संत पेत्रुस क्रिसोलोगुस, धर्माध्यक्ष और कलीसिया के धर्माचार्य है जिनका पर्व जुलाई 30 को मानाया जाता रहा है। वर्ष 380 में इमोला, इटली में जन्मे, संत पेत्रुस को इमोला के धर्माध्यक्ष कॉर्नेलियस द्वारा बपतिस्मा दिया गया, शिक्षित किया गया और एक उपयाजक ठहराया गया। संत पेत्रुस को उनकी असाधारण वाक्पटुता से ‘‘क्रिसलोगस‘‘ (सुनहरा-शब्द) कहा जाने का खिताब मिला। 433 में, संत पिता सिक्सटस तीसरे ने उन्हें रवेना के धर्माध्यक्ष के रूप में प्रतिष्ठित किया। उन्होंने बुतपरस्ती और मोनोफिसाइट विधर्म के खिलाफ संघर्ष किया, सुधारों को लागू किया, और अपने धर्मप्रांत में कई गिरजाघर और अलंकृत वेदियों का निर्माण किया। उन्होंने दया के कई शारीरिक और आध्यात्मिक कार्यों का अभ्यास किया, और अपने झुंड पर अत्यंत परिश्रम और देखभाल के साथ शासन किया। उन्होंने बुतपरस्ती और अन्य दुरूपयोग के अंतिम अवशेषों को मिटा दिया, जो उनके लोगों के बीच पनपे थे, विशेष रूप से अभद्र नृत्य के खिलाफ उन्हें सावधान करते हुए, ‘‘कोई भी जो शैतान के साथ उल्लास करना चाहता है,‘‘ उन्होंने टिप्पणी की, ‘‘ख्रीस्त के साथ आनन्दित नहीं हो सकता।‘‘ उन्होंने विधर्मी यूटिकेस (जिन्होंने उनका समर्थन मांगा था) को विभाजन पैदा करने से बचने के लिए सलाह दी, और अन्य विधर्मियों से सीखने को कहा जो खुद को पेत्रुस की चट्टान के खिलाफ टकराकर कुचले गए थे। 450 में इमोला, इटली में उनकी मृत्यु हो गई और 1729 में संत पिता बेनेडिक्ट तरहवें द्वारा कलीसिया के डॉक्टर घोषित किए गए, मोटे तौर पर उनके सरल, व्यावहारिक और स्पष्ट उपदेशों के परिणामस्वरूप, जो हमारे पास आए हैं, लगभग सभी जो सुसमाचार विषयों से संबंधित हैं।