सितंबर 04

वितेर्बो की संत रोज़ा

एक गरीब और धर्मपरायण माता-पिता से 1235, वितेर्बो में जन्मी संत रोज़ा, अपने शुरुआती वर्षों से पवित्रता और चमत्कारी शक्तियों के लिए उल्लेखनीय थी। जब वे तीन साल की थीं, तब उन्होंने अपनी मौसी को जीवित कर दिया। सात साल की उम्र में, वे पहले से ही एक वैरागी का जीवन जी रही थी, जिसने खुद को तपस्या के लिए समर्पित कर दिया था। उनके स्वास्थ्य ने दम तोड़ दिया, लेकिन वे चमत्कारिक रूप से धन्य कुँवारी मरियम द्वारा ठीक हो गई। मरियम ने उन्हें संत फ्रांसिस के तीसरे तपस्वी धर्मसंघ में खुद को नामांकित करने और वितेर्बो को तपस्या का उपदेश देने का आदेश दिया, जिस समय (1247) जर्मनी के फ्रेडरिक द्वितीय ने उस शहर पर कब्ज़ा कर रखा था जो राजनीतिक संघर्ष और विधर्म के लिए एक शिकार बन चुका था।

उनका यह मिशन लगभग दो साल तक बढ़ गया था, और उनकी सफलता ऐसी थी कि शहर के अनुशासक ने उन्हें निर्वासित करने का फैसला किया। शाही सत्ता को गंभीर खतरा पैदा हो गया था। तदनुसार, रोज़ा और उनके माता-पिता को जनवरी, 1250 में वितेर्बो से निष्कासित कर दिया गया और उन्होंने सोरियानो में शरण ली। 5 दिसंबर, 1250 को, रोज़ा ने सम्राट की शीघ्र मृत्यु की भविष्यवाणी की, 13 दिसंबर को यह भविष्यवाणी पूरी हुई। इसके तुरंत बाद वे विटोरचियानो चली गयीं, जिसके निवासियों को एक प्रसिद्ध जादूगरनी ने विकृत कर दिया था। रोज़ा ने जलती हुई चिता की लपटों में तीन घंटे तक बेदाग खड़े रहकर, जादूगरनी सहित सभी को ख्रीस्तीय समुदाय में शामिल कर लिया। वह चमत्कार अच्छी तरह से प्रमाणित है। वितेर्बो में संत पिता की शक्ति पुनर्स्थापित होने पर (1251), रोज़ा अपने शहर वापस आ गई। वे गुलाबों की संत मरिया के मठ में प्रवेश करना चाहती थी, लेकिन उनकी गरीबी के कारण उन्हें मना कर दिया गया था। उन्होंने अपनी मृत्यु के बाद मठ में उनके प्रवेश की भविष्यवाणी करते हुए विनम्रतापूर्वक समर्पण किया। संत रोज़ा का शेष जीवन उनके पिता के घर की कोठरी में बीता, जहाँ उनकी 6 मार्च 1252 को मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के बाद, संत पिता अलेक्जेंडर चैथे ने उनके शरीर को कॉन्वेंट में दफनाने का आदेश दिया जिसने पहले ऐसे करने की अनुमति नहीं दी थी। उनकी संत धोषणा की प्रक्रिया उस वर्ष संत पिता इनोसेंट चैथे द्वारा चालु की गई थी, लेकिन 1457 तक निश्चित रूप से नहीं की गई थी। उनका पर्व 4 सितम्बर को मनाया जाता है, जब उनका शरीर जो अभी भी अविनाशी है उसे वितेर्बो के माध्य से जुलूस में ले जाया जाता है।


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Praise the Lord!