आमन्त्रक अग्र. : प्रभु सचमुच जी उठे हैं; अल्लेलूया।
स्तोत्र 94
आओ! हम आनन्द मनाते हुए प्रभु की स्तुति करें,
अपने शक्तिशाली त्राणकर्ता का गुणगान करें।
हम धन्यवाद करते हुए उसके पास जायें,
भजन गाते हुए उसे धन्य कहें; (अग्र.)
क्योंकि हमारा प्रभु शक्तिशाली ईश्वर है,
वह सभी देवताओं से महान् अधिपति है।
वह पृथ्वी की गहराइयों को अपने हाथ से संभालता है,
पर्वतों के शिखर उसी के है।
समुद्र और पृथ्वी, जल और थल
सब उसके बनाये हुए और उसी के हैं। (अग्र.)
आओ! हम दण्डवत् कर प्रभु की आराधना करें,
अपने सृष्टिकर्ता के सामने घुटने टेकें;
क्योंकि वही हमारा ईश्वर है और हम हैं-
उसके चरागाह की प्रजा, उसकी अपनी भेड़ें। (अग्र.)
ओह! यदि तुम आज उसकी यह वाणी सुनो,
अपना हृदय कठोर न कर लो,
जैसा कि पहले मरीबा में,
जैसा कि मस्सा की मरुभूमि में हुआ था।
तुम्हारे पूर्वजों ने वहाँ मुझे चुनौती दी
मेरा कार्य देख कर भी उन्होंने मेरी परीक्षा ली। (अग्र.)
वह पीढ़ी मुझे चालीस वर्षों तक अप्रसन्न करती रही
और मैंने कहा, "उनका हृदय भटकता रहा है,
वे मेरे मार्ग नहीं जानते"।
तब मैंने क्रुद्ध होकर यह शपथ खायी:
"वे मेरे विश्राम-स्थान में प्रवेश नहीं करेंगे"। (अग्र.)
पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो,
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन। (अग्र.)
वैकल्पिक 1 – स्तोत्र 99
समस्त पृथ्वी! प्रभु की स्तुति करो।
आनन्द के साथ प्रभु की सेवा करो।
उल्लास के गीत गाते हुए उसके सामने उपस्थित हो। (अग्र.)
यह जान लो कि प्रभु ही ईश्वर है।
उसी ने हमें बनाया है-हम उसी के हैं।
हम उसकी प्रजा, उसके चरागाह की भेड़ें हैं। (अग्र.)
धन्यवाद देते हुए उसके मन्दिर में प्रवेश करो;
भजन गाते हुए उसके प्रांगण में आ जाओ;
उसकी स्तुति करो और उसका नाम धन्य कहो। (अग्र.)
ओह! ईश्वर कितना भला है!
उसका प्रेम चिरस्थायी है।
उसकी सत्यप्रतिज्ञता युगानुयुग बनी रहती है। (अग्र.)
पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो,
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन। (अग्र.)
वैकल्पिक 2 – स्तोत्र 66
ईश्वर हम पर दया करे और हमें आशीर्वाद दे।
वह हम पर दयादृष्टि करे, जिससे पृथ्वी पर तेरे मार्ग का
और राष्ट्रों में तेरे मुक्ति-विधान का ज्ञान हो। (अग्र.)
ईश्वर! राष्ट्र तुझे धन्यवाद दें।
सभी राष्ट्र मिल कर तुझे धन्यवाद दें। (अग्र.)
सभी राष्ट्र उल्लसित हो कर आनन्द मनायें,
क्योंकि तू न्यायपूर्वक संसार का शासन करता
और पृथ्वी पर राष्ट्रों का पथप्रदर्शन करता है। (अग्र.)
ईश्वर! राष्ट्र तुझे धन्यवाद दें।
सभी राष्ट्र मिल कर तुझे धन्यवाद दें। (अग्र.)
पृथ्वी ने अपनी उपज प्रदान की।
ईश्वर, हमारा ईश्वर हमें आशीर्वाद देता है।
ईश्वर हमें आशीर्वाद प्रदान करता रहे
और समस्त पृथ्वी उस पर श्रद्धा रखे। (अग्र.)
पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो,
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन। (अग्र.)
मंगलगान
मंगलगान : पास्का-काल (1) -1
विस्फारित आँखों से उस क्षण रहा देखता अंबर विस्मित।
पवन रहा था उस पल स्तंभित धरा रही मुसकाती किंचित।
विस्मयकारी यह आभा क्यों? मर कर जी ख्रीस्त उठे॥
धन्य कुँवारी मरियम! तूने साथ येसु के क्या न सहा था।
तेरा भी तो क्रूस वही था जिस पर तेरा सुत टँगा था।
हर्ष मनाये अब सभी क्योंकि मर कर हैं जी ख्रीस्त उठे॥
पेत्रुस अब मत खोओ साहस प्रभु ने तुम को प्यार किया है।
जो भी तुमने बुरा किया था रक्त बहाकर साफ किया है।
अब आशा जगी चहुँ ओर क्योंकि मर कर हैं जी ख्रीस्त उठे॥
उन्हें न ढ़ूँढ़ो मृतकों में हम जो हैं जीवित महिमा-भूषित।
छिपे दृष्टि से रहते हैं वे बन बलि प्रसाद और पुरोहित।
किन्तु हमारे हैं साथ क्योंकि मर कर हैं जी ख्रीस्त उठे॥
विडंबना यह जो आप कभी नहीं दिखाते निज रूप सभी।
दिखला दे वह कांति अनोखी अपने उस महिमान्वित तन की।
हम भी हों प्रभु! कान्तिमय क्योंकि मर कर हैं जी आप उठे॥
मंगलगान : पास्का-काल (1) -2
आज उठे जी मर कर भी तुम! मृत्यु और जीवन के स्वामी!
धरती विस्मित! अंबर स्तंभित ख्रीस्त येसु! हो तुम अविनाशी।
दिवस हर्ष का है यह सुन्दर क्योंकि मरे जो हेतु हमारे।
सहकर दारुण संकट सारे आज उठे जी प्रभुवर प्यारे।
हर्षित मन हम गावें महिमा गौरवशाली उस राजा की॥
नरक पराजित हुआ आज है पाश पाप का अब रहा नहीं।
देख तुम्हारी विजय मृत्यु पर कायर शत्रु भाग पड़े सभी।
आशा मिली कि हम भी होंगे विजयी जैसे ख्रीस्त प्रतापी॥
धन्य पिता, पुत्र और आत्मा! शाश्वत ईश्वर! करुणा-विधान।
रचा प्रेमवश हेतु हमारे जिसने ऐसा सुन्दर विधान
कि मरे यदि हम साथ ख्रीस्त के तो महिमा भी पावें उसकी॥
मंगलगान : पास्का-काल (1) -3
तोड़ मृत्यु के बंधन सारे आज उठे जी ख्रीस्त हमारे,
जय उसकी सब दूत मनाते हम भी गायें गाने प्यारे,
जय प्रभु की जो आज उठे जी!
चले मेमना होकर भी वे युध्द पाप से करने निर्मम,
मारे तो वे गये, किन्तु हाँ छीना किसने उनका जीवन,
जय प्रभु की जो आज उठे जी!
सोचो तो तुम उन्हें क्रूस पर क्या-क्या सहना नहीं पड़ा था,
हाथ-पैर में कीलें निष्ठूर सिर पर निर्दय ताज जड़ा था,
जय प्रभु की जो आज उठे जी।
दो डाकू थे दायें-बायें यह भी अपमान झेलना था,
साथ न देगा कोई उनका उन्हें अकेले तो मरना था,
जय प्रभु की जो आज उठे जी।
अभी वही कहते हैं हम से “कह दो सब से बात नई,
क्षमा मिलेगी सब पापों की आओ! डरने की बात नहीं,
यौ प्रभु की जो आज उठे जी!
मंगलगान : पास्का-काल (1) -4
शक्ति नरक की कैसी थी वह जिसने इतना तुझे सताया
लोभ दिखाया, अपमान किया, देह बेध कर क्रूस चढ़ाया,
ले लिये प्राण उसने तेरे किन्तु उठा जी, प्रभु! तू मर कर॥
रक्त भरा तन तेरा था, प्रभु! कहता गाथा हृदय-विचारक,
कष्ट हुआ होगा कितना, प्रभु! सुन-सुन कर ललकार भयानक,
दुख पहुँचाना चाहा कैसे हर तरह तुझे अपमानित कर॥
आत्म-समर्पण जो था तेरा उसमें से लौटा कुछ न लिया,
दुख भोगा, अपमान सहे सब लेकिन दुख के पथ से न डिगा,
देदीप्यमान! हे तेज-पुंज! आराधित तू नित्य-निरन्तर॥
बिखर गई दुष्टों की सेना, चेष्टायें उनकी गई व्यर्थ,
अपमानित था किया गया जो था कोई क्या उससे सरर्थ,
गीत नये महिमा के गायें खुशी मनायें इस शुभ दिन पर॥
कार्य लिया था जो, प्रभु! तूने कष्ट भोग कर भी पूर्ण किया,
पूर्ण करें यदि हम सब भी जो तूने हमको है कार्य दिया,
निश्चित हम भी पायेंगे, प्रभु! महिमा स्वर्गिक अनुपम मर कर॥
मंगलगान : पास्का-काल (1) -5
जय जय्कार करो, हर्ष मनाओ।
हे पुत्र-पुत्रियों आओ, हम गीत खुशी के गायें,
स्वर्गिक हमारे राजा, मर कर जीवित हुये आज।
था पुनरुत्थान सबेरा, कुछ भक्त नारियाँ आयीं,
प्रभु की समाधि थी खाली, वे चकित हुई घबरायीं।
उजले वस्त्रों में शोभित था दूत वहाँ अति सुन्दर,
प्रभु गये गलील नगर को, कह दो शिष्यों से जाकर।
उस रात शिष्यगण भय से, थे छिपे हुये घबराये,
प्रभु हुयॆ उपस्थित बोले – मम शान्ति तुम्हें मिल जाये।
अग्र. 1 : मैंने जो शिक्षा दी है, वह आत्मा और जीवन है; अल्लेलूया।
स्तोत्र 118:145-152
प्रभु! मैंने सारे हृदय से तुझे पुकारा, मेरी सुन।
मैं तेरी संहिता का पालन करूँगा।
मैंने तेरी दुहाई दी, मेरा उद्धार कर
और मैं तेरे आदेशों का पालन करूँगा।
मैं भोर से पहले तुझे पुकारता हूँ।
मुझे तेरी प्रतिज्ञा का भरोसा है।
तेरी शिक्षा का मनन करने के लिए
मेरी आँखें रात के पहरों में खुली रहीं।
अपनी सत्यप्रतिज्ञता के अनुरूप मेरी सुन। प्रभु!
अपने निर्णय के अनुसार मुझे नवजीवन दे।
तेरी संहिता की उपेक्षा करने वाले
दुष्ट अत्याचारी मेरे निकट आ रहे हैं।
प्रभु! तू भी तो निकट है।
तेरी सब आज्ञाएँ विश्वसनीय हैं।
मैं बहुत पहले से यह जानता हूँ
कि तूने सदा के लिए अपनी शिक्षा स्थापित की है।
अग्र. :मैंने जो शिक्षा दी है, वह आत्मा और जीवन है; अल्लेलूया।
अग्र. 2 : हे प्रभु, तूने अपने पवित्र पर्वत पर अपना मन्दिर खड़ा कर दिया है; अल्लेलूया।
भजन स्तुति : प्रज्ञा 9:1-6, 9-11
पूर्वजों के ईश्वर! दयासागर प्रभु!
तूने अपने शब्द से सब कुछ बनाया
और अपनी प्रज्ञा से मनुष्य को गढ़ा,
जिससे वह तेरी बनायी हुई सृष्टि का शीर्ष बने,
औचित्य और न्याय से संसार का शासन करें
और निष्कपट हृदय से निर्णय दे।
मुझे अपने सिंहासन पर विराजमान प्रज्ञा प्रदान कर
और अपने पुत्रों से मुझे अलग न कर।
क्योंकि मैं तेरा सेवक, तेरी दासी का पुत्र हूँ,
दुर्बल और अल्पायु मनुष्य हूँ,
मुझ में न्याय एवं विधि के ज्ञान का अभाव है।
वास्तव में यदि मनुष्यों में कोई पूर्ण हो,
किन्तु उस में तेरी प्रज्ञा न हो,
तो वह कुछ भी नहीं समझा जायेगा।
प्रज्ञा तेरे पास रहती है, वह तेरे कार्य जानती है।
वह विद्यमान थी, जब तूने संसार बनाया।
वह जानती है, कि तुझे क्या प्रिय है
और वह भी, जो तेरी आज्ञाओं के अनुकूल है।
प्रज्ञा को अपने पवित्र स्वर्ग से उतरने दे।
उसे अपने महिमामय सिंहासन से भेज,
जिससे वह मेरे साथ रह कर क्रियाशील हो
और मैं जानूँ कि तुझे क्या प्रिय है;
क्योंकि वह सब कुछ जानती और समझती है।
वह सावधानी से मेरा पथप्रदर्शन करेगी
और अपनी महिमा से मेरी रक्षा करेगी।
अग्र. : हे प्रभु, तूने अपने पवित्र पर्वत पर अपना मन्दिर खड़ा कर दिया है; अल्लेलूया।
अग्र. 3 : मैं हूँ मार्ग, सत्य और जीवन; अल्लेलूया।
स्तोत्र 116 परम दयालु प्रभु की स्तुति।
समस्त जातियों! प्रभु की स्तुति करो
समस्त राष्ट्रों! उसकी महिमा गाओ;
क्योंकि हमारे प्रति उसका प्रेम समर्थ है।
उसकी सत्यप्रतिज्ञता सदा-सर्वदा बनी रहती है।
अग्र. : मैं हूँ मार्ग, सत्य और जीवन; अल्लेलूया।
धर्मग्रन्थ-पाठ : रोमियों 14:7-9
हम में कोई न तो अपने लिए जीता है और न अपने लिए मरता है। यदि हम जीते हैं, तो प्रभु के लिए जीते हैं और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिए मरते हैं। इस प्रकार हम चाहे जीते रहें या मर जायें, हम प्रभु के ही हैं। मसीह इसलिए मर गये और जी उठे कि वह मृतकों तथा जीवितों, दोनों के प्रभु हो जायें।
लघु अनुवाक्य अगुआ : प्रभु मृतकों में से जी उठे हैं; अल्लेलूया, अल्लेलूया। समूह : प्रभु मृतकों में से जी उठे हैं; अल्लेलूया, अल्लेलूया।
• वह हमारे लिए क्रूस पर मर गये।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
ज़ाकरी गान
अग्र. : सिमोन पेत्रुस ने येसु से कहा – प्रभु, हम किसके पास जायें? आप के ही शब्दों में अनन्त जीवन का सन्देश है। हम विश्वास करते और जानते हैं कि आप मसीह हैं, आप ईश्वर के पुत्र हैं, अल्लेलूया।
धन्य है प्रभु, इस्राएल का ईश्वर!
उसने अपनी प्रजा की सुध ली है
और उसका उद्धार किया है।
उसने अपने दास दाऊद के वंश में
हमारे लिए एक शक्तिशाली मुक्तिदाता उत्पन्न किया है।
वह अपने पवित्र नबियों के मुख से
प्राचीन काल से यह कहता आया है
कि वह शत्रुओं और सब बैरियों के हाथ से हमें छुड़ायेगा
और अपने पवित्र विधान को स्मरण कर
हमारे पूर्वजों पर दया करेगा।
उसने शपथ खा कर हमारे पिता इब्राहीम से कहा था
कि वह हम को शत्रुओं के हाथ से मुक्त करेगा,
जिससे हम निर्भयता, पवित्रता और धार्मिकता से
जीवन भर उसके सम्मुख उसकी सेवा कर सकें।
बालक! तू सर्वोच्च ईश्वर का नबी कहलायेगा,
क्योंकि प्रभु का मार्ग तैयार करने
और उसकी प्रजा को उस मुक्ति का ज्ञान कराने के लिए,
जो पापों की क्षमा द्वारा उसे मिलने वाली है,
तू प्रभु का अग्रदूत बनेगा।
हमारे ईश्वर की प्रेमपूर्ण दया से
हमें स्वर्ग से प्रकाश प्राप्त हुआ है,
जिससे वह अन्धकार और मृत्यु की छाया में बैठने वालों को ज्योति प्रदान करे
और हमारे चरणों को शान्ति-पथ पर अग्रसर करे।"
पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।
अग्र. : सिमोन पेत्रुस ने येसु से कहा – प्रभु, हम किसके पास जायें? आप के ही शब्दों में अनन्त जीवन का सन्देश है। हम विश्वास करते और जानते हैं कि आप मसीह हैं, आप ईश्वर के पुत्र हैं, अल्लेलूया।
सामूहिक निवेदन
अगुआ :ख्रीस्त येसु जीवन की रोटी हैं; जो लोग उनके वचन और शरीर से तृप्त हैं, उनको वे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर देंगे। समूह : हे प्रभु, तू हमें शान्ति और आनन्द प्रदान कर।
• इश्वर के पुत्र मृतकों में से पुनर्जीवित, तू ही हमारे जीवन का स्वामी है – हमारे सभी भाई-बहनों पर तू अपनी आशिष बरसा और हमें पवित्र कर।
• तुझ में विश्वास करने वालों की तू शान्ति और आनन्द है – तेरे विजयोत्सव में ज्योति की संतान की तरह जीवन बिताने की कृपा दे।
• तेरी यात्री कलीसिया विश्वास में दृढ़ बनती जाये – संसार के समक्ष पुनरुत्थान का साक्ष्य देने के लिए हमें सबल बना।
• तूने अपने पिता की महिमा में प्रवेश करने के लिए अपार दुख झेला – दुख-पीड़ित लोगों के आँसू पोंछ दे - उनके शोक को आनन्द में बदल दे।
हे हमारे पिता ....
समापन प्रार्थना
अगुआ :हे ईश्वर, हमारे पिता, बपतिस्मा-जल द्वारा तूने अपने विश्वासियों को नया जीवन प्रदान किया है। ख्रीस्त के नवजात सदस्यों की रक्षा कर, सब प्रकार के अंधविश्वास से बचे रहने में उनकी सहायता कर और इस तरह अपने आशीर्वाद की कृपा उनमें सुरक्षित रख। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
समूह : आमेन।
अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।
समूह : आमेन।
अगुआ : ख्रीस्त की शांति में जाइये, अल्लेलूया, अल्लेलूया।