प्रभात वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह 1 - बृहस्पतिवार


अगुआ : प्रभु! हमारे अधरों को खोल दे।

समूह : और हम तेरे नाम का गुणगान करेंगे।


आमंत्रक स्तोत्र

आमन्त्रक अग्र. :आइये, हम दंडवत कर प्रभु की आराधना करें। क्योंकि वही हमारा ईश्वर है।


मंगलगान


जागो, जागो, जागो,
गगन पवन और वन उपवन करने नमन हे मन तुम जागो।।

भोर भये तुम उठ जाओ; पंछी देखो, मगन हो गाये,
क्यों हो तुम समय गँवाये; करने भजन तुम भी आब जागो।

कर लो ध्यान तुम कर लो विचार, फिर न मिले ये क्षण दो बार,
जीवन के हैं दिन दो-चार, करने पूजन मन तुम जागो॥

बहती है धारा, पलकें खोलो, खोज लो अपना धन अनमोल,
मिलता है तुमको सब बिन मोल, करने वन्दन मन तुम जागो॥

अग्र. 1 : सारंगी और वीणा जागो, मैं प्रभात को जगाऊँगा।


स्तोत्र 56 संकट में प्रात:कालीन प्रार्थना।


मुझ पर दया कर। ईश्वर! मुझ पर दया कर।
मैं तेरी शरण आया हूँ।
जब तक संकट न टले, मैं तेरे पंखों की छाया में रहूँगा।

मैं सर्वोच्च ईश्वर को पुकारता हूँ, ईश्वर को, जो मेरा हितकारी है।
वह स्वर्ग से मेरी सहायता और मेरी रक्षा करे।

मेरे अत्याचारी ने ईश-निन्दा की है।
प्रभु अपना प्रेम और अपनी सत्यप्रतिज्ञता प्रदर्शित करे।

मैं सिंहों के बीच पड़ा हुआ हूँ,
आग उगलने वाले प्राणियों के बीच रहता हूँ।
उनके दाँत भाले और बाण हैं और उनकी जीभ पैनी तलवार।

ईश्वर! आकाश के ऊपर अपने को प्रदर्शित कर।
समस्त पृथ्वी पर तेरी महिमा प्रकट हो।

मनुष्यों ने मेरे पैरों के नीचे जाल बिछाया और मुझे नीचा दिखाया है।
उन्होंने मेरे लिए चोरगढ़ा खोदा है, किन्तु उस में वे स्वयं गिर गये हैं।

ईश्वर! मेरा हृदय प्रस्तुत है; प्रस्तुत है मेरा हृदय।
मैं गाते-बजाते हुए भजन सुनाऊँगा।

मेरी आत्मा! जाग। सारंगी और वीणा! जागो।
मैं प्रभात को जगाऊँगा।

प्रभु! मैं राष्ट्रों के बीच तुझे धन्य कहूँगा।
मैं देश-विदेश में तेरा स्तुतिगान करूँगा;

क्योंकि आकाश के सदृश ऊँची है तेरी सत्यप्रतिज्ञता;
तारामण्डल के सदृश ऊँचा है तेरा सत्य।

ईश्वर! आकाश के ऊपर अपने को प्रदर्शित कर।
समस्त पृथ्वी पर तेरी महिमा प्रकट हो।

अग्र. : सारंगी और वीणा जागो, मैं प्रभात को जगाऊँगा।

अग्र. 2 : प्रभु कहता है – मेरी प्रजा मेरे दानों से तृप्त की जायेगी।


भजन स्तुति : यिरमियाह 31:10-14

“राष्ट्रों! ईश्वर का सन्देश सुनो
और दूर के द्वीपों में उसकी घोषणा करो।

जिसने इस्राएल को चारों दिशाओं में बिखेरा,
वह उसे एकत्र करता और उसकी रखवाली करता है,
जिस तरह चरवाहा अपने झुण्ड की रक्षा करता है;

क्योंकि वह याकूब का उद्धार करता है
और जो उस से बलवान् है, उसके हाथ से उसे छुड़ाता है।
वे आ रहे हैं और सियोन पर्वत पर आनन्द के गीत गा रहे हैं।

वे प्रभु के उदार दानों के कारण आनन्द मनाते हैं –
गेहूँ, नयी अंगूरी और तेल, मवेशी और भेड़ बकरियाँ।

सींची हुई वाटिका के सदृश उन में नवजीवन का संचार हो रहा है।
वे फिर कभी नहीं कुम्हलायेंगे।

युवतियाँ उल्लास से नाचती हैं,
नवयुवक और वृद्ध आनन्द मनाते हैं।

मैं उनका शोक हर्ष में बदल कर उन्हें सान्त्वना देता हूँ,
मैं दुःखियों में उत्साह भरता हूँ।

मैं याजकों को उत्तम व्यंजन खिलाता हूँ,
मेरी प्रजा मेरे उदार दानों से तृप्त है।

अग्र. : प्रभु कहता है – मेरी प्रजा मेरे दानों से तृप्त की जायेगी।

अग्र. 3 : हमारे ईश्वर के नगर में प्रभु महान और प्रशंसनीय है।


स्तोत्र 47 प्रजा के कल्याण के लिए धन्यवाद।


प्रभु महान् और परमप्रशंनीय है।
हमारे ईश्वर के नगर में उसका पवित्र पर्वत ऊँचा और मनोहर है।
वह समस्त पृथ्वी को आनन्द प्रदान करता है।

सियोन का पर्वत ईश्वर का निवास और राजाधिराज का नगर है।
ईश्वर उसके गढ़ों में निवास करता और उसे सुरक्षित रखता है।

देखो! राजागण संगठित हो गये,
उन्होंने मिल कर उस पर आक्रमण किया।
वे उसे देखते ही घबरा गये,
आतंकित हो कर भाग गये।

वे वहाँ पहुँचते ही इस तरह भयभीत और पीड़ित हो गये,
जिस तरह प्रसव निकट आने पर स्त्री को वेदना होती है।

उनकी दशा उन समुद्री जहाजों-जैसी हो गयी,
जिन्हें पूर्वी आँधी छिन्न-भिन्न कर देती है।

जैसा हमने सुना था, वैसा ही हमने देखा है-
विश्वमंडल के प्रभु के नगर में, हमारे ईश्वर के नगर में,
ईश्वर उसे सदा के लिए सुरक्षित रखता है।

ईश्वर! हम तेरे मन्दिर में तेरे प्रेम का मनन करते हैं।
ईश्वर! तेरे नाम की तरह
तेरी स्तुति पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाती है।

तेरे दाहिने हाथ में न्याय भरा है।
तेरी न्यायप्रियता के कारण सियोन पर्वत आनन्द मनाता है।
यूदा के नगर तेरे निर्णय सुन कर आनन्दित हैं।

सियोन की प्रदक्षिणा करो,
उसकी मीनारों की गिनती करो,
उसकी चारदीवारी को ध्यान से देखो,
उसके भवनों पर दृष्टि दौड़ाओ,

जिससे तुम आने वाली पीढ़ियों को बता सको
कि प्रभु हमारा ईश्वर है।
वह अनन्त काल तक हमारा नेतृत्व करेगा।

अग्र. : हमारे ईश्वर के नगर में प्रभु महान और प्रशंसनीय है।

धर्मग्रन्थ-पाठ : इसायाह 66:1-2


प्रभु यह कहता हैः “आकाश मेरा सिंहासन है और पृथ्वी मेरा पावदान। तुम मेरे लिए कौन-सा घर बनाओगे? मेरे विश्राम का घर कहाँ होगा? मैंने अपने हाथों से सब कुछ बनाया है। सब कुछ मेरा ही है“ -यह प्रभु की वाणी है- “मैं उन लोगों पर कृपादृष्टि करता हूँ, जो विनम्र और पश्चातापी हैं, जो श्रद्धा से मेरी वाणी सुनते हैं।

लघु अनुवाक्य :
अगुआ : मैंने सारे हृदय से पुकारा; प्रभु, मेरी सुन।
समूह : मैंने सारे हृदय से पुकारा; प्रभु, मेरी सुन।
• मैं तेरे नियमों का पालन करूँगा
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

ज़ाकरी गान

अग्र. :हम धार्मिकता से प्रभु की सेवा करें और वह हमको शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा।

धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।

वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।

उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।

बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।

हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र. : हम धार्मिकता से प्रभु की सेवा करें और वह हमको शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :इस नये दिन का स्वागत करते हुए हम ख्रीस्त को धन्यवाद दें; क्योंकि उन्होंने हमारे लिए भला कार्य किया है। हम पर उनकी आशिष बरसती रहे, इसके लिए हम निवेदन करें।
समूह : हे प्रभु, आज हमारे काम-काज स्वीकार कर और हमें आशिष प्रदान कर।
• तूने अपने को हमारे लिए पिता को भेंट चढ़ाया – तू अपनी भेंट के साथ हमारी भेंट भी पिता को चढ़ा दे।
• तू स्वभाव से नम्र और विनीत है – तेरे समान हम भी दूसरों का स्वागत करना सीखें।
• जैसे प्रत्येक दिन का उदय होता है – तेरी ज्योति हमारे हृदय में प्रज्ज्वलित हो – उसका प्रेम-रश्मि सारे संसार में चमके।
• जो रोगग्रस्त हैं, उन्हें तू अपनी दया दिखा – प्रेत्येक नया दिवस तुझ पर उनका विश्वास बढ़ाता जाये।

हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे सर्वशक्तिमान शाश्वत ईश्वर, हम तीनों पहर तेरी दुहाई देते हैं। तू हमें एकमात्र ज्योति अपने पुत्र ख्रीस्त के पास ले जा जिससे हमारे हृदय का पाप-अन्धकार दूर हो जाये। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!