बड़े आनन्द का सुसमाचार

फिर से एक बार क्रिसमस का त्यौहार आ गया है। कोविद-19 के कारण क्रिसमस का जश्न मंद हो गया है। लाखों लोग कोरोणा वयरस के शिकार बन गये। करीब 18 लाख लोग यह सन्देश लिखने तक मर चुके हैं। 8 करोड से अधिक लोग बीमार हो चुके हैं। लाखों लोग बेरोजगार बन गये हैं। सारी दुनिया में निराशा का सन्नाटा छाया हुआ है। लेकिन दुनिया की कोई भी ताकत ख्रीस्त-जयन्ती की ज्योति को बुझा नहीं सकती है।

बाहरी तथा लौकिक तैयारियों में कमी ज़रूर आयी है। किन्तु हमें आध्यात्मिक तैयारियों को गंभीरता से करने का अवसर भी प्राप्त हुआ है। इस बार हमें अपने परिवार में ही सीमित रह कर अपने परिवार के सदस्यों के साथ ही क्रिसमस मनाने के लिए मजबूर किया गया है। वास्तव में परिवार का वातावरण क्रिसमस मनाने के लिए बहुत ही उपयुक्त तथा उत्तम है। प्रभु येसु के जन्म के समय यूसुफ़ और मरियम भी अपने परिवार में समस्याओं तथा आशंकाओं का अनुभव कर रहे थे। लेकिन उन समस्याओं तथा आशंकाओं के बीच भी माता मरियम और संत यूसुफ़ ईशपुत्र के जन्म का आनन्द महसूस कर रहे थे।

संत पापा फ्रांसिस का कहना है कि उपभोक्तावाद ने क्रिसमस के त्यौहार का अपहरण कर लिया है। इस साल का सार्वजनिक अनुभव हमें धार्मिक त्यौहारों को उपभोक्तावाद से अलग करने का एक सुनहरा अवसर अवश्य है।

क्रिसमस आशा, आनन्द, प्रेम और शांति का त्यौहार है। प्रभु ये सब उपहार ले कर आये हैं। बस हम इन उपहारों को खुले हृदय और विनम्र मन से ग्रहण करें तथा इन उपहारों का आनन्द लेने में दूसरों को भी सहायता करें।

जर्मनी के रहस्यवादी और मशहूर कवी आन्जेलुस सिलेसिउस कहते हैं, “हालांकि मसीह एक हजार बार बेतलेहेम में पैदा हो, अगर वह आप में पैदा नहीं हुआ है तो आप हमेशा के लिए खो जायेंगे”।

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हमें विश्वास के साथ इस त्यौहार को मनाना चाहिए। कभी-कभी लोग कहते हैं कि अगर मेरे सामने कोई चमत्कार होगा तो मैं प्रभु ईश्वर में विश्वास करूँगा। लेकिन ज़्यादात्तर अवसरों में ऐसा होता नहीं है। फरीसियों के सामने प्रभु येसु ने कितने सारे चमत्कार किये थे, लेकिन वे उन कार्यों में ईश्वर की शक्ति को परखने में असमर्थ थे।

फिराउन के सामने मूसा के द्वारा प्रभु ईश्वर ने कितने चमत्कार किये! फिर भी फिराउन ने ईश्वर पर विश्वास नहीं किया। फिराउन ने देखा कि प्रभु ईश्वर ने मिस्रवासियों के ऊपर महामारी भेजी और बाद में प्रभु ने ही महामारी का अन्त भी किया। फिर भी फिराउन ने उन पर विश्वास नहीं किया। फिराउन प्रभु ईश्वर से ज़्यादा मिस्रदेश के जादूगरों पर विश्वास करते थे। उन जादूगरों ने भी मूसा द्वारा किये गये चमत्कारों को देख कर कहा कि ''यह ईश्वर का कार्य है' (निर्गमन 8:15)। लेकिन फिराउन के ऊपर उसका भी कोई प्रभाव न पडा।

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लाज़रुस और धनी व्यक्ति के दृष्टान्त में हमे देखते हैं कि धनी व्यक्ति इब्राहीम से अन्त में कहते हैं, “’पिता! आप से एक निवेदन है। आप लाज़रुस को मेरे पिता के घर भेजिए, क्योंकि मेरे पाँच भाई हैं। लाज़रुस उन्हें चेतावनी दे। कहीं ऐसा न हो कि वे भी यन्त्रणा के इस स्थान में आ जायें।’ इब्राहीम ने उस से कहा, ‘मूसा और नबियों की पुस्तकें उनके पास है, वे उनकी सुनें‘। अमीर ने कहा, ‘पिता इब्राहीम! वे कहाँ सुनते हैं! परन्तु यदि मुरदों में से कोई उनके पास जाये, तो वे पश्चात्ताप करेंगे।’ पर इब्राहीम ने उस से कहा, ‘जब वे मूसा और नबियों की नहीं सुनते, तब यदि मुरदों में से कोई जी उठे, तो वे उसकी बात भी नहीं मानेंगे’।’” (लूकस 16:27-31)

विश्वास पाने के लिए हमें सब से पहले प्रार्थना करनी चाहिए। हम प्रभु ईश्वर से विश्वास की कृपा माँगे। साथ ही साथ प्रभु का वचन कहता है, “सुनने से विश्वास उत्पन्न होता है और जो सुना जाता है, वह मसीह का वचन है” (रोमियों 10:17)। प्रभु के वचनों को सुनने तथा उस पर मनन-चिंतन करने से हमारा विश्वास बढ़ता है। विश्वास करने से तथा विश्वास बांटने से भी विश्वास बढ़ता है। आइए हम विश्वास तथा प्रार्थाना के साथ यह क्रिसमस मनायें ताकि क्रिसमस के उपहारों को अपना सकें। आप सभी लोगों को क्रिसमस की शुभकामनाएं।

✍ - फादर फ्रांसिस स्करिया