ये दोनों फरीसी और यहूदियों के महासभा के सदस्य थे। ये गुप्त रुप से प्रभु से जुड़े हुए थे तथा उनका अनुसरण करते थे। पवित्र बाइबिल में निकोदेमुस के बारे तीन बार हमें पढ़ने को मिलता है और अरिमथिया के यूसुफ के बारे दो बार। जब प्रभु की क्रूस पर मृत्यु हुई तो ये दोनों वहाँ पर उपस्थित थे, और इन्होंने प्रभु को दफनाने में मदद की।
अरिमथिया के यूसुफ ने प्रभु को दफनाने के लिए अपनी खुद की कब्र दे दी और प्रभु के शरीर को लपेटने के लिए उसने छालटी के कपड़े भी लाया। निकोदेमुस ने येसु के दफनाने की विधी को पुरा करने के लिए लगभग पचास सेर का गंधरस और अगरू का सम्मिश्रण दिया था।
जब महासभा में प्रभु को मार डालने का षड़यन्त्र चल रहा था तो यही दोनों, यूसुफ और निकोदेमुस ने, उस षड़यन्त्र का विरोध किया था। ये था प्रभु येसु के प्रति इनका प्यार और विश्वास। ये दोनो समाज में एक गणमान्य व्यक्ति थे। इसके वावजूद भी इन्होंने समाजिक रुप से बहिस्कृत, अपमानित और क्रूसित व्यक्ति के मृत शरीर को आदर और सम्मान देने का कार्य किया।
यरूसालेम के धार्मिक अधिकारियों में, फरीसी निकोदेमुस और अरिमथिया का प्रमुख यूसुफ, दोनों ही प्रभु येसु के गुप्त शिष्य थे। प्रभु येसु के ये दो गुप्त लेकिन बहुत ही घनिष्ठ शिष्य थे।
इन संतों की मध्यस्थता से हम सभी नेक लोगों के लिए प्रार्थना करें, ताकि वे ख्रीस्तीय सिद्धांतो के अनुसार जीवन व्यतित करते हुए एक दिन येसु मसीह को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कर सकें।