सेलेस्टीन एक ऐसा संत हैं जिन्हें हमेशा उस अनोखे तरीके के लिए याद किया जाएगा जिसमें उन्हें संत पिता चुना गया था, उस कार्यालय में उनकी असाधारण अक्षमता के लिए, और इस्तीफा देने वाले प्रथम संत पिता होने के गौरव के लिए।
जब इस इतालवी संत के पिता की मृत्यु हुई, तो उनकी अच्छी मां ने अपने बारह बच्चों को अच्छी तरह से पाला, भले ही वे बहुत गरीब थे। ‘‘ओह, अगर मैं केवल आप में से एक को संत बनने का आनंद प्राप्त कर सकती !‘‘ वह कहती थी। एक बार जब उन्होंने हमेशा की तरह पूछा, ‘‘आप में से कौन संत बनने जा रहा है?‘‘ छोटे पेत्रुस (जो संत पिता सेलेस्टिन बनने वाले थे) ने पूरे मन से उत्तर दिया, ‘‘मैं, माँ! मैं एक संत बनूंगा!‘‘ और उन्होंने किया।
जब वह बीस वर्ष का था, पेत्रुस एक निर्जनवासी बन गया और उन्होंने प्रार्थना करने और पवित्र बाइबल पढ़ने में अपना दिन बिताया। यदि वह प्रार्थना नहीं कर रहा या पढ़ नहीं रहा होता, तो वह पुस्तकों की नकल करता या कुछ कठिन परिश्रम करता ताकि शैतान उन्हें कुछ न करते हुए न पाए, और उनकी परीक्षा ले। चूंकि अन्य मठवासी उनके पास आते रहते और उनसे मार्गदर्शन के लिए अनुनय विनय करते रहते थे उन्होंने इस कारण एक नया तपस्वी घर्मसंघ शुरू किया।
पेत्रुस चौरासी साल का एक बूढ़ा मठवासी था, जब उन्हें संत पिता बनाया गया था। यह बहुत ही असामान्य तरीके से हुआ। दो साल के लिए, कोई संत पिता नहीं था, क्योंकि कार्डिनल तय नहीं कर सके कि किसे चुनना है। पेत्रुस ने उन्हें शीघ्र निर्णय लेने के लिए एक संदेश भेजा, क्योंकि ईश्वर लंबे विलंब से प्रसन्न नहीं थे। तब और वहाँ, उन्होंने स्वयं पवित्र पुराने मठवासी को चुना! बेचारा पेत्रुस इस खबर को सुनकर रो पड़ा, लेकिन उन्होंने दुख के साथ स्वीकार किया और सेलेस्टिन पंचम नाम लिया।
वह लगभग पांच महीने ही संत पिता रहे। चूंकि वह अपने स्वभाव में इतने विनम्र और सरल थे, सभी ने उनका फायदा उठाया। वह किसी को ‘‘ना‘‘ नहीं कह सकते थे, और जल्द ही मामला बहुत उलझन में था। अंत में, संत ने फैसला किया कि उन्हें संत पिता के रूप में अपना पद छोड़ना बेहतर होगा। उन्होंने ऐसा किया और फिर खुद को कार्डिनल्स के चरणों में डाल दिया क्योंकि वह कलीसिया पर शासन करने में सक्षम नहीं थे। उनकी नम्रता का उन सब पर क्या खूब प्रभाव पड़ा!
संत सेलेस्टिन को अपने एक मठ में शांति से रहने की उम्मीद थी। लेकिन नए संत पिता ने सोचा कि उन्हें वहाँ रखना सुरक्षित होगा जहां दुष्ट लोग उनका फायदा नहीं उठा सकते। संत को एक कोठरी में रखा गया और वहीं उनकी मृत्यु हो गई। फिर भी वह हंसमुख और ईश्वर के करीब थे। ‘‘आप एक कोठरी चाहते थे, पेत्रुस,‘‘ वह खुद से कहते थे, ‘‘और आपके पास एक कोठरी है।‘‘
1313 में क्लेमेंट पंचम द्वारा उनके संत पिता घोषित किए जाने के कुछ वर्षों बाद, उनके अवशेषों को फेरेन्टिनो से अक्विला में उनके तपस्वी घर्मसंघ के गिरजाघर में स्थानांतरित कर दिया गया था, जहां वे अभी भी महान उपासना के पात्र हैं। उनका पर्व 19 मई को मनाया जाता है।