येसु के पवित्रतम हृदय का महोत्सव

प्रभु येसु के पवित्रतम शरीर और रक्त (Corpus Christi) के पर्व के बाद शुक्रवार

आज हम येसु के पवित्र हृदय का महापर्व मनाते हैं। येसु का पवित्र हृदय की भक्ति काथलिक कलीसिया में लंबे और ऐतिहासिक उद्गम के साथ एक भक्ति है, और आधुनिक समय में सार्वभौमिक कलीसिया के लिए एक महापर्व स्थापित किया गया है। पेंतेकोस्त के उपरांत के दूसरे रविवार के बाद आने वाला शुक्रवार पवित्र हृदय का पर्व है। कई काथलिक ख्रीस्त के पवित्रतम शरीर और रक्त के पर्व पर येसु के पवित्रतम हृदय के लिए एक नोवेना शुरू करके इस पर्व की तैयारी करते हैं, जो कि सप्ताह के पहले का गुरुवार है। पवित्र हृदय के पर्व पर ही, हम पवित्र हृदय के लिए क्षतिपूर्ति का कार्य कर पूर्ण दंड मोचन प्राप्त कर सकते हैं।

इस महापर्व को पहली बार फ्रांस में स्थानीय धर्माध्यक्ष द्वारा संत योहन यूड्स के आदेश पर मनाया गया था, जिन्होंने 31 अगस्त, 1670 को मिस्सा बलिदान चढ़ाया था। इस उत्सव को फ्रांस के अन्य स्थानों में जल्दी ही अपनाया गया था। सन 1856 में, संत पिता पीयुस नौवे ने पूरी कलीसिया के लिए अनिवार्य रूप से येसु के पवित्र हृदय के पर्व की स्थापना की।

13वीं शताब्दी के अंत में, संत योहन प्रेरित के पर्व पर संत गर्ट्रूड को एक दर्शन हुआ जिसमें उन्हें उद्धारकर्ता की बगल में घाव के पास अपना सिर रख कर आराम करने की अनुमति दी गई थी। 17वीं शताब्दी के अंत में इस भक्ति को नवीनीकृत किया गया और अन्य स्थानों में अपनाया गया, विशेष रूप से संत मार्गेरेट मरियम अलोकोक के रहस्योद्घाटन के बाद। संत मार्गेरेट, विसिटेशन संघ की एक मठवासी धर्मबहन, ने पवित्र हृदय के कई निजी खुलासे प्राप्त किए, पहला 27 दिसंबर, 1673 को, और अंतिम वाला 18 महीने बाद।

इस भक्ति को येसुसमाजी और फ्रांसिस्कन्स द्वारा बढ़ावा दिया गया था, और फिर 1928 में संत पिता पीयुस 11वें द्वारा अपने परिपत्र ‘‘मिसरेंटिसिमस रिडेम्प्टर‘‘ में कलीसिया ने मार्गेरेट अलोकोक के दिव्य दर्शनो की विश्वसनीयता को मान्यता प्रदान की।

19वीं सदी के अंत में, दिव्य हृदय की धर्मबहन मरिया को मसीह का संदेश प्राप्त हुआ। इसने अंततः 1899 में संत पिता लियो 13वें के परिपत्र ‘एनूम सैक्रूम’ की रचना का मार्ग तैयार किया जिसमें उन्होंने फैसला सुनाया कि 11 जून, 1899 को पूरी मानव जाति को येसु के पवित्र हृदय को समर्पित किया जाना चाहिए।

येसु ने वादा किया था, उन लोगों के प्रत्युत्तर में जो स्वयं को समर्पित करते हैं और उनके पवित्र हृदय की क्षतिपूर्ति करते हैं, किः

* वे उन्हें उनके जीवन की अवस्था में आवश्यक सभी अनुग्रह प्रदान करेंगे।

* वे उनके घरों में शांति स्थापित करेंगे।

* वे उन्हें उनके सब क्लेशों में दिलासा देंगे।

* वे जीवन के दौरान, और सबसे बढ़कर, मृत्यु में उनका सुरक्षित आश्रय होंगे।

* वे उनके सभी उपक्रमों पर भरपूर आशीर्वाद देंगे।

* पापी उनके हृदय में करूणा का स्रोत और अनंत सागर पाएंगे।

* गुनगुनी आत्माएं उत्साही हो जाएंगी।

* उत्साही आत्माएं शीघ्र ही उच्च पूर्णता की ओर बढ़ेंगी।

* वे हर उस स्थान को आशीष देगा जहां उनके हृदय की एक छवि उजागर और सम्मानित की जायेगी।

* वे पुरोहितों को सबसे कठोर दिलों को छूने का उपहार देंगे।

* जो लोग इस भक्ति को बढ़ावा देंगे, उनके नाम उनके हृदय में लिखे जायेंगे।

* जो लगातार नौ महीनों में पहले शुक्रवार को पवित्र परमप्रसाद प्राप्त करते हैं, उन सभी को उनके दिल की अत्यधिक दया में उनका सर्वशक्तिमान प्रेम ये वरदान प्रदान करेगा; अंतिम दृढ़ता की कृपा, वे उनके अनुग्रह की कमी में नहीं मरेंगे, और न ही उनके संस्कार ग्रहण किए बिना मरेंगे। उनका दिव्य हृदय इस अंतिम क्षण में उनका सुरक्षित आश्रय होगा।


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