11 जुलाई को, काथलिक कलीसिया नर्सिया के संत बेनेडिक्ट का पर्व मनाती है, जो छठी शताब्दी के एक मठाधीश थे जिन्होंने ख्रीस्तीय मठवाद को पश्चिमी यूरोप में इसकी स्थायी नींव दी। बेनेडिक्ट का जन्म वर्ष 480, नर्सिया, उम्ब्रिया, इटली में रोमी कुलीन वर्ग में हुआ था। वह संत स्कोलास्टिका के जुड़वां भाई थे। उन्होंने रोम में अध्ययन किया लेकिन अनुशासन की कमी और अपने साथी छात्रों के ढुलमुल रवैये से निराश थे। इसलिए वह इटली के सुबियाको के पास पहाड़ों पर भाग गए। वे तीन साल तक एक गुफा में एक साधु के रूप में रहें, जहां उन्हें एक कौवे द्वारा खिलाया गया था। वे सुबियाको के संत रोमीस के मित्र थे जो पास में ही एकांतवासी के रूप में रहते थे तथा संत प्लासिड के आध्यात्मिक शिक्षक थे। बेनेडिक्ट के सदगुणों के प्रभाव एक मठ ने उनका नेतृत्व करने के लिए उनसे अनुरोध किया और इस कारण उन्होंने मोंटे कैसीनो में मठ की स्थापना की। मोंटे कैसिनो में मठाधीश ने जीवन का एक नियम, प्रसिद्ध ‘‘संत बेनेडिक्ट का नियम‘‘ तैयार किया, जिसने प्रार्थना, कार्य, सादगी और आतिथ्य पर जोर दिया। हालांकि इसे मठवासीयों के लिए एक नियम के रूप में जाना जाता है, किन्तु यह उन सभी लोगों को संबोधित करता है जो ‘‘मसीह प्रभु, सच्चे राजा के लिए संघर्ष करना चाहते हैं।‘‘ उनका अनुशासन ऐसा था कि उनके जीवन पर एक हमला किया गया था; कुछ मठवासीयों ने उन्हें जहर देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने प्याले को आशीर्वाद दिया और उन्हें कोई हानिनहीं हुयी। वे अपनी गुफा में लौट आए, लेकिन अनुयायियों को आकर्षित करना जारी रखा और अंततः बारह मठों की स्थापना की। उनके पास अंतरात्मा को पढ़ने की क्षमता थी, भविष्यवाणी का उपहार था, और वे शैतान के हमलों को रोक सकते थे। उन्होंने गैर ख्रीस्तीय मूर्तियों और वेदियों को नष्ट कर दिया एवं अशुद्धआत्माओं को उन निकुंजों से भगा दिया जो गैर ख्रीस्तीय के लिए पवित्र थे। एक समय में बेनिदिक्तिन नियम द्वारा निर्देशित 40,000 से अधिक मठ थे। उनके नियम का सारांश है ‘‘प्रार्थना करो और काम करो।‘‘ वे यूरोप और छात्रों के संरक्षक संत हैं। संत बेनेडिक्ट को अक्सर एक घंटी, एक टूटी हुई ट्रे, एक कौवे या एक अधिकार दंड के साथ चित्रित किया जाता है। बेनेडिक्ट की बहन संत स्कोलास्टिका ने भी एक धर्मबहन के रूप में धार्मिक जीवन अपनाया। अधिक संभावना है कि वे उनसे कुछ समय पहले ही स्वर्ग सिधार गई थी। बेनेडिक्ट की मृत्यु 21 मार्च 543 को इटली के मोंटे कैसिनो में प्रार्थना के दौरान बुखार से हुई। उन्हें वहाँ उच्च वेदी के नीचे, उसी मकबरे में जहाँ संत स्कोलास्टिका भी थी, दफनाया गया और संत पिता होनोरियस तीसरे द्वारा वर्ष 1220 में संत घोषित किए गए।