संत योहन बर्खमंस जन्म बेल्जियम के डायस्ट में 1599 में हुआ। उनके पिता मोची थे। योहन के मन में बचपन से ही पुरोहित बनने की इच्छा थी। संत अलोईस गोंजागा का जीवन उनकी आध्यात्मिकता का मॉडल था। येसु समाजी अग्रेंज शहीदों के जीवन ने भी उन्हें बहुत प्रभावित किया। वे परिश्रम और धार्मिकता के साथ अपने हर काम को परिपक्वता के साथ करते थे। योहन के जीवन की मुख्य विशेषता यह थी कि वे जीवन की साधारण बातों एवं वस्तुओं को मूल्यवान समझते थे। उनके लिये हर बात तथा वस्तु में ईश्वर का पूर्व-प्रबंधन दिखता था। इस प्रकार वे सदैव ईश्वर का समपर्ण करते तथा उनके सानिध्य में बने रहते थे। माता मरियम के प्रति उनकी विशेष भक्ति थी।
अपने साथियों और लोगों के बीच उनका विशेष सम्मान था। उनकी मध्यस्थता के द्वारा अनेक चमत्कार हुये। 13 अगस्त 1621 में उनकी मृत्यु हो गयी। सन् 1888 में उन्हें संत घोषित किया गया। वे सभी वेदी सेवकों के संरक्षक संत है।