अपर सन्ध्या-वन्दना

वर्ष का सामान्य रविवार - 15


अगुआ : हे ईश्वर, हमारी सहायता करने आ जा।

समूह : हे प्रभु, हमारी सहायता करने शीघ्र ही आ जा।


अगुआ : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

समूह : जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


मंगलगान


तेरा नूर जग में समाया हुआ है।
सकल विश्व तेरा बनाया हुआ है।

बने हैं तुझी से ये आकाश धरती।
सभी ओर जलवा समाया हुआ है।

चमकते हैं दुनिया में चंदा व सूरज।
तेरी ज्योति से जगमगाया हुआ है।

गावें हमेशा तेरे गीत स्वामी
तू ही मेरे दिल में समाया हुआ है।

अग्र. 1 : प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा – तुम मेरे दाहिने आसीन हो जाओ।


स्तोत्र 109 मसीह : राजा और याजक।



प्रभु ने मेरे प्रभु ने कहा: "तुम मेरे दाहिने बैठ जाओ।
मैं तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारा पावदान बना दूँगा।"

ईश्वर सियोन से आपके राज्याधिकार का विस्तार करेगा।
आप दूर तक अपने शत्रुओं के देश पर शासन करेंगे।

आपकी सेना के संघटन के दिन
आपकी प्रजा आपका साथ देगी।

आपके सैनिक सुसज्जित हो कर
प्रभात की ज्योति में ओस की तरह चमकेंगे।

ईश्वर की यह शपथ अपरिवर्तनीय है
"तुम मेलखीसेदेक की तरह सदा पुरोहित बने रहोगे"।

ईश्वर आपके दाहिने विराजमान है।
जिस दिन राजा का क्रोध भड़क उठेगा,
वह अन्य राजाओं को कुचल देंगे।

वह मार्ग में जलस्रोत का पानी पी कर
अपना सिर ऊँचा करेंगे।

अग्र. : प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा – तुम मेरे दाहिने आसीन हो जाओ।

अग्र. 2 : प्रभु दयालु और प्रेममय है। वह हमें अपने महान्‍ कार्यों का स्मरण दिलाता है; अल्लेलूया।


स्तोत्र 110 प्रभु के महान कार्य।


धर्मियों की गोष्ठी में, लोगों की सभा में
मैं सारे हृदय से प्रभु की स्तुति करूँगा।
प्रभु के कार्य महान हैं।
भक्त जन उनका मनन करते हैं।

उसके कार्य प्रतापी और ऐश्वर्यमय हैं।
उसकी न्यायप्रियता युग-युगों तक स्थिर है।
प्रभु के कार्य स्मरणीय हैं।
प्रभु दयालु और प्रेममय है।

वह अपने भक्तों को तृप्त करता
और अपने विधान का सदा स्मरण करता है।
उसने अपनी प्रजा को राष्ट्रों की भूमि दिला कर
अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया।

उसके कार्य सच्चे और सुव्यवस्थित हैं।
उसके सभी नियम अपरिवर्तनीय हैं।
वे युग-युगों तक बने रहेंगे।
उनके मूल में न्याय और सत्य हैं।

उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया
और अपना विधान सदा के लिए निश्चित किया।
उसका नाम पवित्र और पूज्य है।

प्रज्ञा का मूल स्रोत प्रभु पर श्रद्धा है।
जो उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं,
वे अपनी बुद्धिमानी का प्रमाण देते हैं।
प्रभु की स्तुति अनन्त काल तक होती है।

अग्र. : प्रभु दयालु और प्रेममय है। वह हमें अपने महान्‍ कार्यों का स्मरण दिलाता है; अल्लेलूया।

अग्र. 3 : प्रभु हमारा इश्वर महान्‍ राजा है; अल्लेलूया।


भजन स्तुति : प्रकाशना 19:1-2, 5-7


अल्लेलूया!
हमारे ईश्वर को विजय, महिमा और सामर्थ्य,
क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और न्याय-संगत हैं। अल्लेलूया!

अल्लेलूया!
"तुम सब, जो ईश्वर की सेवा करते हो
और तुम छोटे-बड़े, जो उस पर श्रद्धा रखते हो,
हमारे ईश्वर की स्तुति करो।" अल्लेलूया!

अल्लेलूया!
हमारे सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर ने राज्याधिकार ग्रहण किया है।
हम उल्लसित हो कर आनन्द मनायें
और ईश्वर की महिमा गायें, अल्लेलूया!

अल्लेलूया!
क्योंकि मेमने के विवाहोत्सव का समय आ गया है।
उसकी दुल्हन अपना श्रृंगार कर चुकी है। अल्लेलूया!

अग्र. : प्रभु हमारा इश्वर महान्‍ राजा है; अल्लेलूया।


धर्मग्रन्थ-पाठ : 1 पेत्रुस 1:3-5


धन्य है ईश्वर, हमारे प्रभु ईसा मसीह का पिता! मृतकों में से ईसा मसीह के पुनरुत्थान द्वारा उसने अपनी महती दया से हमें जीवन्त आशा से परिपूर्ण नवजीवन प्रदान किया। आप लोगों के लिए जो विरासत स्वर्ग में रखी हुई है, वह अक्षय, अदूषित तथा अविनाशी है। आपके विश्वास के कारण ईश्वर का सामर्थ्य आप को उस मुक्ति के लिए सुरक्षित रखता है, जो अभी से प्रस्तुत है और समय के अन्त में प्रकट होने वाली है।

लघु अनुवाक्य : प्रभु, तू सर्वोच्च स्वर्ग में धन्य है।
• युग-युग तक तेरा यशोगान होता रहेगा।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।


मरियम गान


अग्र. : गुरुवर, संहिता में सबसे बड़ी आज्ञा कौन-सी है? येसु ने उससे कहा – अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय से प्यार करो; अल्लेलूया।

"मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,
मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है।
अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी;
क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं।
पवित्र है उसका नाम!

उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है,
उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया
और दीनों को महान् बना दिया है।
उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया
और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

इब्राहीम और उनके वंश के प्रति
अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,
उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार
अपने दास इस्राएल की सुध ली है।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


अग्र. : गुरुवर, संहिता में सबसे बड़ी आज्ञा कौन-सी है? येसु ने उससे कहा – अपने प्रभु ईश्वर को अपने सारे हृदय से प्यार करो; अल्लेलूया।

सामूहिक निवेदन


अगुआ : इश्वर सदा सृष्टिरत है, उसका अपार प्रेम सबको नवीन करता है और वहीं हमारि आशा का स्रोत है। आशा लिए हम उसकी ओर फिरें।
समूह : हे प्रभु, हमारी प्रार्थना और कृतज्ञता स्वीकार कर।
• हम सब वस्तुओं में विद्यमान क्रम-व्यवस्था के लिए धन्यवाद देते हैं – पृथ्वी के संसाधनोम और मानव जीवन के वरदान से तूने मानव को अपनी सृष्टि-कार्य में सहभागिता देने के लिए हम तुझे धन्यवाद देते हैं।
• आविष्कार, कुशलता एवं सृजनात्मक दूरदर्शिता के रूप में मनुष्य को दिये गये उच्च वरदानों के लिए हम तेरी प्रशंसा करते हैं।
• विश्व भर के सभी रष्ट्रों के लिए हम प्रार्थना करते हैं – शासक एवं नेतागण लोगों के बीच शान्ति तथा सदभावना के लिए कार्य करें।
• आज हम सभी वे-घर लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं – उन परिवारों के लिए भी जो आवास की तलाश में हैं; और उन शरणार्थियों के लिए भी जो जबरन स्वदेश से बाहर कर दिये गये हैं।
• जीवन हमारे लिए तेरा सर्वप्रथम वरदान था – सभी मृत भाई-बहनें इस जीवन की परिपूर्णता तुझ में प्राप्त करें।



हे हमारे पिता ....



समापन प्रार्थना


अगुआ :हे ईश्वर पिता, तू पथ-भ्रष्टों पर अपने सत्य की ज्योति प्रकट कर उन्हें सन्मार्ग पर लौटने को प्रेरित करता है। बपतिस्मा की कृपा पाये सब लोग अपने ख्रीस्तीय आह्वान के योग्य बनने के लिए प्रयत्नशील रहें। जो भी इसके विपरीत हैं, उन सबका वे परित्याग करें। हम यह निवेदन करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।

समूह : आमेन।

अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।

समूह : आमेन।


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Praise the Lord!