वर्ष -1, सत्रहवाँ सामान्य सप्ताह, मंगलवार

पहला पाठ : निर्गमन 33:7-11, 34, 5-9, 28

7) मूसा ने तम्बू को उठवा कर शिविर के बाहर कुछ दूरी पर खड़ा कर दिया और उसका नाम दर्शन-कक्ष रखा। यदि कोई प्रभु से परामर्श लेना चाहता था, तो वह शिविर के बाहर उस दर्शन-कक्ष के पास चला जाता था।

8) जब मूसा उस तम्बू की ओर जाता था, तो सब लोग अपने-अपने तम्बू के द्वार पर खड़े हो जाते और मूसा को तब तक देखते रहते थे, जब तक वह तम्बू में प्रवेश न करे।

9) मूसा के प्रवेश करते ही बादल का खम्भा उतर कर तम्बू के द्वार पर खड़ा हो जाया करता था। तब प्रभु मूसा से बातें करता था।

10) तम्बू के द्वार पर बादल का खम्भा खड़ा देख कर सभी लोग तुरन्त अपने-अपने तम्बू के द्वार पर से उसे दण्डवत् किया करते थे।

11) जिस तरह एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से बात करता है, उसी तरह प्रभु मूसा के आमने-सामने प्रकट हो कर उस से बात करता था। जब मूसा शिविर में लौटता था, तो उसका सहायक नून का पुत्र, योशुआ नामक युवक तम्बू में रह जाता था।

5) प्रभु बादल के रूप में उतर कर उसके पास आया और अपना "प्रभु" नाम प्रकट किया।

6) प्रभु ने उसके सामने से निकल कर कहा, ''प्रभुः प्रभु एक करूणामय तथ कृपालु ईश्वर है। वह देर से क्रोध करता और अनुकम्पा तथा सत्यप्रतिज्ञता का धनी है।

7) वह हजार पीढ़ियों तक अपनी कृपा बनाये रखता और बुराई, अपराध और पाप क्षमा करता है।''

8) मूसा ने तुरन्त दण्डवत् कर उसकी आराधना की

9) और कहा, ''प्रभु; यदि मुझ पर तेरी कृपादृष्टि है, तो मेरा प्रभु हमारे साथ चले। ये लोग हठधर्मी तो हैं, किन्तु तू हमारे अपराध तथा पाप क्षमा कर दे और हमें अपनी निजी प्रजा बना ले।''

28) मूसा वहाँ चालीस दिन और चालीस रात प्रभु के साथ रहा। उसने न तो रोटी खायी और न पानी पिया। उसने विधान के शब्द, अर्थात दस नियम पाटियों पर अंकित किये।

सुसमाचार : मत्ती 13:36-43

36) ईसा लोगों को विदा कर घर लौटे। उनके शिष्यों ने उनके पास आ कर कहा, ’’खेत में जंगली बीज का दृष्टान्त हमें समझा दीजिए’’।

37) ईसा ने उन्हें उत्तर दिया, ’’अच्छा बीज बोने बाला मानव पुत्र हैं;

38) खेत संसार है; अच्छा बीज राज्य की प्रजा है; जंगली बीज दृष्ट आत्मा की प्रजा है;

39) बोने बाला बैरी शैतान है; कटनी संसार का अंत है; लुनने वाले स्वर्गदूत हैं।

40) जिस तरह लोग जंगली बीज बटोर कर आग में जला देते हैं, वैसा ही संसार के अंत में होगा।

41) मानव पुत्र अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके राज्य क़़ी सब बाधाओं और कुकर्मियों को बटोर कर आग के कुण्ड में झोंक देंगें।

42) वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे।

43) तब धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की तरह चमकेंगे। जिसके कान हों, वह सुन ले।

📚 मनन-चिंतन

आज के सुसमाचार में शिष्यों के आग्रह पर प्रभु येसु जंगली बीज के दृष्टान्त का अर्थ समझाते हैं. प्रभु येसु कहते हैं, कि बीज बोने वाला मानव पुत्र है, खेत संसार है, अच्छा बीज अच्छे लोग हैं, बैरी शैतान है और बुरे लोग जंगली बीज हैं, संसार का अन्त कटनी का समय है और काटने वाले मजदूर स्वर्गदूत हैं. अर्थात इस दुनिया में ईश्वर ने अच्छे लोगों को बनाया, ऐसे लोगों को जो ईश्वर के अपने प्रतिरूप में थे, जिनमें बिलकुल भी बुराई नहीं थी, लेकिन शैतान आकर इस दुनिया में बुराई के बीज बो देता है, लोगों के दिलों में जो दुर्गुण ईश्वर के विरुद्ध हैं, उन्हें बो देता है. शैतान मनुष्यों के दिलों में नफ़रत के बीज, ईर्ष्या, द्वेष, बदले भी भावना, लालच आदि के बीज बो देता है और फसल दो भागों में बंट जाती है - अच्छे लोग और बुरे लोग.

दृष्टान्त के अनुसार अच्छे और बुरे पौधों को कटनी के समय अलग किया जाता है यानि कि संसार के अन्त के समय पर. और हम जानते हैं कि अभी संसार का अन्त नहीं आया है और इसलिए अच्छे और बुरे, दोनों तरह के बीच साथ-साथ बढ़ते हैं. संसार रुपी खेत अभी भी वहीँ हैं, और वैरी शैतान अभी भी अपने काम में लगा है. जितनी बेचैनी से भले लोग भलाई करने में नहीं लगे उससे अधिक अधिक बेचैनी से शैतान अपने काम में लगा है. सन्त पेत्रुस हमें आगाह करते हैं, “आप संयम रखें और जागते रहें! आपका शत्रु शैतान दहाड़ते हुए सिंह की तरह विचरता है और ढूंढता रहता है कि किसे फाड़ खाये.” (1 पेत्रुस 5:8). हमें शैतान और उसकी प्रजा से अधिक सक्रीय रहना है तभी अच्छे बीज अन्त तक डटे रह सकेंगे. आईये हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि अच्छे बीज बुरे बीजों से अधिक फलें-फूलें. आमेन.

फादर जॉन्सन बी. मरिया (ग्वालियर)

📚 REFLECTION


Today we reflect on the meaning of the parable of the weeds. Jesus explains the meaning of the parable on the request of the disciples. He says, ‘sower of the seed is the Son of God, field is the world, good seeds are the people of God, weeds are the children of the evil one, end of the world is the harvesting time and labourers to who are to reap the crop are the angels. God created good people in the beginning of the world, the people who were created in His own image and likeness, who did not have any evil within themselves, but the evil one comes at night and sows the seeds of evil, all the works of dark that are against God. The devil sows the seeds of hatred, jealousy, revengefulness, and greed in the hearts of the people, and the people are divided into two, the good ones and the evil ones.

According to the miracle, the good and bad seeds are separated at the time of harvesting, that is, the end of the world. And we are aware that the end of the world has not yet reached, so good and bad, both types of plants grow together. The field is still there and the evil one is still at work. The devil is busy more zealously in sowing the seeds of evil then the people of God doing good. He is restless for his work. St. Peter warns us, “Discipline yourselves, keep alert. Like a roaring lion your adversary the devil prowls around, looking for someone to devour (1 Pet 5:8).” In order to stand till last, we have to be more active then the devil and his people. May God bless the good seeds to flourish more than the weeds. Amen.

-Fr. Johnson B. Maria (Gwalior)


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Praise the Lord!