संत अलबर्ट महान का जन्म 1206 में लोइनजेन, जर्मनी में हुआ। लगभग 1223 में उन्हें माता मरियम की उपस्थिति का गहरा अनुभव हुआ। इससे प्रभावित होकर उन्होंने डोमिनिक धर्मसमाज में प्रवेश लिया। वे बडे मेधावी बुद्धि के थे। उन्होंने पादुआ एवं पेरिस में अपनी पढाई की। कुशाग्र बुद्धि के कारण अपनी शिक्षा में उन्होंने उच्च स्थान पाया। अनेक स्थानों पर उन्होंने शिक्षण का कार्य किया तथा उनकी शिक्षण शैली तथा ज्ञान की सब जगह प्रशंसा हुयी। संत थॉमस अक्योनास उनके शिष्य थे जो स्वयं भी एक महान ज्ञानी संत बने। 1260 में इन्हें रेगन्ससर्बुर्ग का धर्माध्यक्ष बनाया गया। उन्होंने परस्पर संघर्षरत लोगों के बीच शांति स्थापित करने के लिये व्यापक प्रयास किये। कोलोन शहर के लोगों तथा उनके धर्माध्यक्ष के मध्य विवाद को हल कराने में उनका विशेष हाथ था। उन्होंने अनेक गूढ विशेषों पर अनेक किताबें तथा लेख लिखे तथा जर्मनी में विश्वविघालय की स्थापन की।
15 नवंबर 1280 में उनका निधन हुआ। संत अलबर्ट वैज्ञानिकों, दर्शनशास्त्रियों, चिकित्सा कर्मियों तथा नैसर्गिक विज्ञान के संरक्षण संत है।
संत अलबर्ट ने तीक्ष्ण बुद्धि का उपयोग कलीसिया तथा सच्चे ज्ञान को फैलाने के लिये किया। ढेर सारी प्रसिद्धि होने के बावजूद भी उन्होंने साधारण तथा सादगीपूर्ण जीवन बिताया। लोगों में शांति स्थापित करायी तथा ख्राीस्तीय जीवन की अनूठी गवाही प्रस्तुत की।