आधुनिक समय के संत पिता द्वारा अभिलाषित, मरियम की महारानी के इस पर्व में, विशेष रूप से हम मरियम को स्वर्ग और पृथ्वी की रानी के रूप में मनाते हैं। संत पिता पीयुस बारहवें ने अपने परिपत्र “आद चेली रेजीनाम” में मरियम महारानी पर पारंपरिक सिद्धांत का प्रस्ताव रखा और सर्वभौमिक कलीसीया के लिए इस पर्व की स्थापना की।
मरियम रानी और माँ दोनों हैं, लेकिन वे रानी से ज्यादा माँ हैं। मरियम की महारानी और ‘‘मातृत्व,‘‘ दोनो उनके जीवन में परस्पर जुड़े है। जिस क्षण मरियम दूत की उद्घोषणा के समय माँ बनती है, उसी क्षण वे रानी भी बन जाती हैं। स्वर्गदूत गाब्रिएल ने मरियम से कहा कि उनका पुत्र ‘‘अपने पूर्वज दाऊद के सिंहासन पर विराजमान होगा’’ और ‘‘वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा, और उसके राज्य का अन्त न होगा‘‘ (लुकस 1:32-33)। चूँकि येसु एक राजा है, और जब से वे मरियम के गर्भ में पैदा हुए है, और चूंकि इस्राएल में एक राजा की माँ (राज माता) हमेशा एक रानी थी, (बेटी जरूरी नहीं है), मरियम एक रानी बन जाती है। कलीसिया की प्रारंभिक शताब्दियों के कुछ ग्रंथ मरियम को ‘‘दोमिना‘‘ कह कर संबोधित करते हैं ‘‘दोमिनुस‘‘ की स्त्रीलिंग, लैतिनी भाषा में जिसे ‘‘स्वामी‘‘ या ‘‘प्रभु‘‘ के लिए उपयोग करते हैं। यह शाही खून नहीं है, बल्कि उनका मातृ संबंध है, जो मरियम को रानी बनाता है। और चूंकि कुछ भी राजा ख्रीस्त के दायरे से बाहर नहीं रखा गया है, मरियम उसी राज्य की रानी है, जिसमें स्वर्ग और पृथ्वी दोनों शामिल हैं। यह राज्य हिंसक विजय या राजनीतिक साजिश के माध्यम से अर्जित नहीं किया गया था। ख्रीस्त राजा का राज्य स्वयं राजा के रक्त बलिदान के माध्यम से खरीदा गया। मसीह ने नम्रतापूर्वक अपने आप को मार डालने की अनुमति दी ताकि वे चालीस घंटे बाद जी उठ सकें और पिता के दाहिने एक राजा की तरह विराजमान होने के लिए स्वर्ग में चढ़ सकें। ख्रीस्त संसार को शासन करने का एक नया रूप देते है, ‘‘मैं जीत गया हूँ!‘‘ शब्दों की पुनर्व्याख्या।
मरियम वह स्वर्गीय रानी हैं जो प्रकाशना ग्रंथ के रहस्यमय दर्शन में है जिसमें ‘‘सूर्य का वस्त्र ओढ़े एक महिला दिखाई पड़ी। उसके पैरों तले चन्द्रमा था और उसके सिर पर बारह नक्षत्रों का मुकुट दिखाई देता है” (प्रकाशना 12:1-3)। इस मुकुट धारक महारानी की जटिल प्रतीकात्मकता में मरियम, इस्राएल और कलीसिया खुद शामिल हैं। मरियम का राज्याभिषेक, माला बिन्ती के महिमा का पाँचवाँ रहस्य, धर्मसिद्धांत के रूप में परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन प्रारंभिक मध्ययुगीन काल से इसे पूजन पद्धति में मनाया जाता रहा है और कला में चित्रित किया गया है। रानी के रूप में मरियम का सबसे प्राचीन चित्रण एक मोजेक है जो रोम के ऐतिहासिक केंद्र में एक छोटे से गिरजाघर में 500 के दशक से है। लेकिन उनकी महारानी होने का पर्व केवल 1954 में कलीसिया के कैलेंडर में रखा गया था। द्वितीय वतिकान ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘‘मरियम को शरीर और आत्मा सहित स्वर्गीय महिमा में ले जाया गया था, और ईश्वर द्वारा सारे विश्व की रानी के रूप में ऊंचा किया गया था ...‘‘ (लुमेन जेंसियम, 59)। द्वितीय वतिकान महासभा के पूजन-पध्दतीय सुधारों के बाद, मरियम के स्वर्ग में उठाए जाने के अठवारे को निरस्त कर दिया गया था, लेकिन अभी भी उन को रानी का मुकुट पहनाए जाने में याद किया जाता है, जिसे 15 अगस्त के आठ दिन बाद मनाया जाता है, जो दो समारोहों के बीच की कड़ी को दर्शाता है।
राजा के रूप में येसु को अभिषिक्त किया गया तथा मरियम को रानी का मुकुट पहनाया गया। इस कालातीत धार्मिक मिलन में, स्त्री की उपस्थिति महसूस की जाती है। राजमाता वहाँ है, अपनी प्रजा की ओर से अपने राजा-पुत्र के साथ मध्यस्थता कर रही हैं। वे प्रजा के साथ पूजा करती हैं लेकिन उनका सम्मान भी प्राप्त करती हैं। मरियम पर निर्देशित प्रशंसा, दर्पण की तरह, उस महान व्यक्ति की ओर निर्देशित होती है, जिनके लिए वे पवित्र बेटी, पवित्र माता, पवित्र पत्नी और पवित्र रानी, हमारा जीवन, हमारी मधुरता और हमारी आशा है।