माता मरियम के मंदिर में समर्पण के पर्व शुरूआत छठवीं सदी में पूर्वी कलीसिया में हुयी तथा यह पंद्रहवीं सदी में पश्चिम की कलीसिया में प्रचलित हुआ। इस पर्व का आधार इस प्राचीन परंपरा पर आधारित है कि जब मरियम तीन वर्ष की बालिका थी तो उन्हें येरूसालेम के मंदिर में ईश्वर को समर्पित किया गया था। ईश्वर ने मरियम में विशेष रूप तथा रीति से अनुग्रहित किया। मरियम ने इस अनुग्रह के प्रतिउत्तर में अपने सम्पर्ण जीवन को ईश्वर की सेवा में समर्पित कर दिया। ईश्वर हमें हमारे जीवन के प्रत्येक क्षण, घटना, तथा परिस्थति में उनके अनुग्रह को स्वीकारने तथा अपने जीवन को मरियम के समान ईश्वर को समर्पित करने को आमंत्रित करते हैं।