unless we turn to him with humble heart, we will not know the purpose of our life. Best way to turn to him and find meaning for our life is to “take up our cross and follow Jesus.” We have to loose ourselves for God, then only we can find ourselves. Holy Bible could be the manual to find the best use of our life, God can inspire through his word in the Bible to find right purpose and use of our lives. Let us pray to God that we may get the grace to loose ourselves to find God. Amen.

-Fr. Johnson B.Maria (Gwalior)


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Praise the Lord!