2) वे रफीदीम से चले थे और उन्होंने सीनई की मरुभूमि पहुँच कर पहाड़ के सामने ही पड़ाव डाला।
3) मूसा ईश्वर से मिलने के लिए पर्वत पर चढ़ा और ईश्वर ने वहाँ उससे कहा, ''तुम याकूब के घराने से यह कहोगे और इस्राएल के पुत्रों को यह बता दोगे-
4) तुम लोगों ने स्वयं देखा है कि मैंने मिस्र के साथ क्या-क्या किया और मैं किस तरह तुम लोगों को गरुड़ के पंखों पर बैठा कर यहाँ अपने पास ले आया।
5) यदि तुम मेरी बात मानोगे और मेरे विधान के अनुसार चलोगे, तो तुम सब राष्ट्रों में से मेरी अपनी प्रजा बन जाओगे; क्योंकि समस्त पृथ्वी मेरी है।
6) तुम मेरे लिए याजकों का राजवंश तथा पवित्र राष्ट्र बन जाओगे। यही सन्देश इस्राएल के पुत्रों को सुनाओ।''
6) हम निस्सहाय ही थे, जब मसीह निर्धारित समय पर विधर्मियों के लिए मर गये।
7) धार्मिक मनुष्य के लिए शायद ही कोई अपने प्राण अर्पित करे। फिर भी हो सकता है कि भले मनुष्य के लिए कोई मरने को तैयार हो जाये,
8) किन्तु हम पापी ही थे, जब मसीह हमारे लिए मर गये थे। इस से ईश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम का प्रमाण दिया है।
9) जब हम मसीह के रक्त के कारण धार्मिक माने गये, तो हम निश्चिय ही मसीह द्वारा ईश्वर के दण्ड से बच जायेंगे।
10) हम शत्रु ही थे, जब ईश्वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्यु द्वारा हो गया था और उसके साथ मेल हो जाने के बाद उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्चय ही हमारा उद्धार होगा।
11) इतना ही नहीं, अब तो हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा ईश्वर से हमारा मेल हो गया है; इसलिए हम उन्हीं के द्वारा ईश्वर पर भरोसा रख कर आनन्दित हैं।
36) लोगों को देखकर ईसा को उन पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थके माँदे पड़े हुए थे।
37) उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, "फसल तो बहुत है, परन्तु मज़दूर थोड़े हैं।
38) इसलिए फ़सल के स्वामी से विनती करो कि वह अपनी फ़सल काटने के लिए मज़दूरों को भेजे।"
10:1) ईसा ने अपने बारह शिष्यों को अपने पास बुला कर उन्हें अशुद्ध आत्माओं को निकालने तथा हर तरह की बीमारी और दुर्बलता दूर करने का अधिकार प्रदान किया।
2) बारह प्रेरितों के नाम इस प्रकार हैं- पहला, सिमोन, जो पेत्रुस कहलाता है, और उसका भाई अन्द्रेयस; ज़ेबेदी का पुत्र याकूब और उसका भाई योहन;
3) फिलिप और बरथोलोमी; थोमस और नाकेदार मत्ती; अलफ़ाई का पुत्र याकुब और थद्देयुस;
4) सिमोन कनानी और यूदस इसकारियोती, जिसने ईसा को पकड़वाया।
5) ईसा ने इन बारहों को यह अनुदेश दे कर भेजा, "अन्य राष्ट्रों के यहाँ मत जाओ और समारियों के नगरों में प्रवेश मत करो,
6) बल्कि इस्राएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के यहाँ जाओ।
7) राह चलते यह उपदेश दिया करो- स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
8) रोगियों को चंगा करो, मुरदों को जिलाओ, कोढि़यों को शुद्ध करो, नरकदूतों को निकालो। तुम्हें मुफ़्त में मिला है, मुफ़्त में दे दो।