चक्र ’अ’ - प्रभु-प्रकाश का पर्व



पहला पाठ : इसायाह 60:1-6

1) “उठ कर प्रकाशमान हो जा! क्योंकि तेरी ज्योति आ रही है और प्रभु-ईश्वर की महिमा तुझ पर उदित हो रही है।

2) पृथ्वी पर अँधेरा छाया हुआ है और राष्ट्रों पर घोर अन्धकार; किन्तु तुझ पर प्रभु उदित हो रहा है, तेरे ऊपर उसकी महिमा प्रकट हो रही है।

3) राष्ट्र तेरी ज्योति की ओर आ रहे हैं और राजा तेरे उदीयमान प्रकाश की ओर।

4) “चारों ओर दृष्टि दौड़ा कर देख! सब मिल कर तेरे पास आ रहे हैं। तेरे पुत्र दूर से चले आ रहे हैं; लोग तेरी पुत्रियों को गोद में उठा कर लाते हैं।

5) यह देख कर तू प्रफुल्लित हो उठेगी; तेरा हृदय आनन्द से उछलने लगेगा; क्योंकि समुद्र की सम्पत्ति और राष्ट्रों का धन तेरे पास आ जायेगा।

6) ऊँटों के झुण्ड और मिदयान तथा एफ़ा की साँड़नियाँ तुझ में उमड़ पड़ेंगी; शबा के सब लोग, प्रभु की स्तुति करते हुए, सोने और लोबान की भेंट ले आयेंगे।


दूसरा पाठ : एफेसियो 3:2-3,5-6

2) आप लोगों ने अवश्य सुना होगा कि ईश्वर ने आप लोगों की भलाई के लिए मुझे अपनी कृपा का सेवा-कार्य सौंपा है।

3) उसने मुझ पर वह रहस्य प्रकट किया है, जिसका मैं संक्षिप्त विवरण ऊपर दे चुका हूँ।

5) वह रहस्य पिछली पीढि़यों में मनुष्य को नहीं बताया गया था और अब आत्मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों का प्रकट किया गया है।

6) वह रहस्य यह है कि सुसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ गैर-यहूदी एक ही विरासत के अधिकारी हैं, एक ही शरीर के अंग हैं और ईसा मसीह-विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं।


सुसमाचार : मत्ती 2:1-12

(1) ईसा का जन्म यहूदिया के बेथलेहेम में राजा हेरोद के समय हुआ था। इसके बाद ज्योतिषी पूर्व से येरुसालेम आये।

(2) और यह बोले, " यहूदियों के नवजात राजा कहाँ हैं? हमने उनका तारा उदित होते देखा। हम उन्हें दण्डवत् करने आये हैं।"

(3) यह सुन कर राजा हेरोद और सारा येरुसालेम घबरा गया।

(4) राजा ने सब महायाजकों और यहूदी जाति के शास्त्रियों की सभा बुला कर उन से पूछा, " मसीह कहाँ जन्म लेंगें?"

(5) उन्होंने उत्तर दिया, "यहूदिया के बेथलेहेम में, क्योंकि नबी ने इसके विषय में लिखा है-

(6) "बेथलेहेम यूदा की भूमि! तू यूदा के प्रमुख नगरों में किसी से कम नहीं है; क्योंकि तुझ में एक नेता उत्पन्न होगा, जो मेरी प्रजा इस्राइल का चरवाहा बनेगा।"

(7) हेरोद ने बाद में ज्योतिषियों को चुपके से बुलाया और उन से पूछताछ कर यह पता कर लिया कि वह तारा ठीक किस समय उन्हें दिखाई दिया था।

(8) फिर उसने उन्हें बेथलेहेम भेजते हुए कहा, जाइए, बालक का ठीक-ठीक पता लगाइए और उसे पाने पर मुझे खबर दीजिए, जिससे मैं भी जा कर दण्डवत् करूँ।

(9) वे राजा की बात मानकर चल दिए। उन्होंने जिस तारे को उदित होते देखा था, वह उनके आगे आगे चलता रहा, और जहाँ बालक था उस जगह के ऊपर पहुँचने पर ठहर गया।

(10) वे तारा देख कर बहहुत आनन्दित हुए।

(11) घर में प्रवेश कर उन्होंने बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा और उसे साष्टांग प्रणाम किया। फिर अपना-अपना सन्दूक खोलकर उन्होंने उसे सोना, लोबान और गंधरस की भेट चढ़ायी।

(12) उन्हें स्वप्न में यह चेतावनी मिली के वे हेरोद के पास नहीं लौटें, इसलिए वे दूसरे रास्ते से अपने देश चले गये।


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