प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 2 - शुक्रवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. :सचमुच प्रभु कितना भला है; उनके नाम की स्तुति करो।


मंगलगान

सच्ची दाखलता है प्रभु; हम हैं उसकी डालियाँ,
जो उसमें सदा रहता है, वही खूब फल देता है।

उसने हमें दास नहीं बुलाया; सदा हमें दोस्त ही माना,
पिता का वचन हमें सुनाया, उसने ही हमको चुन लिया॥

एक ही आज्ञा उसने दी; प्यार करो जैसे मैंने किया,
आपस में हम प्यार करें, उसके प्यार में बने रहें॥

अग्र. 1 : ईश्वर, तू पश्चात्तापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।


स्तोत्र 50 ईश्वर! मुझ पर दया कर।

ईश्वर! तू दयालु है, मुझ पर दया कर।
तू दयासागर है, मेरा अपराध क्षमा कर।
मेरी दुष्टता पूर्ण रूप से धो डाल,
मुझ पापी को शुद्ध कर।

मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ।
मेरा पाप निरन्तर मेरे सामने है।
मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है।
मैंने वही किया, जो तेरी दृष्टि में बुरा है;

इसलिए तेरा निर्णय सही
और तेरी दण्डाज्ञा न्यायसंगत है।
मैं तो जन्म से ही अपराधी,
अपनी माता के गर्भ से ही पापी हूँ।

तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है।
मेरे अन्तःकरण को ज्ञान की बातें सिखा।
मुझ पर जूफ़ा से जल छिड़क दे और मैं शुद्ध हो जाऊँगा,
मुझे धो और मैं हिम से भी अधिक स्वच्छ हो जाऊँगा

मुझे आनन्द और उल्लास का सन्देश सुना
और तुझ से रौंदी हुई हड्डियाँ फिर खिल उठेंगी।
मेरे पापों पर दृष्टि न डाल,
मेरा अपराध मिटाने की कृपा कर।

ईश्वर! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर
और मेरा मन फिर सुदृढ़ बना।
अपने सान्निध्य से मुझे दूर न कर,
अपने पवित्र आत्मा से मुझे वंचित न कर।

मुक्ति का आनन्द मुझे फिर प्रदान कर,
उदारता में मेरा मन सुदृढ़ बना।
मैं अपराधियों को तेरे मार्ग की शिक्षा दूँगा
और पापी तेरे पास लौट आयेंगे।

ईश्वर! तू मेरे मुक्तिदाता! मेरा उद्धार कर
और मैं तेरी भलाई का बखान करूँगा।
प्रभु! मेरे होंठ खोल दे
और मेरा कण्ठ तेरा गुणगान करेगा।

तू बलिदान से प्रसन्न नहीं होता।
यदि मैं होम चढ़ाता, तो तू उसे अस्वीकार करता।
मेरा पश्चाताप ही मेरा बलिदान होगा।
तू पश्चातापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।

प्रभु! सियोन पर दयादृष्टि कर,
येरूसालेम की चारदीवारी फिर उठा।
तब तू योग्य बलिदान - होम तथा पूर्णाहुति - स्वीकार करेगा
और तेरी वेदी पर बछड़े चढ़ाये जायेंगे।

अग्र. : ईश्वर, तू पश्चात्तापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।

अग्र. 2 : प्रभु क्रोध में भी अपनी दया का स्मरण कर।


भजन स्तुति : हब्बकूक 3:2-4, 13,15-19

प्रभु! मैंने तेरे कार्यों का विवरण सुना और भयभीत हो उठा।
प्रभु! हमारे समय में अपने कार्य दिखा,
हमारे समय में इन्हें प्रदार्शित कर;
किन्तु क्रोध में भी अपनी दया को याद कर।

ईश्वर तेमान से आ रहा है, परमपावन ईश्वर पारान पर्वत से।
उसकी महिमा आकाश पर छायी हुई है,
उसका स्तुतिगान पृथ्वी भर में व्याप्त है।
उसका तेज प्रकाश की तरह फैलता है।

उसके हाथ से दो किरणें निकलती हैं
यह उसके सामर्थ्य का रहस्य है।
तू अपनी प्रजा का उद्धार करने,
अपने अभिषिक्त की रक्षा करने निकला।

तूने समुद्र में, गरजती प्रचण्ड लहरों में
अपने अश्वों का मार्ग प्रशस्त किया।
मैंने सुना और मेरा शरीर काँप उठा।
सुनते ही मेरे होंठ काँपने लगे।

मेरी हाड्डियाँ शिथिल पड गयी, मेरे पैर लडखडाने लगे।
मैं उस विपत्ति के दिन तक निश्चित बैठा हूँ,
जब आक्रमण करने वाले राष्ट्र से लडने चलूँगा।

अंजीर के पेड में कलियाँ नहीं खिलती,
दाखबारियाँ नहीं फलतीं,
जैतून की फसल निराश करती हैं,
खेतों, में अनाज नहीं है,

भेड-बकरियों की संख्या कम होती गयी है
और बाड़ों में गाय-बैल नहीं रहे।
तब भी मैं प्रभु के कारण प्रसन्न होऊँगा,
अपने उद्धारक ईश्वर के कारण आनन्द मनाऊँगा।

प्रभु मेरा स्वामी है, मेरा बल;
वह मेरे पैरों को हिरनी की गति देता
और मुझे पर्वत पर चढने का सामर्थ्य देता है।

अग्र. : प्रभु क्रोध में भी अपनी दया का स्मरण कर।

अग्र. 3 : हे येरूसालेम, प्रभु की स्तुति कर।


स्तोत्र 147 येरूसालेम का पुनर्निर्माण।

येरूसालेम! प्रभु की स्तुति कर।
सियोन! अपने ईश्वर का गुणगान कर।

उसने तेरे फाटकों के अर्गल सुदृढ़ बना दिये,
उसने तेरे यहाँ के बच्चों को आशीर्वाद दिया।
वह तेरे प्रान्तों में शान्ति बनाये रखता
और तुझे उत्तम गेहूँ से तृप्त करता है।

वह पृथ्वी को अपना आदेश देता है,
उसकी वाणी शीघ्र ही फैल जाती है।
वह ऊन की तरह हिम बरसाता
और राख की तरह पाला गिराता है।

वह ओले के कण छितराता है।
ठण्ड के सामने कौन टिक सकता है?
वह आदेश देता है और बर्फ पिघलती है।
वह पवन भेजता है और जलधाराएँ बहती हैं।

वह याकूब को अपना आदेश देता
और इस्राएल के लिए अपना विधान घोषित करता है।
उसने किसी अन्य राष्ट्र के लिए ऐसा नहीं किया।
उसने उनके लिए अपने नियम नहीं प्रकट किये।

अग्र. : हे येरूसालेम, प्रभु की स्तुति कर।


धर्मग्रन्थ-पाठ : एफेसियो 2:13-16

आप लोग पहले दूर थे, किन्तु ईसा मसीह से संयुक्त हो कर आप अब मसीह के रक्त द्वारा निकट आ गये है; क्योंकि वही हमारी शान्ति हैं। उन्होंने यहूदियों और गैर-यहूदियों को एक कर दिया है। दोनों में शत्रुता की जो दीवार थी, उसे उन्होंने गिरा दिया है। और अपनी मृत्यु द्वारा विधि-निषेधों की संहिता को रद्द कर दिया। इस प्रकार उन्होंने यहूदियों तथा गैर-यहूदियों को अपने से मिला कर एक नयी मानवता की सृष्टि की और शान्ति स्थापित की है। उन्होंने क्रूस द्वारा दोनों का एक ही शरीर में ईश्वर के साथ मेल कराया और इस प्रकार शत्रुता को नष्ट कर दिया।

लघु अनुवाक्य
अगुआ : मैं प्रभु ईश्वर को पुकारता हूँ क्योंकि वह मेरा सहायक है।
समूह : मैं प्रभु ईश्वर को पुकारता हूँ क्योंकि वह मेरा सहायक है।
• वह स्वर्ग से मेरी सहायता करे और मुझे बचाये
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :ईश्वर की प्रेममय करुणा से हमें स्वर्गिक सूर्य का प्रकाश प्राप्त हुआ है।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : ईश्वर की प्रेममय करुणा से हमें स्वर्गिक सूर्य का प्रकाश प्राप्त हुआ है।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :हे पिता, हम तेरा गुणगान करते हैं; क्योंकि तूने हमारे लिए अपने पुत्र को भेजा है। उन्होंने पवित्र आत्मा के द्वारा अपने को तुझे बलि चढ़ाया जिससे हम स्वार्थ और मृत्यु से मुक्त होकर तेरी शान्ति में जीवन बिता सकें।
समूह : हे पिता, तेरी ही इच्छा के पालन में हमारी शान्ति है।
• हे प्रभु! इस दिन को हम तेरे ही दान-स्वरूप ग्रहण करते हैं – जीवन की नवीनता में जीने की हमें कृपा दे।
• तू ही सब वस्तुओं का कर्ता-धर्ता तथा विधाता है – समस्त वस्तुओं में तुझे कार्यरत देखने की हमें अन्तर्दृष्टि दे।
• तेरे पुत्र ने अपने रक्त द्वारा एक नवीन तथा शाश्वत व्यवस्थान स्थापित किया – उस व्यवस्थान की भली-भाँति कदर कर उसके अनुसार जीवन-यापन करने के लिए हमें सहायता दे।
• क्रूस पर मरे येसु की बगल से रक्त और जल बह निकला – यूखारिस्त में भाग लेने वाले हम भक्तों को पवित्र आत्मा प्रदान कर।

हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, हम इस प्रभात-वन्दना की स्तुति-भेंट तुझे चढ़ाते हुए यह निवेदन करते हैं कि तेरे राज्य में तेरे सन्तों के संग हम और भी आनन्द के साथ तेरा यशोगान कर सकें। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!