“मेरे प्यारे बच्चों, तुम्हारे हृदय छोटे हैं, लेकिन प्रार्थना उन्हें विकसित कर ईश्वर को प्यार करने के लिए सक्षम बनाती है। प्रार्थना के द्वारा हमें स्वर्ग का पूर्वानुभव प्राप्त होता है और अदन वाटिका हम पर उतर आती है। प्रार्थना मिठास के बिना हमें नहीं छोडती है। वह शहद है जो हमारी आत्मा की ओर बहकर सब कुछ को मीठा कर देता है। जब हम ठीक से प्रार्थना करते हैं, हमारा दुख ऐसे गायब हो जाता है, जैसे बर्फ़ सूरज के सामने पिघलती है।“
“प्रार्थना हृदय की अभिलाषा है, वह स्वर्ग की ओर दृष्टि डालना है। वह क्लेश तथा आनन्द के बीच धन्यवाद और प्रेम की पुकार है; अंतत: वह एक ऐसी महान और अलौकिक चीज़ है जो मेरी आत्मा को विस्तृत कर उसे येसु से मिलाती है।“
“प्रार्थना के द्वारा आत्मा हर प्रकार के संघर्ष के लिए तैयार हो जाती है। आत्मा किसी भी हालात में क्यों न हो, उसे प्रार्थना करनी चाहिए।“ जो आत्मा पवित्र और सुन्दर है, उसे प्रार्थना करना चाहिए नहीं तो, उसकी सुन्दरता नष्ट हो जायेगी; जो आत्मा सुन्दरता की कामना करती हो, उसे प्रार्थना करनी चाहिए, नहीं तो उसे सुन्दरता कभी प्राप्त नहीं होगी; जिस आत्मा का हाल ही में परिवर्तन हुआ, उसे प्रार्थना करना चाहिए, नहीं तो वह फ़िर से गिर जायेगी, एक पाप से घिरी आत्मा को भी प्रार्थना करनी चाहिए ताकि वह फ़िर से उठ सके। ऐसी कोई आत्मा नहीं जिसे प्रार्थना नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हरेक कृपा प्रार्थना के द्वारा ही आत्मा तक पहुँचती है।“
“यह मान कर प्रार्थना करो कि सब कुछ ईश्वर पर निर्भर है। यह मान कर काम करो कि सब कुछ तुझ पर निर्भर है।“
“सदाचार का निर्माण प्रार्थना से होता है। प्रार्थना संयम की रक्षा करती है। वह गुस्से को दबा देती है। प्रार्थना ईर्ष्या तथा घमण्ड की भावनाओं को दूर करती है। प्रार्थना पवित्र आत्मा को आत्मा की ओर खींचती और मनुष्य को स्वर्ग की ओर उठाती है।“