7) भाइयो! हमें अपने सब कष्टों और संकटों में आप लोगों के विश्वास से सान्त्वना मिली है।
8) यह जान कर हम में अब नये जीवन का संचार हुआ है कि आप प्रभु में दृढ़ बने हुए हैं।
9) आपने हमें प्रभु के सामने कितना आनन्द प्रदान किया है! हम आप लोगों के विषय में ईश्वर को पर्याप्त धन्यवाद कैसे दे सकते हैं?
10) हम दिन-रात आग्रह के साथ ईश्वर से यह प्रार्थना करते रहते हैं कि हम आप को दुबारा देख सकें और आपके विश्वास में जो कमी रह गयी है, उसे पूरा कर सकें।
11) हमारा पिता ईश्वर और हमारे प्रभु ईसा हमारे लिए आपके पास पहुँचने का मार्ग सुगम बनायें।
12) प्रभु ऐसा करें कि जिस तरह हम आप लोगों को प्यार करते हैं, उसी तरह आपका प्रेम एक दूसरे के प्रति और सबों के प्रति बढ़ता और उमड़ता रहे।
13) इस प्रकार वह उस दिन तक अपने हृदयों को हमारे पिता ईश्वर के सामने पवित्र और निर्दोष बनायें रखें, जब हमारे प्रभु ईसा अपने सब सन्तों के साथ आयेंगे।
42) "इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारे प्रभु किस दिन आयेंगे।
43) यह अच्छी तरह समझ लो- यदि घर के स्वामी को मालूम होता कि चोर रात के किस पहर आयेगा, तो वह जागता रहता और अपने घर में सेंध लगने नहीं देता।
44) इसलिए तुम लोग भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम उसके आने की नहीं सोचते, उसी घड़ी मानव पुत्र आयेगा।
45) "कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान् सेवक है, जिसे उसके स्वामी ने अपने नौकर-चाकरों पर नियुक्त किया है, ताकि वह समय पर उन्हें रसद बाँटा करे?
46) धन्य है वह सेवक, जिसका स्वामी आने पर उसे ऐसा करता हुआ पायेगा!
47) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ - वह उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर नियुक्त करेगा।
48) "परन्तु यदि वह बेईमान सेवक अपने मन में कहे, मेरा स्वामी आने में देर करता है,
49) और वह दूसरे नौकरों को पीटने और शराबियों के साथ खाने-पीने लगे,
50) तो उस सेवक का स्वामी ऐसे दिन आयेगा, जब वह उसकी प्रतिक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी, जिसे वह नहीं जान पायेगा।
51) तब वह स्वामी उसे कोड़े लगवायेगा और ढोंगियों का दण्ड देगा। वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।
आज के सुसमाचार के दृष्टान्त में हम पाते हैं कि येसु किसी के घर में सेंधमारी करने वाले चोर की छवि का उपयोग कर रहे हैं। येसु चोर की चाल की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं। चोर के आने का पता करने के लिए गृहस्थ के पास एक ही उपाय है कि वह रात भर जागता रहे। सारी रात जागते रहने वाला गृहस्थ येसु के दृष्टांत में उन शिष्यों की छवि बन जाता है जो प्रभु के द्वितीय आगमन के लिए सजग व तैयार रहेंगे।
प्रभु हमारे बारे में निरंतर सजग रहते हैं। उनकी निगाहें सदा हमारे ऊपर बनी रहती है। "मैंने तुम्हें अपनी हथेलियों पर अंकित किया है, तुम्हारी चारदीवारी निरन्तर मेरी आँखों के सामने है।" (इसायाह 49:16) इसके जवाब में हम भी ईश्वर को लेकर हमेशा सजग रहने के लिए बुलाये गए हैं। हमें हर समय प्रभु के प्रति जागरूक रहना कठिन लगता है, क्योंकि बहुत सी अन्य चीजें हमारे मन और हृदय को भर देती हैं। फिर भी, प्रभु हमसे यही चाहते हैं। हमें उनकी निरंतर उपस्थिति के एहसास में जीना है, उनकी उपस्थिति की जागरूकता में रहना है। इसे ही चिन्तनशील दृष्टिकोण कहा जा सकता है। इस दृष्टिकोण में हम हमारे सारे कार्यों, बातों और विचारों में ईश्वर के मापदंड से तौलकर ही कोई कदम उठाते हैं। हमसे ऐसी एक सजगता की उम्मीद की जाती है।
✍फादर प्रीतम वसुनिया - इन्दौर धर्मप्रांतIn today's gospel parable we find that Jesus is using the image of a thief breaking into someone's house. Jesus draws our attention to the trick of the thief. The only way for the householder to find out about the thief's arrival is to stay awake throughout the night. The householder who stays awake all night becomes the image of those disciples in Jesus' parable who will be alert and ready for the second coming of the Lord.
The Lord is constantly aware of us; His eyes are always on us. "See, I have inscribed you on the palms of my hands; your walls are continually before me." (Isaiah 49:16) In response to this, we too are called to be ever vigilant about God. We find it difficult to be aware of the Lord all the time, because so many other things fill our mind and heart. Yet, this is what the Lord wants of us. We have to live in the feeling of His constant presence, to live in the awareness of His presence. This can be called a reflective approach. In this, we take any step by weighing all our actions, things and thoughts according to the criteria of God. We are expected to have such an alertness.
✍ -Fr. Preetam Vasuniya