सितंबर 09

संत पेत्रुस क्लावर

स्पेन के संत पेत्रुस क्लावर का जन्म कैटेलोनिया में 1581 में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। वे येसु समाज (जेसुइट्स) में शामिल हो गए, और तारागोना में अपने नवदीक्षा के बाद उन्हें मालोर्का में पाल्मा में मोंटेसियन कॉलेज भेजा गया। वहां उनकी मुलाकात भाई अल्फोंस रोड्रिग्ज (वे भी एक संत है) से हुई, जो कॉन्वेंट की ओर से लोगों से संपर्क साधते थे। अल्फोंस ने अफ्रीकी दासों की आत्माओं को बचाने के लिए पेत्रुस की आत्मा को प्रज्वलित किया - हजारों आत्माएं खो रही है क्योंकि उनकी प्रेरिताई सेवा करने वाला कोई नहीं था। उनके वरिष्ठों ने अंततः 1610 के अप्रैल में पेत्रुस को न्यू ग्रेनाडा भेजा। उन्हें कभी भी अपने मूल देश स्पेन में नहीं लौटना था।

1615 तक पेत्रुस ने अपनी पढ़ाई पूरी की और कार्टाजेना में एक पुरोहित नियुक्त किए गए। जब उन्होंने अपना अंतिम व्रत धारण किया, तो उन्होंने एक व्यक्तिगत व्रत भी जोडा - पेत्रुस, सदा के लिए दासों का दास। यहाँ इस व्यस्त बंदरगाह शहर में, एक गर्म, उमस, उष्णकटिबंधीय जलवायु में, फादर क्लेवर ने अपना अधिकांश पुरोहिती जीवन बिताया। कार्टेजेना नई दुनिया के लिए प्रमुख गुलाम बाजार था। हजारों अश्वेतों को वहां लाया जाता, गोदामों में रखा जाता और सब से ऊंची बोली लगाने वाले को नीलाम किया जाता। अफ्रीका में पकड़े गए, इन दासों को छह के समूहों में जंजीर से बांध दिया जाता था और मनुष्यों को रखने के लिए डिजाइन किए गए जहाजों के निचले पेंदे में जहां 100-200 को रखना था वहां 600-800 को दबा के रखा जाता था। उनके साथ व्यवहार इतना अमानवीय था कि समुद्री यात्रा में एक-तिहाई दासों की मृत्यु हो जाती थी।

वास्तव में यही वे लोग थे जिनके लिए पेत्रुस प्रेरिताई करते। जैसे ही प्रत्येक जहाज जिस में दासों को लाया जाता बंदरगाह पर उतरता तो वे उससे तुरंत मिलते। पेत्रुस गोदामों में जाते थे और दासों के लिए भोजन, पानी, दवा और कपड़े लाते थे, क्योंकि उन्होंने कहा था, ‘‘हमें उनसे अपने हाथों से बात करनी चाहिए, इससे पहले कि हम उनसे अपने होठों से बात करने की कोशिश करें‘‘। लेकिन सबसे बढ़कर, वे उन्हें ईश्वर ले आए। उन्हें वापस स्वस्थ करते हुए, वे उन्हें ख्रीस्त के बारे में सिखाते थे, उन्हें समझाते थे कि जितना उनके साथ मनुष्य द्वारा दुर्व्यवहार किए जाते हैं उससे कहीं अधिक ईश्वर उनसे प्रेम करते हैं, और इस बुराई ने ईश्वर को नाराज कर दिया है। उन्होंने उन्हें एकमात्र सांत्वना दीः ईश्वर के वादों में आशा। उनमें से लगभग तीन लाख लोगों ने उनके हाथों बपतिस्मा प्राप्त किया।

इन गुलामों के लिए सत्ताईस साल की प्रेरिताई के बाद, 8 सितम्बर, 1654 को कार्टाजेना में संत पेत्रुस क्लेवर की मृत्यु हो गई। लियो तेरहवें ने 15 जनवरी, 1888 को उन्हें नीग्रो का विशेष संरक्षक और रक्षक घोषित किया। कॉलेज के संपर्ककर्ता संत अल्फोंसस रोड्रिग्ज, जिन्होंने पेत्रुस को दासों के लिए एक मिशनरी बनने के लिए प्रेरित किया था, उन्हें भी उसी समय संत घोषित किया गया।


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