खीस्त की मृत्यु के दो साल बाद येरूसालेम में पत्थरों से मारे गए उपयाजक स्तेफ़नुस हमेशा विश्वासियों द्वारा बहुत विशेष अर्चना का विषय रहा हैं। वे पहले शहीद हैं। प्रेरित चरित में उनकी गिरफ्तारी और उनके खिलाफ लाए गए आरोपों से संबंधित विवरण हमारे उद्धारकर्ता पर चलाए गए मुकदमें के समानांतर पर जोर देता है; नगर की दीवारों के बाहर उनपर पत्थराव किया गया, और अपनेे जल्लादों के लिए प्रार्थना करते हुए अपने स्वामी की तरह वह मर गया।
स्तेफ़नुस सात उपयाजकों के समूह से संबंधित है जिन्हें प्रेरितों ने उनके बोझ को हल्का करने के लिए उनके काम से जोड़ा। वह ‘‘विश्वास और पवित्र आत्मा से भरा हुआ‘‘, ‘‘अनुग्रह और शक्ति से भरा‘‘ था, उन्होंने खुद को ईश्वर के एक व्यक्ति के रूप में दिखाया, दिव्य अनुग्रह और प्रेरितिक उत्साह को विकीर्ण किया। खीस्त के पहले गवाह के रूप में उन्होंने अपने विरोधियों का सामना बडे़ साहस के साथ किया और येसु (मारकुस १३.११) द्वारा किया गया वादा पूरा हुआः ‘‘... स्तेफ़नुस के साथ विवाद करने में वे उस ज्ञान और आत्मा का विरोध करने में सक्षम नहीं थे जो बोल रहा था।‘‘
संत स्तेफ़नुस में, पहला शहीद के रूप में, पूजन-पद्धती ने स्वयं के पूर्ण उपहार की सीमा तक, उस महान परोपकार की सीमा तक खीस्त के अनुकरणकर्ता पर जोर दिया, जिन्होंने उन्हें अपने जल्लादों के लिए अपनी पीड़ा में प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया। खीस्त जयन्ती के अगले दिन पर्व की स्थापना करके कलीसिया शिष्य और गुरु के बीच और भी करीबी से तुलना करती है और इस तरह से मुक्तिदाता खीस्त के पूरे मिशन के लिए अपनी गवाही देती है।
संत स्तेफ़नुस कलीसिया के पहले शहीद हैं, और पत्थर के राजमिस्त्री, मिस्त्री, ईंट बनाने वाले, उपयाजक, सिरदर्द और घोड़ों के संरक्षक संत हैं। उनके शाहादत की कहानी प्रेरित चरित अध्याय 7 से आती है। उन्हें आमतौर पर उपयाजकों की वेशभूषा में चित्रित किया जाता है, जिसमें शहादत का प्रतीक, एक ताड़ की शाखा होती है। कभी-कभी उनके बाएं हाथ में पत्थर होता है, जो पत्थर से उनकी मृत्यु का संकेत देता है। उन्हें कई छवियों में एक पुष्पांजलि पहने हुए चित्रित किया गया है, जो उनके नाम की उत्पत्ति को दर्शाता है, ग्रीक शब्द स्टेफानोस जिसका अर्थ है ‘‘पुष्पांजलि।‘‘