संत आलेक्सिस जिनका पर्व आज हम मना रहें हैं 5वीं शताब्दी में एक धनी ख्रीस्तीय रोमी सभासद को जन्मे इकलौते पुत्र थे। अपने भले ख्रीस्तीय पालकों से उन्होंने गरीबों के लिए परोपकार करना सीखा। यह युवक अपनी संपत्ति को त्याग कर स्वयं को ईश्वर को समर्पित करना चाहता था, लेकिन उनके माता-पिता ने उनके लिए विवाह की व्यवस्था की और चूंकि यह उनकी मर्जी नहीं थी, उन्होंने वह विवाह कर लिया। फिर भी ठीक अपने विवाह के दिन, उन्होंने दुलहन से उन्हें ईश्वर के लिए त्याग देने की अनुमति मांगी। वह उन्हें विमुक्त करने और उन्हें अपनी बुलाहट का पालन करने के लिए सहमत हुई। आलेक्सिस अपने माता-पिता के घर से भाग गए और भेष बदल कर उन्होंने पूर्व में सीरिया की यात्रा की और माता मरिया के गिरजाघर के पास बड़ी गरीबी में रहे। एक दिन, सत्रह साल बाद, धन्य माता मरियम की एक तस्वीर लोगों को यह बताते हुए बोल उठी कि यह भिखारी बहुत पवित्र व्यक्ति है। उन्होंने आलेक्सिस को ‘‘ईश्वर का मनुष्य‘‘ कहा। जब वे प्रसिद्ध हुए, जो वास्तव में आखिरी चीज थी जिसे वे चाहते थे, तो वे वापस रोम भाग गए। वे भिखारी बनकर अपने घर आए। उनके माता-पिता ने उन्हें नहीं पहचाना, लेकिन वे सभी गरीब लोगों के प्रति बहुत दयालु थे और इसलिए उन्होंने उन्हें वहीं रहने दिया। सीढ़ियों के नीचे एक कोने में आलेक्सिस सत्रह साल तक जीवित रहे। वे केवल गिरजाघर में प्रार्थना करने और छोटे बच्चों को ईश्वर के बारे में सिखाने के लिए ही बाहर जाते थे। घर के नौकर अक्सर उनके प्रति बहुत क्रूर थे, और यद्यपि वे अपने पिता को बताकर कि वह कौन है इन सभी कष्टों को समाप्त कर सकते थे, उन्होंने कुछ भी नहीं कहना चुना। इसमें बड़ी हिम्मत और इच्छाशक्ति की जरूरत थी। उनकी मृत्यु पर उन्हें ‘ईश्वर का मनुष्य‘ घोषित करने के लिए एक अनदेखी आवाज सुनी गई थी, और बाद में उनके परिवार को उनके शरीर पर एक नोट मिला, जिसमें बताया गया था कि वह कौन थे और ईश्वर के प्यार के लिए उन्होंने अपने विवाह के दिन से लेकर अब तक तपस्या का जीवन कैसे जीया था। संत आलेक्सिस का पर्व काथलिक कलीसिया 17 जुलाई को मनाती है।