जनवारीयुस बेनेवेंतुम के धर्माध्यक्ष थे जिन्हें अपने उपयाजक सोसियुस और फेस्तुस, और अपने वेदी-वाचक डेसिडेरियुस के साथ, डायोक्लेटियन उत्पीड़न (लगभग 304) के दौरान सब से नृशंस यातना दी गयी थी। फिर भी, ईश्वर की सहायता से उन्हें शारीरिक अपंगता से बचाए रखा गया था। छोड़े गए खुले जंगली जानवर उन पर हमला नहीं करते थे। फिर पुतियोली में उनका सिर काट कर उन्हें शहिद कर दिया गया तथा उनके शव को पड़ोसी शहरों में श्रद्धापूर्वक दफनाया गया। अंततः संत जनवारीयुस के अवशेष नेपल्स शहर का मूल्यवान संपत्ति बन गए।
‘‘वर्तमान समय में भी संत का रक्त जो शीशे की शीशी में रखा गया है, संत के सिर के पास लाने के कुछ ही समय बाद तरल हो जाता; फिर यह एक उल्लेखनीय तरीके से बुदबुदाता है, जैसे कि अभी-अभी बहाया गया हो ‘‘(ब्रेविअरी)। कार्डिनल शूस्तर ने अपने लीबेर सैक्रामेंटोरूम में यह बयान दिया है (वॉल्यूम 8, पृष्ठ 233) : ‘‘लेखक ने रक्त द्रवीकरण के चमत्कार को निकटतम स्थान से देखा है और इस तथ्य की गवाही दे सकते हैं। किए गए सभी वैज्ञानिक जांचों को ध्यान में रखते हुए, वे कहेंगे कि घटना की स्वाभाविक व्याख्या संभव नहीं लगती।‘‘