हर वर्ष 1 नवम्बर को काथलिक कलीसिया सभी संतो का त्यौहार मनाती है। इस पर्व की औपचारिक स्थापना संत पापा बोनिफेस चौथे ने की। इस त्योहार को माता कलीसिया ने महत्ता देते हुये इसे समारोह पर्व घोषित किया तथा सभी विश्वासियों के लिये इसे अनिवार्य दिवस घोषित किया।
आदि कलीसिया सभी विश्वासियों को संत कह कर बुलाती थी। बपतिस्मा प्राप्त विश्वासियों की बुलाहट संत बनने की बुलाहट है। चार दिवारों के बीच रहकर या मठवासी, पुरोहित बनना ही नहीं बल्कि जो भी जिम्मेदारी ईश्वर ने हमें प्रदान की है उसे ख्रिस्तीय विश्वास के साथ निभाकर भी हम सन्त बनने का गौरव प्राप्त कर सकते है।
यह दिन कलीसिया के उन सभी संतों के लिये समर्पित है जिन्होंने अपनी मृत्युउपरांत स्वर्ग प्राप्त किया। हालॉकि लाखों लोग संत होंगे किन्तु कलीसिया इस दिन उन्हीं संतों की यादगार मनाती जो कलीसिया के नियमानुसार संत घोषित हुये हो तथा जिनका उल्लेख काथलिक कलीसिया की संतों की सूची में सम्मल्लित हो। आदर्श के रूप् में प्रस्तुत करती है।
कलीसिया ने यह दिन सभी विश्वासियों के लिये अनिवार्य दिवस घोषित किया। इससे तात्पर्य यह है कि सभी विश्वासियों को इस दिन मिस्सा बलिदान में भाग लेना चाहिये। हॉलाकि किसी आपातकालीन या अति आवश्यक कारणों से यदि कोई ऐसा करने से वंचित रह जाये तो वे इस अनिवार्यता से बच जाते हैं।