प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 1 - शुक्रवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. :प्रभु का धन्यवाद करो, क्योंकि उसका प्रेम असीम है।


मंगलगान


त्रियेक भगवान, भजे तुझे तेरी संतान;
ओ .... त्रियेक भगवान।
महिमा, महिमा, महिमा, महिमा,
महिमा, महिमा, महिमा॥

स्वर्गों का तेरा सासन; धरती बने पगदान,
हे राष्ट्रों के शासक, प्रजा करें नमन, नमन, नमन, नमन।

बसो सभी के दिलों में; निरखो प्रभु अंतर में,
मन मन के हे राजक, तुझे करें नमन, नमन, नमन, नमन।

धन्य पिता परमेश्वर; धन्य सुत हे ईश्वर,
धन्य आत्मा ईश्वर, बाल करें नमन, नमन, नमन, नमन।

अग्र. 1 : प्रभु तू अपनी वेदी पर योग्य बलिदान स्वीकार करेगा।


स्तोत्र 50 ईश्वर! मुझ पर दया कर।

ईश्वर! तू दयालु है, मुझ पर दया कर।
तू दयासागर है, मेरा अपराध क्षमा कर।
मेरी दुष्टता पूर्ण रूप से धो डाल,
मुझ पापी को शुद्ध कर।

मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ।
मेरा पाप निरन्तर मेरे सामने है।
मैंने तेरे विरुद्ध पाप किया है।
मैंने वही किया, जो तेरी दृष्टि में बुरा है;

इसलिए तेरा निर्णय सही
और तेरी दण्डाज्ञा न्यायसंगत है।
मैं तो जन्म से ही अपराधी,
अपनी माता के गर्भ से ही पापी हूँ।

तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है।
मेरे अन्तःकरण को ज्ञान की बातें सिखा।
मुझ पर जूफ़ा से जल छिड़क दे और मैं शुद्ध हो जाऊँगा,
मुझे धो और मैं हिम से भी अधिक स्वच्छ हो जाऊँगा

मुझे आनन्द और उल्लास का सन्देश सुना
और तुझ से रौंदी हुई हड्डियाँ फिर खिल उठेंगी।
मेरे पापों पर दृष्टि न डाल,
मेरा अपराध मिटाने की कृपा कर।

ईश्वर! मेरा हृदय फिर शुद्ध कर
और मेरा मन फिर सुदृढ़ बना।
अपने सान्निध्य से मुझे दूर न कर,
अपने पवित्र आत्मा से मुझे वंचित न कर।

मुक्ति का आनन्द मुझे फिर प्रदान कर,
उदारता में मेरा मन सुदृढ़ बना।
मैं अपराधियों को तेरे मार्ग की शिक्षा दूँगा
और पापी तेरे पास लौट आयेंगे।

ईश्वर! तू मेरे मुक्तिदाता! मेरा उद्धार कर
और मैं तेरी भलाई का बखान करूँगा।
प्रभु! मेरे होंठ खोल दे
और मेरा कण्ठ तेरा गुणगान करेगा।

तू बलिदान से प्रसन्न नहीं होता।
यदि मैं होम चढ़ाता, तो तू उसे अस्वीकार करता।
मेरा पश्चाताप ही मेरा बलिदान होगा।
तू पश्चातापी दीन-हीन हृदय का तिरस्कार नहीं करेगा।

प्रभु! सियोन पर दयादृष्टि कर,
येरूसालेम की चारदीवारी फिर उठा।
तब तू योग्य बलिदान - होम तथा पूर्णाहुति - स्वीकार करेगा
और तेरी वेदी पर बछड़े चढ़ाये जायेंगे।

अग्र. : प्रभु तू अपनी वेदी पर योग्य बलिदान स्वीकार करेगा।

अग्र. 2 : इस्राएल के वंशज प्रभु से संपन्न की गयी विजय पर गौरव करेंगे।


भजन स्तुति : इसायाह 45:15-25

इस्राएल के मुक्तिदाता ईश्वर!
तू निश्चय वही ईश्वर है, जो अपने को छिपाता है।
देखो, देवमूर्तियाँ बनाने वाले सब-के-सब
लज्जित, अपमानित और कलंकित हो कर जा रहे हैं।

ईश्वर के द्वारा इस्राएल का उद्धार हुआ है
और वह उद्धार चिरस्थायी है।
तुम अनन्त काल तक न तो अपमानित होगे और न कलंकित।

यह आकाश के सृष्टिकर्ता प्रभु का कहना है।
उसने पृथ्वी गढ़ कर उसकी नींव सुदृढ़ बनायी है।
उसने उसे इसलिए नहीं बनाया कि वह उजाड़ रहे,
बल्कि इसलिए कि लोग उस पर निवास करें।

प्रभु कहता हैः “मैं ही प्रभु हूँ, कोई दूसरा नहीं।
मैं न तो छिप कर बोला हूँ
और न पृथ्वी के किसी अन्धकारमय स्थान से।
मैंने याकूब के वंशजों से नहीं कहा, ’शून्य उजाड़ स्थान में मुझे ढूँढ़ो।

मैं ही प्रभु हूँ। मैं सही बात कहता हूँ,
मैं न्याय घोषित करता हूँ।
तुम, जो राष्ट्रों में बच गये हो,
एकत्र हो कर मेरे पास आओ।

जो जुलूस निकाल कर
लकड़ी से बनी हुई अपनी देवमूर्ति ले जाते हैं,
वे कुछ नहीं जानते और ऐसे देवता से प्रार्थना करते हैं,
जो उनका उद्धार नहीं कर सकता।

आओ और अपनी सफ़ाई दो।
आपस में परामर्श करो।
किसने यह बात प्रारम्भ से ही बतायी?
किसने बहुत पहले इसकी घोषणा की थी?

क्या मैं, प्रभु ने ऐसा नहीं किया था?
मेरे सिवा कोई दूसरा ईश्वर नहीं।
मेरे सिवा कोई न्यायी और उद्धारकरर्ता ईश्वर नहीं।

पृथ्वी के सीमान्तों से मेरे पास आओ
और तुम मुक्ति प्राप्त करोगे,
क्योंकि मेरे सिवा कोई ईश्वर नहीं।
मेरे मुख से निकलने वाला शब्द सच्चा और अपरिवर्तनीय है।

मैं शपथ खा कर यह कहता हूँ: हर घुटना मेरे सामने झुकेगा,
हर कण्ठ मेरे नाम की शपथ लेगा।
सब लोग मेरे विषय में कहेंगे-
प्रभु में ही न्याय दिलाने का सामर्थ्य है।

जो उस से बैर करते थे,
वे सब लज्जित हो कर उसके पास आयेंगे।
प्रभु इस्राएल की समस्त प्रजा को न्याय दिलायेगा
और वह प्रभु का गौरव करेगी।

अग्र. : इस्राएल के वंशज प्रभु से संपन्न की गयी विजय पर गौरव करेंगे।

अग्र. 3 : उल्लास के गीत गाते हुए प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ।


स्तोत्र 99 ईश्वर! मुझ पर दया कर।

समस्त पृथ्वी! प्रभु की स्तुति करो।
आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो।
उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो।

यह जान लो कि प्रभु ही ईश्वर है।
उसी ने हमें बनाया है-हम उसी के हैं।
हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।

धन्यवाद देते हुए उसके मन्दिर में प्रवेश करो;
भजन गाते हुए उसके प्रांगण में आ जाओ;
उसकी स्तुति करो और उसका नाम धन्य कहो।

ओह! ईश्वर कितना भला है!
उसका प्रेम चिरस्थायी है।
उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है।

अग्र. : उल्लास के गीत गाते हुए प्रभु के सामने उपस्थित हो जाओ।


धर्मग्रन्थ-पाठ : एफेसियो 4:29-32

आपके मुख से कोई अशलील बात नहीं, बल्कि ऐसे शब्द निकलें, जो अवसर के अनुरूप दूसरों के निर्माण तथा कल्याण में सहायक हों। पवित्र आत्मा ने मुक्ति के दिन के लिए आप लोगों पर अपनी मोहर लगा दी है। आप उसे दुःख नहीं दें। आप लोग सब प्रकार की कटुता, उत्तेजना, क्रोध, लड़ाई-झगड़ा, परनिन्दा और हर तरह की बुराई अपने बीच से दूर करें। एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह ईश्वर ने मसीह के कारण आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।

लघु आनुवाक्य
अगुआ : प्रात:काल मैं तेरे प्रेम का अनुभव करूँ।
समूह : प्रात:काल मैं तेरे प्रेम का अनुभव करूँ।
• जिस मार्ग से मुझे चलना है, उसका मुझे ज्ञान दे।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :प्रभु ने अपनी प्रजा की सुधि ली है; वह उनका उध्दार करने आया है।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : प्रभु ने अपनी प्रजा की सुधि ली है; वह उनका उध्दार करने आया है।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :हे प्रभु येसु, हम तुझे धन्यवाद देते हैं। अपने क्रूस और पुनरुत्थान द्वारा तू उन लोगोम को आशा एवं स्वतंत्रता देता है, जो उन्हें ग्रहण करने के लिए तैयार रहते हैं।
समूह : हे प्रभु, तू अपनी प्रेममय दयालुता हमें प्रदर्शित कर।
• हम ज्योति की सन्तान हैं – अपने सान्निध्य की ज्योति में जीवन-यापन करने के लिए हमारी सहायता कर।
• हमारे मन-वचन-कर्म का तू पथ प्रदर्शक बन जा – ताकि हमारा काम-काज तुझे पसन्द आवे।
• हमें बुराई से दूर रख – और अपनी प्रेम-भरी कृपा हमें दिखा।
• अपने दुख-भोग तथा मृत्यु द्वारा तूने हमें नवजीवन दिलाया है – अपने पवित्र आत्मा का बल हमें प्रदान कर।

हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे प्रभु-ईश्वर, तुझे नहीं जानने वालों को तू अपने अनादि शब्द की ज्योति से आलोकित करता है। तूने हमें जो विश्वास प्रदान किया है, उसे दृढ़ कर। अपने पवित्र आत्मा द्वारा हमारे हृदय में सुलगायी गयी प्रेम-अग्नि को कोई भी दुख-विपत्ति न बुझा पावे। यह प्रार्थना हम करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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