’मथियस’ नाम का अर्थ ‘‘ईश्वर का उपहार‘‘ है। यूदस के विश्वास्घात तथा अत्महत्या कारण प्रेरितों में उनकी जगह लेने केलिए मथियस को चुना गया। प्रेरित-चरित में कहा गया है कि वह योहन के बपतिस्मा से ले कर प्रभु के स्वर्गारोहण तक प्रभु तथा शिष्यों के साथ थे। उस समय प्रेरितों के सामने दो व्यक्तियों के नाम थे - मथियस और योसेफ जिन्हें बरसब्बास कहा जाता है। वे जानते थे कि ये दोनों व्यक्ति उनके साथ और येसु की पूरी सेवकाई के दौरान उनके साथ रहे हैं। लेकिन यह दावा करना कठिन था कि कौन येसु के पुनरूत्थान का साक्षी बनने के लिए योग्य था। प्रेरितों को पता था कि केवल प्रभु ही जान सकता है कि प्रत्येक के दिल में क्या है। उन्होंने ईश्वर की इच्छा की खोजने के लिए चिट्ठी डाली और मथियस को चुना गया। वह बारहवां प्रेरित था और जब वे पवित्र आत्मा के आने की प्रतीक्षा कर रहे थे तब समूह फिर से पूर्ण हो गया था।
पवित्र शास्त्र में यहाँ हम पहली बार मथियस के बारे में सुनते हैं, और आखरी बार भी। संत अंद्रेयस और मथियस के अधिनियम जैसे उपाख्यान मथिायस के उत्साही आलिंगन की गवाही देते हैं कि एक प्रेरित होने में प्रभु की सेवा में सुसमाचार प्रचार, उत्पीड़न और मृत्यु शामिल है। अलेक्जेंड्रिया के क्लेमेंट का कहना है कि मथियस, अन्य सभी प्रेरितों की तरह, येसु द्वारा नहीं चुने गए थे जो वे पहले से ही थे, लेकिन येसु ने जो देखा था उनके लिए कि वे क्या बन जाऐगे। वह इसलिए नहीं चुना गया कि वह योग्य था, बल्कि इसलिए कि वह योग्य बन जाएगा।
विभिन्न परंपराओं के अनुसार, मथियस ने कप्पादोसिया, येरुसालेम, कैस्पियन सागर के तट (आधुनिक तुर्की में) और इथियोपिया में प्रचार किया। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु कोल्किस में सूली पर चढ़ाने या येरूसालेम में पत्थर मारने से हुई थी।
कलीसिया के कुछ शुरुआती आचार्य के लेखों में इस बात का सबूत दिया गया है कि मथियस के अनुसार एक सुसमाचार प्रचलन में था, लेकिन बाद में यह खो गया है, और संत पिता गेलैसियुस द्वारा इसे अप्रामाणिक ग्रंथ घोषित कर दिया गया था।
उन्हें शराब के खिलाफ सहायता के लिए, और नशेपान से स्वस्थ होने वालो के द्वारा समर्थन के लिए पुकारा जाता है।