1:3) मैं, टोबीत, जीवन भर सन्मार्ग पर चलता रहा और धर्माचरण करता रहा। मैंने अपने उन भाई-बन्धुओं को बहुत-से भिक्षादान दिये, जो मेरे साथ अस्सूरियों के देश के नीनवे नगर में निर्वासित किये गये थे।
2:1) एसरहद्दोन के राज्यकाल में मैं फिर अपने घर वापस आया और मुझे फिर अपनी पत्नी अन्ना और अपना पुत्र टोबीयाह मिले। जब पेन्तोकोस्त, अर्थात् सप्ताहों के पर्व के दिन मेरे लिए उत्तम भोजन तैयार किया गया, तो मैं खाने बैठा।
2) मैंने बहुत-से खाद्य-पदार्थ देख कर अपने पुत्र से कहा, "जाओ और नीनवे में निर्वासित अपने प्रभु-भक्त भाइयों में जो मिलें, उन्हें ले आओ, जिससे वे मेरे साथ भोजन करें। मैं तुम्हारी प्रतीक्षा करूँगा।"
3) वह गया और लौट कर बोला कि एक इस्राएली की गला घोंट कर हत्या कर दी गयी है और वह बाज़ार में पड़ा हुआ है।
4) मैं तुरन्त उठ कर खड़ा हुआ और अपना भोजन छोड़ कर शव के पास पहुँचा। मैंने उसे उठा लिया और सूर्यास्त के बाद दफ़नाने के लिए छिपे-छिपे अपने घर ले गया।
5) शव को छिपाने के बाद मैंने उदास हो कर भोजन किया।
6) मुझे नबी अमोस की यह वाणी याद आयी, जो उन्होंने बेतेल में कही थी, "तुम्हारे पर्व के दिन दुःख में और तुम्हारे गीत विलाप में परिणत हो जायेंगे"
7) और मैं रोने लगा। सूर्यास्त के बाद मैं उस शव को दफ़नाने गया।
8) मेरे सभी पड़ोसी यह कहते हुए मेरा उपहास करते थे, "यह व्यक्ति अब भी नहीं डरता। इस काम के लिए इसे मरवा डालने के लिए ढूँढा गया है और इसे भागना पड़ा। देखो, यह फिर मुरदों को दफ़नाता है।"
1) वह लोगों को दुष्तान्तों में शिक्षा देने लगे- "किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगवायी, उसके चारों ओर घेरा बनवाया, उस में उस का कुण्ड खुदवाया और पक्का मचान बनवाया। तब उसे असामियों को पट्टे पर दे कर वह परदेश चला गया।
2) समय आने पर उसने दाखबारी की फ़सल का हिस्सा वसूल करने के लिए असामियों के पास एक नौकर को भेजा।
3) असामियों ने नौकर को पकड़ कर मारा-पीटा और खाली हाथ लौटा दिया।
4) उसने एक दूसरे नौकर को भेजा। उन्होंने उसका सिर फोड़ दिया और उसे अपमानित किया।
5) उसने एक और नौकर को भेजा और उन्होंने उसे मार डाला। इसके बाद उसने और बहुत -से नौकरों को भेजा। उन्होंने उन में से कुछ लोगों को पीटा और कुछ को मार डाला।
6) अब उसके पास एक ही बच गया- उसका परममित्र पुत्र। अन्त में उसने यह सोच कर उसे उनके पास भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे।
7) किन्तु उन असामियों ने आपस में कहा, ‘यह तो उत्तराधिकारी है। चलो, हम इसे मार डालें और इसकी विरासत हमारी हो जायेगी।’
8) उन्होंने इसे पकड़ कर मार डाला और दाखबारी के बाहर फेंक दिया।
9) दाखबारी का स्वामी क्या करेगा? वह आ कर उन असामियों का सर्वनाश करेगा और अपनी दाखबारी दूसरों को सौंप देगा।
10) "क्या तुम लोगों ने धर्मग्रन्थ में यह नहीं पढ़ा?- कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया है।"
11) यह प्रभु का कार्य है। यह हमारी दृष्टि में अपूर्व है।"
12) वे समझ गये कि ईसा का यह दृष्टान्त हमारे ही विषय में है और उन्हें गिरफ़्तार करने का उपाय ढूँढ़ने लगे। किन्तु वे जनता से डरते थे और उन्हें छोड़ कर चले गये।