अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।
समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।
आमन्त्रक अग्र. : प्रभु का धन्यवाद करो क्योंकि उसका प्रेम असीम है।
त्रियेक भगवान, भजे तुझे तेरी संतान;
त्रियेक भगवान, महिमा, महिमा, महिमा, महिमा,
महिमा, महिमा, महिमा॥
स्वर्गों का तेरा सासन; धरती बने पगदान,
हे राष्ट्रों के शासक, प्रजा करें नमन, नमन, नमन, नमन।
बसो सभी के दिलों में; निरखो प्रभु अंतर में,
मन मन के हे राजक, तुझे करें नमन, नमन, नमन, नमन।
धन्य पिता परमेश्वर; धन्य सुत हे ईश्वर,
धन्य आत्मा ईश्वर, बाल करें नमन, नमन, नमन, नमन।
अग्र. 1 : मैंने तेरे ही विरुध्द पाप किया है, मुझ पर दया कर।
ईश्वर! तू दयालु है, मुझ पर दया कर।
तू दयासागर है, मेरा अपराध क्षमा कर।
मेरी दुष्टता पूर्ण रूप से धो डाल,
मुझ पापी को शुद्ध कर।
मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ।
मेरा पाप निरन्तर मेरे सामने है।
मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है।
मैंने वही किया, जो तेरी दृष्टि में बुरा है;
इसलिए तेरा निर्णय सही
और तेरी दण्डाज्ञा न्यायसंगत है।
मैं तो जन्म से ही अपराधी,
अपनी माता के गर्भ से ही पापी हूँ।
तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है।
मेरे अन्तःकरण को ज्ञान की बातें सिखा।
मुझ पर जूफ़ा से जल छिड़क दे और मैं शुद्ध हो जाऊँगा,
मुझे धो और मैं हिम से भी अधिक स्वच्छ हो जाऊँगा
मुझे आनन्द और उल्लास का सन्देश सुना
और तुझ से रौंदी हुई हड्डियाँ फिर खिल उठेंगी।
मेरे पापों पर दृष्टि न डाल,
मेरा अपराध मिटाने की कृपा कर।
ईश्वर! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर
और मेरा मन फिर सुदृढ़ बना।
अपने सान्निध्य से मुझे दूर न कर,
अपने पवित्र आत्मा से मुझे वंचित न कर।
मुक्ति का आनन्द मुझे फिर प्रदान कर,
उदारता में मेरा मन सुदृढ़ बना।
मैं अपराधियों को तेरे मार्ग की शिक्षा दूँगा
और पापी तेरे पास लौट आयेंगे।
ईश्वर! तू मेरे मुक्तिदाता! मेरा उद्धार कर
और मैं तेरी भलाई का बखान करूँगा।
प्रभु! मेरे होंठ खोल दे
और मेरा कण्ठ तेरा गुणगान करेगा।
तू बलिदान से प्रसन्न नहीं होता।
यदि मैं होम चढ़ाता, तो तू उसे अस्वीकार करता।
मेरा पश्चाताप ही मेरा बलिदान होगा।
तू पश्चातापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।
प्रभु! सियोन पर दयादृष्टि कर,
येरूसालेम की चारदीवारी फिर उठा।
तब तू योग्य बलिदान - होम तथा पूर्णाहुति - स्वीकार करेगा
और तेरी वेदी पर बछड़े चढ़ाये जायेंगे।
अग्र. : मैंने तेरे ही विरुध्द पाप किया है, मुझ पर दया कर।
अग्र. 2 : हम अपना दोष स्वीकार करते हैं; क्योंकि हमने तेरे विरुध्द पाप किया है।
मैं दिन-रात निरन्तर आँसू बहाता रहता हूँ,
क्योंकि मेरी पुत्री विपत्ति की मारी है,
मेरी प्रजा घोर संकट में पड़ी हुई है।
यदि मैं खेतों की ओर जाता हूँ,
तो तलवार से मारे हुए लोगों को देखता हूँ
और यदि मैं नगर में आता हूँ, तो उन्हें भूखों मरते देखता हूँ।
नबी और याजक भी भीख माँगते देश में मारे-फिरते हैं
और नहीं समझते हैं कि क्या हो रहा है।“
क्या तूने यूदा को त्याग दिया है?
क्या तुझे सियोन से घृणा हो गयी है?
तूने हमें क्यों इस प्रकार मारा है,
कि उपचार अब असम्भव हो गया है।
हम शान्ति की राह देखते रहे, किन्तु वह मिली नहीं।
हम कल्याण की प्रतीक्षा करते रहे, किन्तु आतंक बना रहा।
प्रभु! हम अपनी दुष्टता
और अपने पूर्वजों का अपराध स्वीकार करते हैं।
हमने तेरे विरुद्ध पाप किया है।
अपने नाम के कारण हमें न ठुकरा;
अपने महिमामय सिंहासन का अपमान न होने दे।
हमारे लिए अपने विधान को न भुला और उसे भंग न कर।
अग्र. : हम अपना दोष स्वीकार करते हैं; क्योंकि हमने तेरे विरुध्द पाप किया है।
अग्र. 3 : प्रभु ही ईश्वर है और हम है उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें।
समस्त पृथ्वी! प्रभु की स्तुति करो।
आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो।
उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो।
यह जान लो कि प्रभु ही ईश्वर है।
उसी ने हमें बनाया है - हम उसी के हैं।
हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।
धन्यवाद देते हुए उसके मन्दिर में प्रवेश करो;
भजन गाते हुए उसके प्रांगण में आ जाओ;
उसकी स्तुति करो और उसका नाम धन्य कहो।
ओह! ईश्वर कितना भला है!
उसका प्रेम चिरस्थायी है।
उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है।
अग्र. : प्रभु ही ईश्वर है और हम है उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें।
तुम्हारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है। इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह का सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे। मैं मसीह के कारण अपनी दुर्बलताओं पर, अपमानों, कष्टों, अत्याचारों और संकटों पर गर्व करता हूँ; क्योंकि मैं जब दुर्बल हूँ, तभी बलवान् हूँ।
लघु अनुवाक्य :
अगुआ : प्रात:काल में मैंने तेरे प्रेम का अनुभव करूँ।
समूह : प्रात:काल में मैंने तेरे प्रेम का अनुभव करूँ।
• जिस मार्ग से मुझे चलना है, उसका मुझे ज्ञान दे।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
अग्र. :प्रभु ने अपनी प्रजा की सुधि ली है और उसका उद्धार करने आया है।
धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।
वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।
उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।
बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।
हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"
पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।
अग्र. :प्रभु ने अपनी प्रजा की सुधि ली है और उसका उद्धार करने आया है।
अगुआ :हमारे अपने एक महायाजक हैं जो हमारी दुर्बलताओं में हमसे सहानुभूति रख सकते हैं। वे हमारे सदृश थे। अत: हर तरह से उनकी परीक्षा ली गयी, पर वे पाप में नहीं गिरे। हम उनसे निवेदन करें ...
समूह : हम पर अपनी दया और अनुकंपा प्रदर्शित कर।
• हे प्रभु, तूने स्वेच्छा से क्रूस पर बलि बनना चाहा, जिससे भावी पुनरुत्थान का महिमामय आनन्द तुझे प्राप्त हो – हमें अपनी मृत्यु के सहभागी बना, जिससे हम भी तेरे आनन्द के भागि बनें।
• हे प्रभु, तूने कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो वह मेरे पास आये और अपनी प्यास बुझाये। जो तेरे लिए प्यासे हैं तू उन्हें पवित्र आत्मा प्रदान कर।
• तूने अपने शिष्यों को सभी राष्ट्रों में सुसमाचार का प्रचार करने भेजा – उन सब स्त्री-पुरुषों पर तू अपनी आशिष बरसा, जिन्होंने सुसमाचार के प्रचार के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।
• जो लोग दुख-दर्द से पीड़ित हैं, तू उनकी मदद कर जिससे वे जान जायें कि पिता परमेश्वर उनका ख्याल रखता है – क्योंकि वह अपने पुत्र जैसे उन्हें भी प्यार करता है।
हे हमारे पिता ....
अगुआ :हे सर्वशक्तिमान पिता, तेरी ज्योति हमारे अभ्यंतर में इस तरह व्याप्त हो जाये कि हम तेरे आज्ञानुसार चल कर सदा तेरी इच्छा पूरी करें; क्योंकि तू ही हमारा अगुआ और मार्गदर्शक है। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
समूह : आमेन।
अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।
समूह : आमेन।