जून 14

धन्य फ़्रांसिस्का डी पाउला डे जीज़स इज़बेल

धन्य फ़्रांसिस्का डी पाउला डे जीज़स इज़बेल को न्हा चिका (आंटी फ्रांसी) के रूप में भी जाना जाता है। वे कैंपान्हा धर्मप्रांत, ब्राजील के कैथोलिक चर्च के एक साधारण व्यक्ति थीं। वह एक गुलाम माँ से जन्मी हुई एक नाजायज बच्ची थी तथा वह स्वयं एक गुलाम थी जिन्हें 1820 में स्वतंत्र किया गया था। इन्होंने अपना जीवन माता मरियम के आदर में एक चर्च बनाने के लिए समर्पित कर दिया।

उन्होंने एक गरीब और ब्रह्मचार्य जीवन अपनाया था। उन्हें गरीबों की माँ कहा जाता था। उनके घर का दरवाजा हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने और उनकी देखभाल करने के लिए खुला रहता था।

वह पहली एफ्रो-ब्राजीलियाई महिला थीं जिन्हें धन्य घोषित किया गया। धन्य फ़्रांसिस्का डी पाउला डे जीज़स इज़बेल कहतीं हैं, *"जब मैं प्रार्थना करती हूँ तो माँ मरियम मेरी प्रार्थना सुनती हैं और उसका जवाब भी देती हैं"। संत पिता फ्रांसिस जी कहते हैं, *"उनका सादगी भरा जीवन पूरी तरह से ईश्वर और दया के कार्यों के लिए इस प्रकार समर्पित था कि 'उन्हें गरीबों की माँ' कहा जाता था।"

वह एक साधारण एफ्रो ब्राज़ीलियाई महिला थीं जिन्होंने धन्य कुंवारी माँ मरियम के आदर में एक चर्च बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। हम धन्य फ़्रांसिस्का डी पाउला डे जीज़स इज़बेल की मध्यस्थता द्वारा माँ मरियम के प्रति समर्पित रहने और हमारे पास जो कुछ भी है उससे गरीबों की मदद करने के लिए प्रभु से कृपा मांगे।


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Praise the Lord!