आयरलैंड के सेंट पैट्रिक दुनिया के सबसे लोकप्रिय संतों में से एक हैं। उनका जन्म रोमन ब्रिटेन में हुआ था और जब वे चौदह वर्ष के थे, तब उन्हें एक छापेमारी पार्टी के दौरान आयरिश समुद्री लुटेरों ने पकड़ लिया था और उन्हें भेड़ पालने के लिए आयरलैंड ले जाया गया था। उस समय, आयरलैंड ड्र्यूड्स और विजातियों का देश था, लेकिन पैट्रिक ने प्रभु ईश्वर पर विश्वास रखा और अपना संस्मरण, “द कन्फेशन” लिखा। द कन्फेशन (The Confession) में उन्होंने लिखा, “ईश्वर का प्रेम और उनका भय मुझमें और अधिक बढ़ता गया, जैसा कि विश्वास था, और एक ही दिन में, मैंने सौ प्रार्थनाएं की और रात में भी लगभग उतनी ही। मैंने भोर से पहले ही जंगल में और पहाड़ पर प्रार्थना की। मुझे बर्फ या बारिश से कोई चोट नहीं लगी।”
पैट्रिक की कैद बीस साल की उम्र तक चली, जब वे एक सपना देखने के बाद बच निकले। सपने में उन्हें तट पर जाकर आयरलैंड छोड़ने के लिए कहा गया था। तट पर जाने पर उन्हें कुछ नाविक मिले जो उन्हें वापस ब्रिटेन ले गए और उनके परिवार से मिल गए।
घर लौटने के कुछ साल बाद, पैट्रिक को एक दर्शन मिला जिसमें उनको लगा कि आयरलैंड के लोग उनको वापस आने के लिए निमंत्रण दे रहे हैं।
इस दर्शन ने पुरोहिताई का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए उनको प्रेरित किया। ऑक्सरे के धर्माध्यक्ष सेंट जर्मनस द्वारा उनका पुरोहिताभिषेक हुआ और बाद में उन्हें एक धर्माध्यक्ष बनाया गया और उन्हें आयरलैंड में सुसमाचार फैलाने के लिए भेजा गया।
धर्माध्यक्ष पैट्रिक 25 मार्च, 433 को आयरलैंड के स्लेन पहुंचे। आगे क्या हुआ, इसके बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। उनमें से सबसे प्रमुख दावा के अनुसार वहाँ वे एक आदिवासी मुखिया से मिले, जिन्होंने उन्हें मार डालने की कोशिश की। ईश्वर की विशेष कृपा से वे बच गये| उस आदिवासी मुखिया ने ख्रीस्तीय विश्वास को स्वीकार किया। तत्पश्चात उनके सुसमाचार फैलाने के कार्य से बहुत से लोग ख्रीस्तीय बन गये। धीरे-धीरे आयरलैंड़ के लगभग सभी लोगों ने ख्रीस्तीय धर्म को अपनाया। 17 मार्च, 461 को शाऊल में उनकी मृत्यु हुयी जहां उन्होंने आयरलैंड का पहला गिरजाघर बनाया था। माना जाता है कि उन्हें डाउनपैट्रिक के डाउन कैथेड्रल, में दफनाया गया था। उनकी कब्र को 1990 में एक ग्रेनाइट पत्थर से चिह्नित किया गया था।