सन्ध्या-वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह - 3 मंगलवार


अगुआ : हे ईश्वर, हमारी सहायता करने आ जा।

समूह : हे प्रभु, हमारी सहायता करने शीघ्र ही आ जा।


अगुआ : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

समूह : जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


मंगलगान

हे प्रभु स्वामी तेरी दया का अन्त नहीं है कोई।
गूँज रहा है कोने-कोने, नाम तिहारा पावन,
बोल रहा है धड़कन, प्रेम हृदय में आवन।

फूल खिलाते हर वन-उपवन, नाम तिहारा पावन।
बोल रही है उलझन, दान दिया मन भावन।

अग्र. : प्रभु अपनी प्रजा को घेरे रहता है।


स्तोत्र 124 प्रभु : अपनी प्रजा का रक्षक।

जो प्रभु पर भरोसा रखते हैं, वे सियोन पर्वत के सदृश हैं,
जो अटल है और सदा बना रहता है।
येरूसालेम पर्वतों से घिरा हुआ है:
प्रभु इसी तरह अपनी प्रजा को घेरे रहता है,
अभी और अनन्त काल तक!

धर्मियों के देश पर अयोग्य राजदण्ड का भार नहीं टिकेगा।
धर्मी अपराध की ओर अपना हाथ बढ़ायेंगे।

प्रभु! भक्तों की भलाई कर। निष्कपट मनुष्यों की भलाई कर।
किन्तु जो कुटिल मार्गों पर भटकते हैं,
प्रभु उन्हें कुकर्मियों के साथ निकालेगा।
इस्राएल को शान्ति!

अग्र. : प्रभु अपनी प्रजा को घेरे रहता है।

अग्र. 2 : यदि तुम फिर से छोटे बच्चों जैसे नहीं बन जाओगे, तो स्वर्ग राज्य में प्रदेश नहीं पाओगे।


स्तोत्र 130 प्रभु पर बच्चों का-सा भरोसा।

प्रभु! मेरे हृदय में अहंकार नहीं है। मैं महत्वाकांक्षी नहीं हूँ।
मैं बड़ी-बड़ी योजनाओं के फेर में नहीं पड़ा
और मैंने ऐसे कार्यों की कल्पना नहीं की, जो मेरी शक्ति से परे हैं।

माँ की गोद में सोये हुए दूध-छुड़ाये बच्चे के सदृश
मेरी आत्मा शान्त और मौन है।
ठीक उसी बच्चे की तरह मेरी आत्मा मुझ में है।

इस्राएल! प्रभु पर भरोसा रखो,
अभी और अनन्त काल तक!

अग्र. : यदि तुम फिर से छोटे बच्चों जैसे नहीं बन जाओगे, तो स्वर्ग राज्य में प्रदेश नहीं पाओगे।

अग्र. 3 : प्रभु, तूने हमें हमारे ईश्वर की सेवा के लिए राज्य और पुरोहित बना लिया।


भजन स्तुति : प्रकाशना 4:11; 5:9-10, 12

हमारे पुभु-ईश्वर!
तू महिमा, सम्मान और सामर्थ्य का अधिकारी है;

क्योंकि तूने विश्व की सृष्टि की।
तेरी इच्छा से वह अस्तित्व में आया और उसकी सृष्टि हुई है।

तू पुस्तक ग्रहण कर उसकी मोहरें खोलने योग्य है,
क्योंकि तेरा वध किया गया है।

तूने अपना रक्त बहा कर ईश्वर के लिए
प्रत्येक वंश, भाष्षा, प्रजाति और राष्ष्ट्र से मनुष्ष्यों को खरीद लिया।

तूने उन्हें हमारे ईश्वर की दृष्टि में याजकों का राजवंश बना दिया है
और वे पृथ्वी पर राज्य करेंगे।

बलि चढ़ाया हुआ मेमना सामर्थ्य, वैभव, प्रज्ञा, शक्ति, सम्मान,
महिमा तथा स्तुति का अधिकारी है"।

अग्र. : प्रभु, तूने हमें हमारे ईश्वर की सेवा के लिए राज्य और पुरोहित बना लिया।


धर्मग्रन्थ-पाठ : रोमियों 12:9-12

आप लोगों का प्रेम निष्कपट हो। आप बुराई से घृणा तथा भलाई से प्रेम करें। आप सच्चे भाइयों की तरह एक दूसरे को सारे हृदय से प्यार करें। हर एक दूसरों को अपने से श्रेष्ठ माने। आप लोग अथक परिश्रम तथा आध्यात्मिक उत्साह से प्रभु की सेवा करें। आशा आप को आनन्दित बनाये रखे। आप संकट में धैर्य रखें तथा प्रार्थना में लगे रहें।

लघु अनुवाक्य :
अगुआ : तेरा वचन, हे प्रभु, युग-योगों तक बना रहेगा।
समूह : तेरा वचन, हे प्रभु, युग-योगों तक बना रहेगा।
• तेरा सत्य युगानुयुग बना रहेगा।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

मरियम गान

अग्र. :मेरी आत्मा अपने मुक्तिदाता प्रभु ईश्वर में आनन्द मनाती है।

"मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,
मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है।
अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी;
क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं।
पवित्र है उसका नाम!

उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है,
उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया
और दीनों को महान् बना दिया है।
उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया
और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

इब्राहीम और उनके वंश के प्रति
अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,
उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार
अपने दास इस्राएल की सुध ली है।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र : मेरी आत्मा अपने मुक्तिदाता प्रभु ईश्वर में आनन्द मनाती है।


सामूहिक निवेदन

अगुआ :ईश्वर ने अपनी प्रजा को आशा में सुदृढ़ किया है। जो लोग उससे प्रेम रखते हैं, उनका भरोसा कभी शिथिल नहीं होगा। आइये घोषित करें।
समूह : हे पिता, तुझ पर ही हमारा भरोसा है।
• हे प्रभु, हम तुझे धन्य कहते हैं – क्योंकि तूने मानव को विवेक और अन्तर्दृष्टि के दान से संपन्न किया है।
• हे प्रभु, तू शासकों के हृदय को जानता है – जिन लोगों पर वे शासन करते हैं, उनके हित में वे कार्य करें।
• हे प्रभु, तू मानव को शक्ति प्रदान करता है कि वह अपने कार्यकलाप द्वारा संसार का सौन्दर्य बढ़ायें – हमारे काम-काज समदृष्टि एवं सच्ची आशा से सजीव रहें।
• हे प्रभु, तू दुर्बल को बल दे, पतित को उठा ले – तू हमारी शक्ति के परे हमें परीक्षित न होने दे।
• हे पिता, विचार के दिन तूने मनुष्यों को अपने पुत्र के पुनरुत्थान की सहभागिता का वचन दिया है – तू उन सब की सुधि ले, जो हम से आगे अनन्त निवास की ओर प्रस्थान कर चुके हैं।

हे हमारे पिता

समापन प्रार्थना

अगुआ : हे प्रभु, हमारी यह सन्ध्या-वन्दना तेरी दया के सिंहासन के सम्मुख पहुँचे और तेरा आशीर्वाद हम पर उतरे। इससे अब और अनन्तकाल तक तेरी कृपा की सहायता से हमें मुक्ति मिलती रहे। हम यह प्रार्थना करते हैं, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
समूह : आमेन।
अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।
समूह : आमेन।


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Praise the Lord!