ईश्वर के पुत्र स्वर्ग से प्यार के खातिर उतरते हैं।

फ़ादर फ़्रांसिस स्करिया


Smiley face चरनी के सामने खडे होकर बालक येसु की मूर्ती की ओर एक्टक देखने के बाद एक बालक ने अपने से कहा, “बेचारा ! घास में पड़ा है। ठंड़ लगती होगी।“ चरनी की ओर देखने के बाद किसको बुरा नहीं लगेगा, किस व्यक्ति में सहानुभूति उत्पन्न नहीं होगी? लेकिन उस बालक के बारे में गहराई से ज्ञान प्राप्त करने तथा मनन-चिन्तन करने पर हमें पता चलेगा कि यह कोई बेचारा नहीं, बल्कि स्वयं सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं और वे हम बेचारों पर तरस खाकर स्वर्ग से उतर कर आए हैं। स्वर्ग की ऊँचाई से दुनिया में उतरनेवाले इसी ईश्वर से हम क्रिसमस के समय मिलते हैं। पिलिप्पियों 2:5-9 में संत पौलुस हमें समझाते हैं कि प्रभु ईश्वर अपनी ईश्वरीय महिमा और गरिमा से अपने को स्वेच्छा से वंचित कर पाप के कीचड़ में पड़े मनुष्य को बचाने हेतु दीन-हीन बन कर हमारे बीच आते हैं। जब वे उतरते हैं तो गरीबी और दुख-दर्द की गहराई तक वे उतरते हैं। गरीब से गरीब बनते हैं, उपहास और तिरस्कार का पात्र बनते हैं। ऐसा क्यों? प्यार के खातिर! “ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने इसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उस में विश्वास करता हे, उसका सर्वनाश न हो, बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे।“ (योहन 3:16) प्रभु येसु के दीन-हीन बनने की शिक्षा हमें प्रदान करते हुए संत पौलुस कहते हैं, “आप लोग अपने मनोभावों को ईसा मसीह के मनोभावों के अनुसार बना लें” (फ़िलिप्पियों 2:5)। हमें येसु के मनोभावों का अनुकरण करना तथा उन्हें अपनाना चाहिए।
जब येसु ज़केयुस के घर में प्रवेश करते हैं, तब सब लोग यह कहते हुए भुनभुनाते रहे, ''वे एक पापी के यहाँ ठहरने गये'' (लूकस 19:7)। “जब फ़रीसी दल के शास्त्रियों ने देखा कि ईसा पापियों और नाकेदारों के साथ भोजन कर रहे हैं, तो उन्होंने उनके शिष्यों से कहा, '' वे नाकेदारों और पापियों के साथ क्यों भोजन करते हैं?'' ईसा ने यह सुन कर उन से कहा, ''निरोगियों को नहीं, रोगियों को वैद्य की ज़रूरत होती है। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।'' (मारकुस 2:16-17)
उत्पत्ति 3 में हम पढ़ते हैं कि पाप करने के बाद आदम और हेवा वाटिका के वृक्षों में प्रभु-ईश्वर से छिप गये। प्रभु-ईश्वर ने आदम से पुकार कर कहा, ''तुम कहाँ हो?'' उसने उत्तर दिया, ''मैं बगीचे में तेरी आवाज़ सुन कर डर गया, क्योंकि मैं नंगा हूँ और मैं छिप गया''। पाप करने के बाद मनुष्य को लज्जा महसूस होती है और साथ-साथ डर भी। लज्जित और डरे सहमे लोगों की खोज में ही प्रभु येसु स्वर्ग से उतरते हैं।
वास्तव में चरनी हमारी दशा का प्रतीक हैं। ईश्वर की महिमा हम प्रभु येसु के रूपान्तरण के समय देखते हैं। उस उत्कृष्ट दशा को छोड़ कर येसु हमारी अवकृष्ट दशा को अपनाते हैं।
प्रभु येसु में विश्वास करने वाले हमारे लिए क्रिसमस तभी सार्थक बन सकता है जब हम भी ज़रूरमंदों तथा पददलितों के बीच जायें और उनके उद्धार के लिए प्रयत्न करते रहें। आप सबों को ख्रीस्त जयन्ती की शुभकामनाएँ!