सेंट कैथरीन लेबौरे का जन्म फ्रांस में 2 मई, 1806 को पियरे और मेडेलीन लेबौरे के 11 बच्चों में नौवें के रूप में हुआ था।
1815 में, कैथरीन की माँ का निधन हो गया, जिससे 9 वर्षीय उनकी बेटी कैथरीन को घर की देखभाल की जिम्मेदारी दी गई। अपनी माँ के अंतिम संस्कार के बाद, कैथरीन घर लौटी और धन्य माता मरियम की एक तस्वीर उठाई। उसे पास रखते हुए उसने कहा, "अब तुम मेरी माँ बनोगी।" बड़े होकर, कैथरीन एक शांत और व्यावहारिक बच्चे के रूप में जानी जाती थी, हालाँकि वह बेहद धर्मनिष्ठ थी। अपनी माँ की मृत्यु के कुछ साल बाद, कैथरीन ने एक बूढ़े पुरोहित को सपने को देखा जो उसे बीमार लोगों के एक कमरे में ले जा रहा था। "बीमारों की देखभाल करना एक अच्छा काम है। ईश्वर ने आपके लिये योजना बनाई है। इसे मत भूलना।" वर्षों बाद, चैरिटी अस्पताल की बेटियों की सिस्ट्र्स की यात्रा के दौरान, कैथरीन ने दीवार पर बूढ़े पुरोहित की एक तस्वीर देखी। उसने पाया कि यह उनके संस्थापक सेंट विंसेंट डी पॉल की तस्वीर थी। कैथरीन तुरंत यह जानती थी कि वह सेंट विंसेंट के धर्मसंघ की सदस्य बनेगी।
जनवरी 1830 में, कैथरीन लेबौरे ने धर्मसंघ में प्रवेश किया जैसे ही कैथरीन प्रार्थना घर के पास पहुंची, एक भव्य रोशनी प्रकट हुई और दरवाजा खुल गया। माता मरियम ने कैथरीन से कहा कि उसे सभी आवश्यक सभी अनुग्रहों के साथ एक मिशन दिया जाएगा जिसे उसे पूरा करना पडेगा।
कैथरीन लेबौरे ने अपने जीवन के अगले 40 वर्ष बुजुर्गों, बीमारों और विकलांगों की देखभाल में बिताए। 31 दिसंबर, 1876 को कैथरीन का 70 साल की उम्र में निधन हो गया। उसका शरीर पेरिस में माता मरियम के चमत्कारी मैडल के गिर्जाघर में बगल की वेदी के नीचे कांच में बंद था।
1933 में खुदाई के बाद उनके शरीर को सुरक्षित पाया गया था। 28 मई, 1933 को सन्त पापा पायस ग्यारहवें द्वारा उन्हें धन्य घोषित किया गया था और 27 जुलाई, 1947 को सन्त पापा पायस बारहवें द्वारा सन्त घोषित किया गया ।
सेंट कैथरीन लेबौरे बुजुर्गों, बीमार लोगों और चमत्कारी मैडल की संरक्षक संत हैं। उनका पर्व दिवस 28 नवंबर को मनाया जाता है।