संकलन - श्री जोसेफ डिसूज़ा, नागपुर
वर्ष के प्रथम दिन कलीसिया हमारे सामने माता मरियम ईश्वर की माँ को एक आदर्ष एवं मार्गदर्शिका के रूप में प्रस्तुत करती है। कलीसिया माँ मरियम को ’’ईश्वर की माँ’’ का दर्जा देती है। साथ ही कलीसिया में अहम् स्थान भी। यह पर्व प्राचीन कलीसिया में भी मनाया जाता था लेकिन भिन्न नाम एवं दिनांक को। संत पापा पॉल छठवें ने 1974 को इस त्योहार का वर्तमान दिन एवं नाम निर्धारित किया।
ईश्वर ने माँ मरियम को प्रभु की माँ बनने का सौभाग्य प्रदान किया। शुरू से ही वे आदि-पाप से अछूती थी। ईश्वर ने उन्हें रहस्यमय रूप से मुक्ति प्रदान की थी। ईश्वर पर उनका अटल विष्वास था। उन्होंने ईश्वर की इच्छा को अपने जीवन में सर्वोपरी माना एवं उसे अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। ईश्वर की इच्छा को अपनी सहमति देकर उन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया। उनके इसी समर्पित मातृत्व तथा जो भूमिका उन्होंने मानव मुक्ति के इतिहास की अदा की है के प्रति श्रद्धा एवं आदर दिखाते हुए कलीसिया वर्ष का प्रारंभ माँ के नाम से करती है।