संत विलिब्रोर्ड का जन्म नार्थउमब्रिया, इग्लैंड में सन् 658 में हुआ। इनके परिवार तथा इससे जुडी पृष्ठभूमि की जानकारी उपलब्ध नहीं है। विलिब्रोर्ड ने पुरोहिताई की शिक्षा-दीक्षा रिपोन मठ में की तथा 12 वर्ष मिशनरी बनने के प्रशिक्षण में बिताये। सन् 690 में वे प्रेरिताई के कार्यों के लिये अपने साथियों के साथ फ्रिसिया के लिये निकल पडे। ख्रीस्तीय विश्वास को फैलाने तथा प्रेरिताई के कार्यों में उन्हें बहुत परिश्रम तथा त्याग करना पडा। 696 में फ्रिसिया के महाधर्माध्यक्ष बनाये गये। वहॉ के नेता पेपिन से उन्हें बहुत समर्थन मिला जिससे उनके प्रेरिताई के कार्य फले-फूले। उन्होंने लक्समबर्ग में मठ की स्थापना की तथा उसे मिशन कार्यों का केन्द्र बनाया। इसके साथ-साथ उन्होंने अपने मिशनकार्यों को डेनमार्क तथा ऊपरी फ्रिसलैंड तक फैलाया। गैर-विश्वासियों का उन्हें गहरा विरोध झेलना पडा तथा एक बार तो उनकी हत्या होते-होते बची। किन्तु जब विरोधी राजा रेडबोड ने इस इलाके को अपने अधिकार में कर लिया तो विलिब्रोर्ड के सारे कार्यों पर पानी फिर गया।
किन्तु रेडबोड की मृत्यु के उपरांत विलिब्रार्ड ने पुनः अति उत्साह के साथ मिशन कार्यों को जारी रखा तथा आशतीत सफलता प्राप्त की। उनके कार्यों में संत बोनीफेस ने विशेष मदद की। 7 नवंबर 739 को इनका निधन हो गया। उनके महान कार्यों के कारण उन्हें फ्रिसिया का प्रेरित भी कहा जाता है।