सन्ध्या-वन्दना

वर्ष का सामान्य सप्ताह - 2 सोमवार


अगुआ : हे ईश्वर, हमारी सहायता करने आ जा।

समूह : हे प्रभु, हमारी सहायता करने शीघ्र ही आ जा।


अगुआ : पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

समूह : जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।


मंगलगान

हे प्रभु स्वामी तेरी दया का अन्त नहीं है कोई।

गूँज रहा है कोने-कोने, नाम तिहारा पावन,
बोल रही है धड़कन, प्रेम हृदय में आवन।

फूल खिलाते हर वन-उपवन, नाम तिहारा पावन
बोल रही है उलझन, दान दिया मन भावन।

अग्र. 1 : आप पुरुषों में सर्वसुन्दर हैं, आपके अधरों से मधुरिमा टपकती है।

स्तोत्र 44:1-10 राजा का विवाहोत्सव।


मेरे हृदय में मधुर भाव उमड़ रहे हैं।
मैं राजा के आदर में गीत सुनाऊँगा;
मेरी जिह्वा कुशल कवि की लेखनी की तरह हो।

आप पुरुषों में सर्वसुन्दर हैं।
आपके अधरों में मधुरिमा टपकती है!
यह आपके लिए ईश्वर का चिरस्थायी आशीर्वाद है।

शूरवीर! आप कमर में कृपाण बाँधें, ऐश्वर्य और प्रताप धारण करें।
सत्य की रक्षा और न्याय के समर्थन के लिए,
आप धनुष चढ़ा कर अश्व पर प्रस्थान करें।

आपका दाहिना हाथ चमत्कार दिखाये।
आपके बाण सुतीक्ष्ण हैं, वे राजा के शत्रुओं का हृदय छेदते हैं।
राष्ट्र आपके अधीन हो जायेंगे।
आपका सिंहासन सदा-सर्वदा बना रहेगा।

आपका राजदण्ड न्याय का अधिकार दण्ड है।
आप न्याय से प्रेम और अन्याय से घृणा करते हैं;
इसलिए ईश्वर, आपके ईश्वर ने आपके साथियों की अपेक्षा
आनन्द के तेल से आपका अभिशेक किया है।

आपके वस्त्र गन्धरस, अगरु और तेजपत्र से सगुन्धित हैं।
हाथीदाँत के महलों से आने वाला संगीत आप को आनन्दित करता है।
राजकुमारियाँ आपकी कृपापात्रों के साथ खड़ी हैं।
ओफ़िर के स्वर्ण से विभूशित महारानी
आपके दाहिने विराजमान हैं।

अग्र. : आप पुरुषों में सर्वसुन्दर हैं, आपके अधरों से मधुरिमा टपकती है।

अग्र. 2 : देखो, दुल्हा आ रहा है, उसकी अगवानी करने जाओ।

स्तोत्र 44:11-18 राजा का विवाहोत्सव।


पुत्री! इधर देखो और कान लगा कर सुनो।
तुम अपने लोगों को और अपने पिता का घर भूल जाओ,
जिससे राजा तुम्हारे सौन्दर्य की अभिलाषा करें।
वह तुम्हारे स्वामी हैं, उन्हें दण्डवत् करो।

तीरुस की पुत्री! प्रजा के धन्य-मान्य लोग
उपहार ला कर तुम्हारे कृपापात्र बनना चाहेंगे।
अन्तःपुर में राजकुमारी का श्रृंगार अपूर्व है।
उसके वस्त्र स्वर्ण और मोतियों से विभूशित हैं।

अलंकृत परिधान पहने वह राजा के पास पहुँचायी जाती है।
उसकी सखियाँ उसके पीछे-पीछे आपके पास ले जायी जाती है।
वे आनन्द के गीत गाते हुए आ रही हैं
और उल्लास के साथ राजमहल में प्रवेश करती हैं।

आपके पुत्र आपके पूर्वजों की उत्तराधिकारी होंगे।
आप उन्हें समस्त पृथ्वी पर शासक के रूप में नियुक्त करेंगे।
मैं भावी पीढ़ियों में आपके नाम की स्मृति जीवित रखूँगा,
जिससे राष्ट्र सदा-सर्वदा आपकी स्तुति करें।

अग्र. : देखो, दुल्हा आ रहा है, उसकी अगवानी करने जाओ।

अग्र. 3 : ईश्वर ने निश्चय किया कि समय पुरा हो जाने पर वह सब कुछ मसीह के अधीन कर एकता में बाँध देगा।

भजन स्तुति : एफेसियो 1:3-10


धन्य है हमारे प्रभु ईसा मसीह का ईश्वर और पिता!
उसने मसीह द्वारा हम लोगों को स्वर्ग के हर प्रकार के
आध्यात्मिक वरदान प्रदान किये हैं।

उसने संसार की सृष्टि से पहले मसीह में हम को चुना,
जिससे हम मसीह से संयुक्त हो कर
उसकी दृष्टि में पवित्र तथा निष्कलंक बनें।

उसने प्रेम से प्रेरित हो कर आदि में ही निर्धारित किया
कि हम ईसा मसीह द्वारा उसके दत्तक पुत्र बनेंगे।

इस प्रकार उसने अपनी मंगलमय इच्छा के अनुसार
अपने अनुग्रह की महिमा प्रकट की है।

वह अनुग्रह हमें उसके प्रिय पुत्र द्वारा मिला है,
जो अपने रक्त द्वारा हमें मुक्ति अर्थात् अपराधों की क्षमा दिलाते हैं।

यह ईश्वर की अपार कृपा का परिणाम है,
जिसके द्वारा वह हमें प्रज्ञा तथा बुद्धि प्रदान करता रहता है।

उसने अपनी मंगलमय इच्छा के अनुसार निश्चय किया था
कि वह समय पूरा हो जाने पर स्वर्ग तथा पृथ्वी में जो कुछ है,
वह सब मसीह के अधीन कर एकता में बाँध देगा।

अग्र. : ईश्वर ने निश्चय किया कि समय पुरा हो जाने पर वह सब कुछ मसीह के अधीन कर एकता में बाँध देगा।

धर्मग्रन्थ-पाठ : 1 थेसलनीकियो 2:13


हम इसलिए निरन्तर ईश्वर को धन्यवाद देते हैं कि जब आपने इस से ईश्वर का सन्देश सुना और ग्रहण किया, तो आपने उसे मनुष्यों का वचन नहीं; बल्कि -जैसा कि वह वास्तव में है- ईश्वर का वचन समझकर स्वीकार किया और यह वचन अब आप विश्वासियों में क्रियाशील है।

लघु अनुवाक्य :
अगुआ : हे प्रभु, मेरी प्रार्थना तेरे पास पहुँचे।
अगुआ : हे प्रभु, मेरी प्रार्थना तेरे पास पहुँचे।
• धूप की तरह वह तेरी ओर उठे।
• पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।

मरियम गान अग्र. : हे मेरे इश्वर! मेरी आत्मा युगानुयुग तेरी महानता का बखान करे।

"मेरी आत्मा प्रभु का गुणगान करती है,
मेरा मन अपने मुक्तिदाता ईश्वर में आनन्द मनाता है;

क्योंकि उसने अपनी दीन दासी पर कृपादृष्टि की है।
अब से सब पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी;
क्योंकि सर्वशक्तिमान् ने मेरे लिए महान् कार्य किये हैं।
पवित्र है उसका नाम!

उसकी कृपा उसके श्रद्धालु भक्तों पर
पीढ़ी-दर-पीढ़ी बनी रहती है।
उसने अपना बाहुबल प्रदर्शित किया है,
उसने घमण्डियों को तितर-बितर कर दिया है।

उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया
और दीनों को महान् बना दिया है।
उसने दरिंद्रों को सम्पन्न किया
और धनियों को ख़ाली हाथ लौटा दिया है।

इब्राहीम और उनके वंश के प्रति
अपनी चिरस्थायी दया को स्मरण कर,
उसने हमारे पूर्वजों के प्रति अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार
अपने दास इस्राएल की सुध ली है।"

पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो।
जैसे वह आदि में थी, अब है और अनन्त काल तक। आमेन।

अग्र : हे मेरे इश्वर! मेरी आत्मा युगानुयुग तेरी महानता का बखान करे।


सामूहिक निवेदन

अगुआ : हम ख्रीस्त प्रभु का धन्यवाद करें जो कलीसिया को प्यार करता और उसे संजोये रखता है।
समूह : हे प्रभु! इस सन्ध्या-बेला में हमारे साथ रह।
• हे प्रभु, सारी मानव जाति को मुक्ति मिले – वे सत्य को जान लें।
• संत पिता .... और धर्माध्यक्ष ..... की रक्षा कर – उन्हें अपनी दया और बल से परिपूर्ण कर।
• जो विघ्न बाधाओं में पड़े और निराश हैं, उनकी सहायता कर – उनमें विश्वास और आशा का संचार कर।
• हे प्यारे प्रभु, अपनी दयालुता में बीमार, कमज़ोर और मरणासन्नों के साथ रह – उन्हें अपनी सान्त्वना दे।
• उन सबको जो अपने जीवन काल में तेरी पवित्र परिचर्या के सहभागी रहे, हम तेरे हाथों सौंपते हैं – वे स्वर्ग में सदैव तेरी प्रशंसा करें।

हे हमारे पिता

समापन प्रार्थना


अगुआ : हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, तूने हम अयोग्य सेवक-सेविकाओं को इस दिन के दौरान कार्यरत रहने का बल प्रदान किया है। हमारी इस सन्ध्या वंदना का चढ़ावा स्वीकार कर, जिसे हम धन्यवाद-स्वरूप तुझे अर्पित करते हैं। हमारी यह प्रार्थना है, उन्हीं हमारे प्रभु येसु ख्रीस्त तेरे पुत्र के द्वारा जो परमेश्वर होकर तेरे तथा पवित्र आत्मा के साथ युगानुयुग जीते और राज्य करते हैं।
समूह : आमेन।
अगुआ : प्रभु हमको आशीर्वाद दे, हर बुराई से हमारी रक्षा करे और हमें अनन्त जीवन तक ले चले।
समूह : आमेन।


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Praise the Lord!