काथलिक कलीसिया संत जोवाकिम और संत अन्ना की संतान के रूप में कुँवारी मरियम के बेदाग गर्भाधान यानी 8 दिसंबर के उत्सव के ठीक नौ महीने बाद, 8 सितम्बर की अपनी पारंपरिक निश्चित तिथि पर धन्य कुँवारी मरियम के जन्म का जश्न मनाती है।
कुँवारी मरियम की शैशवावस्था और प्रारंभिक जीवन की परिस्थितियों को सीधे बाइबिल में दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन उनके जन्म की परिस्थितियों का वर्णन करने वाले अन्य दस्तावेजों और परंपराओं को कलीसिया की पहली शताब्दियों के कुछ शुरुआती ख्रीस्तीय लेखकों द्वारा उद्धृत किया गया है।
इन विवरणों को, हालांकि बाइबिल की तरह आधिकारिक नहीं माना जाता है, परंतु वे मरियम के जन्म के बारे में कलीसिया की कुछ पारंपरिक मान्यताओं को रेखांकित करते है।
‘‘याकूब का प्रोटोएवेंजेलियम‘‘, जिन्हें संभवतः दूसरी शताब्दी की शुरुआत में अपने अंतिम लिखित रूप में रखा गया था, मरियम के पिता जोवाकिम को इस्राएल की बारह वंशों में से एक के धनी सदस्य के रूप में वर्णित करता है। जोवाकिम अपनी पत्नी अन्ना के साथ, उनकी संतानहीनता से बहुत दुखी था। “उन्होंने इब्राहीम को स्मरण किया,” एक आरंभिक ख्रीस्तीय लेखन कहता है, “कि अन्तिम दिन में ईश्वर ने उन्हें एक पुत्र इसहाक दिया।”
जोवाकिम और अन्ना ने प्रार्थना और उपवास के लिए खुद को बड़े पैमाने पर और सख्ती से समर्पित करना शुरू कर दिया, शुरू में यह सोचकर कि क्या बच्चे को गर्भ धारण करने में असमर्थता उनके साथ ईश्वर की नाराजगी का संकेत दे रही है।
जैसा कि यह पता लगा, हालांकि, जोड़े को इब्राहीम और सारा की तुलना में अधिक प्रचुर मात्रा में आशीर्वाद दिया जाना था, जैसा कि एक स्वर्गदूत ने अन्ना को बताया जब वह उनके सामने प्रकट हुआ। स्वर्गदूत ने भविष्यवाणी की कि सभी पीढ़ियां उनके भविष्य की बच्ची का सम्मान करेंगीः ‘‘प्रभु ने आपकी प्रार्थना सुनी है, और आप गर्भवती होगी, और आप प्रसव करेंगी, और आपके वंश की चर्चा सारे जगत में होगी।”
मरियम के जन्म के बाद, याकूब के प्रोटोएवेंजेलियम के अनुसार, अन्ना ने शिशु लड़की के कमरे में ‘‘एक पूजन-स्थान बनाया‘‘, और बच्ची की विशेष पवित्रता के कारण ‘‘कुछ भी अपवित्र या अशुद्ध नहीं होने दिया‘‘। वही लेख बताता है कि जब वे एक वर्ष की थी, तब उनके पिता ने ‘‘एक बड़ा पर्व मनाया, और याजकों, शास्त्रियों, अध्यक्षों, और इस्राएल के सभी लोगों को आमंत्रित किया।‘‘ ‘‘और जोवाकिम बच्ची को याजकों के पास ले आए,‘‘ वृत्तांत आगे कहता है, ‘‘और उन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया, और कहाः ‘हे हमारे पुर्वजों के ईश्वर, इस बच्ची को अपनी आशिष प्रदान कर, और उसे ऐसा नाम दे जो सभी पीढ़ीयों में सदा युगानुयुग बना रहें...’’और वे उन्हें महायाजकों के पास ले आए, और उन्होंने यह कह कर उन्हें आशीर्वाद दिया, कि ‘‘हे परमप्रधान ईश्वर, इस बच्ची पर दयादृष्टी कर और उसे परम आशिष दें, जो सदाकाल बनी रहें!’’
प्रोटोएवेंजेलियम आगे यह भी वर्णन करता है कि कैसे मरियम के माता-पिता ने, मंदिर के पुरोहितों के साथ, बाद में फैसला किया कि उन्हें अपने जीवन के बाकी दिनों के लिए ईश्वर को एक पवित्र कुँवारी के रूप में पेश किया जाएगा, और वे बढ़ई यूसुफ के साथ एक पवित्र विवाह में प्रवेश करेंगी।