प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 2 - सोमवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. :आइये, हम प्रभु में आनन्द मनायें, भजन गाते हुये हम उसकी स्तुति करें।


मंगलगान


उतर हे आत्मा सृजनहार, अपने लोगों को दर्शन दे
वरदान-आशिष से भर जावें, जो आत्मायें तूने सृजीं।

इन्द्री को प्रकाशमान कर दे, हृदय में प्रेमाग्नि सुलगा,
झुकती है नीचे पापमय देह, उसको नित दिन नया बल दे।

वैरी को हम से दूर हटा, हमें तुरन्त शान्ति बल दे,
कि पाकर तेरी अगुआई, हानि से हम बचे रहें।

हम पिता को जान लें तुझसे, हो विदित पुत्रेश ख्रीस्त हमें
तुम दोनों के ही आत्मा में, दृढ़ विश्वास सदा हम रखें।

अग्र. 1 : मैं कब जाकर प्रभु के दर्शन करूँगा।


स्तोत्र 41 प्रभु और उसके मन्दिर के दर्शनों की अभिलाषा।

ईश्वर! जैसे हरिणी जलधारा के लिए तरसती है,
वैसे मेरी आत्मा तेरे लिए तरसती है।

मेरी आत्मा ईश्वर की, जीवन्त ईश्वर की प्यासी है।
मैं कब जा कर ईश्वर के दर्शन करूँगा?
दिन-रात मेरे आँसू ही मेरा भोजन है।
लोग दिन भर यह कहते हुए मुझे छेड़ते हैं: "कहाँ है तुम्हारा ईश्वर?"

मैं भावविभोर हो कर वह समय याद करता हूँ,
जब उत्सव मनाती हुई भीड़ में मैं अन्य तीर्थयात्रियों के साथ
आनन्द और उल्लास के गीत गाते हुए
ईश्वर के मन्दिर की ओर बढ़ रहा था।

मेरी आत्मा! क्यों उदास हो? क्यों आह भरती हो?
ईश्वर पर भरोसा रखो। मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।
वह मेरा मुक्तिदाता और मेरा ईश्वर है।

मेरी आत्मा मेरे अन्तरतम में उदास है;
इसलिए मैं यर्दन और हेरमोन प्रदेश से,
मिसार के पर्वत पर से तुझे याद करता हूँ।

तेरे जलप्रपातों का घोर निनाद प्रतिध्वनि हो कर गरजता है।
तेरी समस्त लहरें और तरंगें मुझ पर गिर कर बह गयी हैं।
दिन में मैं प्रभु की कृपा के लिए तरसता हूँ,
रात को मैं अपने जीवन्त ईश्वर की स्तुति गाता हूँ।

मैं ईश्वर से, अपनी चट्टान से, कहता हूँ,
"तू मुझे क्यों भूल जाता है?
शत्रु के अत्याचार से दुःखी हो कर
मुझे क्यों भटकना पड़ता है?"

मेरी हड्डियाँ रौंदी जा रही हैं।
मेरे विरोधी यह कहते हुए
दिन भर मेरा अपमान करते हैं
"कहाँ है तुम्हारा ईश्वर?

मेरी आत्मा! क्यों उदास हो? क्यों आह भरती हो?
ईश्वर पर भरोसा रखो। मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा।
वह मेरा मुक्तिदाता और मेरा ईश्वर है।

अग्र. : मैं कब जाकर प्रभु के दर्शन करूँगा।

अग्र. 2 : प्रभु, हमें अपनी करुणा की ज्योति दिखा।


भजन स्तुति : प्रवक्ता 36:1-7, 13-16

सर्वेश्वर प्रभु! हम पर दया कर,
सब राष्ट्रों में अपने प्रति श्रद्धा उत्पन्न कर,
अन्य राष्ट्रों पर अपना हाथ उठा, जिससे वे तेरा सामर्थ्य देखें।

जिस तरह तूने उनके सामने हम पर अपनी पवित्रता को प्रदर्शित किया,
उसी तरह उन में अपनी महिमा को हमारे सामने प्रदर्शित कर।
प्रभु! वे तुझे उसी प्रकार जान जायें,
जिस प्रकार हम जान गये कि तेरे सिवा और कोई ईश्वर नहीं।

नये चिन्ह प्रकट कर और नये चमत्कार दिखा।
अपना हाथ और भुजबल महिमान्वित कर।

याकूब के समस्त वंशियों को एकत्र कर,
उन्हें पहले की तरह उनकी विरासत लौटा।
प्रभु! उस प्रजा पर दया कर, जो तेरी निजी कहलाती है,
इस्राएल पर, जिसे तूने अपना पहलौठा माना है।

अपने पवित्र नगर, अपने निवासस्थान येरूसालेम पर दया कर।
अपने स्तुतिगान से सियोन को भर दे
और अपनी महिमा से अपने मन्दिर को।

अग्र. : प्रभु, हमें अपनी करुणा की ज्योति दिखा।

अग्र. 3 : स्वर्ग में विराजमान प्रभु, तू धन्य है।


स्तोत्र 18 सृष्टिकर्ता प्रभु का स्तुतिगान।

आकाश ईश्वर की महिमा बखानता है,
तारामण्डल उसका सामर्थ्य प्रकट करता है।
दिन, दिन को उसकी कहानी सुनाता है
और रात, रात को उसे बताती है।

न तो कोई वाणी सुनाई देती है,
न कोई शब्द और न कोई स्वर,
फिर भी उसकी गूँज संसार भर में फैल जाती है।
और पृथ्वी के सीमान्तों तक उसकी ध्वनि।

प्रभु ने आकश में सूर्य के लिए एक तम्बू खड़ा किया है।
वह उस से इस तरह प्रकट होता है,
जिस तरह वह विवाह-मण्डप से निकलता है।

सूर्य उत्साह के साथ शूरवीर की तरह अपनी दौड़ पूरी करने जाता है।
वह आकाश के एक छोर से उदित हो कर
दूसरे छोर तक अपनी परिक्रमा पूरी करता है।
ऐसा कुछ नहीं, जो उसके ताप से अछूता रहे।

अग्र. : स्वर्ग में विराजमान प्रभु, तू धन्य है।


धर्मग्रन्थ-पाठ : यिरमियाह 15:16

तेरी वाणी मुझे प्राप्त हुई और मैं उसे तुरंत निगल गया। वह मरे लिए आनंद और उल्लास का विषय थी; क्योंकि तूने मुझे अपनाया विश्वमण्डल के प्रभु-ईश्वर!

लघु अनुवाक्य : अगुआ : ओ धर्मियो, प्रभु में आनन्द मनाओ, क्योंकि महिमागान करना सच्चे हृदय वालों के लिए शोभन है।
अगुआ : ओ धर्मियो, प्रभु में आनन्द मनाओ, क्योंकि महिमागान करना सच्चे हृदय वालों के लिए शोभन है।
• उसके आदर में नया गीत गाओ।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :प्रभु को धन्य कहो जिसने हमारि सुधि लेकर हमारा उध्दार किया है।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : प्रभु को धन्य कहो जिसने हमारि सुधि लेकर हमारा उध्दार किया है।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :मसीह ने हमें अपने पुरोहिताई का साझेदार बनाया है। हम उनके साथ मिलकर अपनी प्रार्थनायें पिता को समर्पित करते हैं।
समूह : हे प्रभु, हमारा प्रेम और हमारी सेवा स्वीकार कर।
• हे प्रभु येसु, तू शाश्वत पुरोहित है – हमारी प्रभात वंदना पिता के लिए ग्राह्य बना।
• हमें आज पवित्र आत्मा के वरदान प्रदान कर – हमें क्षमाशील, सौम्य एवं दयालु बना।
• हे प्रभु तू ही प्रेम है – हमें तू प्रेम करना सिखा।
• हमें अपने पड़ोसियों को ज़रूरतों को पहचानने का विवेक प्रदान कर – उन्हें भाई-बहनों जैसा प्यार करने की हिम्मद दे।

हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे सर्वशक्तिमान प्रभु ईश्वर, जैसे तूने हमें इस दिवस को प्रारम्भ करने की कृपा दी है, वैसे ही आज दिन भर अपने सामर्थ्य से ही हमारी रक्षा करता रह। हम पाप की ओर प्रवृत्त न हो जायें वरन्‍ मन-वचन-कर्म से वही करें जो तुझे प्रिय है। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!