आगमन काल तैयारी का समय है। इस अवधि में हम येसु को स्वीकार करने के लिए अपने आप को तैयार करते हैं। बनियामिन फ्रांक्लिन ने कहा था, “जब हम तैयारी करने में हार जाते हैं तो हम हार के लिए तैयारी करते हैं।“ जितनी अच्छी तैयारी होती है, उतना ही बड़ा अनुभव हमारा रहेगा। इब्राहीम लिंकन ने कहा था कि अगर मुझे एक वृक्ष को काटने के लिए 6 घंटों का समय दिया जाता है तो मैं उनमें से 4 घंटे कुल्हाड़ी को तेज करने के लिए उपयोग करूँगा।
करीब दो हजार वर्ष पहले प्रभु ने बेथलेहेम की गोशाले में जन्म लिया था। करीब साढ़े तीन दशकों का मानव जीवन बिता कर वे अपने पिता के पास वापस गये। पवित्र ग्रन्थ हमें बताता है कि अपने पुनरुत्थान के लगभग 40 दिन बाद प्रभु येसु शिष्यों के देखते-देखते स्वर्ग में आरोहित कल लिये गये और एक बादल ने उन्हें शिष्यों की आँखों से ओझल कर दिया। उस समय शिष्य आकाश की ओर एकटक देख ही रहे थे कि उन्हें दो स्वर्गदूत दिखाई दिये जो उनसे बोले, ‘‘गलीलियो! आप लोग आकाश की ओर क्यों देखते रहते हैं? वही ईसा, जो आप लोगों के बीच से स्वर्ग में आरोहित कर दिये गये हैं, उसी तरह लौटेंगे, जिस तरह आप लोगों ने उन्हें जाते देखा है’’ (प्रेरित-चरित 1:11)।
योहन 14:3 में प्रभु येसु स्वयं अपने शिष्यों से कहते हैं, “मैं वहाँ जाकर तुम्हारे लिये स्थान का प्रबन्ध करने के बाद फिर आऊँगा और तुम्हें अपने यहाँ ले जाउँगा, जिससे जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम भी रहो।“ इस प्रकार, पवित्र ग्रन्थ से यह स्पष्ट है कि प्रभु फिर आयेंगे और हमारी वर्तमान तैयारियाँ इस द्वितीय आगमन के लिए हैं। ख्रीस्त-जयन्ती के अवसर पर हम ईश्वर के मनुष्य बन कर इस धरती पर आगमन के स्मरण करने के साथ-साथ उनके पुनरागमन की बाट जोहते हैं। हमारी यह आशा है कि उनके आगमन पर हम उनसे मुलाकात करने के लिए योग्य पाये जायें। स्तोत्र 96:13 में हम पढ़ते हैं, “प्रभु का आगमन निश्चित है, वह पृथ्वी का न्याय करने आ रहा है। वह धर्म और सच्चाई से संसार के राष्ट्रों का न्याय करेगा।“ प्रभु कभी भी आ सकते हैं, लेकिन कब आयेंगे, यह निश्चित नहीं है।
मारकुस 13:32-37 में प्रभु कहते हैं, ’’उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता- न तो स्वर्ग के दूत और न पुत्र। केवल पिता ही जानता है। सावधान रहो। जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आयेगा। यह कुछ ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य विदेश चला गया हो। उसने अपना घर छोड़ कर उसका भार अपने नौकरों को सौंप दिया हो, हर एक को उसका काम बता दिया हो और द्वारपाल को जागते रहने का आदेश दिया हो। तुम नहीं जानते कि घर का स्वामी कब आयेगा- शाम को, आधी रात को, मुर्गे के बाँग देते समय या भोर को। इसलिए जागते रहो। कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक पहुँच कर, तुम्हें सोता हुआ पाये। जो बात मैं तुम लोगों से कहता हूँ, वही सब से कहता हूँ-जागते रहो।’’ हमारे ऊपर कुछ जिम्मेदारी छोड़ कर प्रभु गये हैं। उनके आगमन पर हमें अपनी विश्वसनीयता का प्रमाण देना होगा।
लूकस 12:36-37 में प्रभु इसी शिक्षा को दुहराते हैं, “तुम उन लोगों के सदृश बन जाओ, जो अपने स्वामी की राह देखते रहते हैं कि वह बारात से कब लौटेगा, ताकि जब स्वामी आ कर द्वार खटखटाये, तो वे तुरन्त ही उसके लिए द्वार खोल दें। धन्य हैं वे सेवक, जिन्हें स्वामी आने पर जागता हुआ पायेगा! मैं तुम से यह कहता हूँ, वह अपनी कमर कसेगा, उन्हें भोजन के लिए बैठायेगा और एक-एक को खाना परोसेगा।“ प्रभु का सन्देश साफ है कि हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए।
एक ठेकेदार के साथ एक मिस्त्री कई सालों तक काम कर रहा था। उसके सेवा-निवृत्त होने का समय आ गया। ठेकेदार उसे बहुत ही मेहनत्ती और ईमानदार सेवक मानता था। उन्होंने उस मिस्त्री से निवेदन किया कि हालाँकि उसके सेवा- निवृृत्त होने का समय आ गया था वह एक और मकान बनाने में मदद दे। इस पर मिस्त्री बहुत ही अप्रसन्न था। फिर भी ठेकेदार के दबाव में उसे वह काम करना पड़ा। इस बार ठेकेदार ने मिस्त्री से कहा कि वह सबसे अच्छे माल का इस्तेमाल करें और इस कार्य में प्रवीणता हासिल करने पर ध्यान दे ताकि मक्कान अच्छा बने। मिस्त्री अपना काम अनिच्छा से कर रहा था। उसका यही लक्ष्य था कि किसी न किसी प्रकार उस काम को पूर्ण करूँ। उसने घटिया माल लगा कर जल्दीबाजी कर अपना काम समाप्त किया। जब काम पूर्ण हुआ तो उस ठेकेदार ने उस मकान की चाबी उसी मिस्त्री को दे कर कहा, “आपने ईमानदारी तथा कठिन मेहनत से कई सालों से मेरी बड़ी सहायता की। आपके प्रति हमारी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यह मकान मैं आपको हमारी संस्था से सेवा-निवृत्त होने के इस मौके पर एक उपहार के रूप में देता हूँ।’’ तभी मिस्त्री को अपनी बेवकूफी का एहसास हुआ।
सवाल यह है कि अगर आज प्रभु हम से मिलने आते हैं तो हमारी क्या हालत होगी। शायद हम भी कहानी के मिस्त्री के समान बेवकूफ हैं। हमारी जिन्दगी को बनाना या बिगाड़ना हमारे ही हाथ में हैं। अमरीकी राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर ने कहा था कि ’’हमें रोज ऐसा जीवन बिताना चाहिए मानो प्रभु येसु आज दोपहर को पधार रहे हैं।’’